सार

कृष्ण स्वयं को अरबों सिर, नुकीले दांत और हथियारों के साथ प्रकट करते हैं। यह दृश्य काफी डरावने हैं। इन दृश्यों को देखकर अर्जुन जागृत हो उठता है और एक विनम्र भाव धारण कर लेता है। 

अंततः अर्जुन को यह समझ में आ जाता है कि कृष्ण उसे क्या समझाना चाह रहे हैं, तब अर्जुन कृष्ण से उनका परम स्वरूप देखने की इच्छा जाहिर करता है। महाभारत का सचित्र वर्णन करने वाले संजय के शब्दों में कहा जाए तो कृष्ण अर्जुन को अविश्वसनीय विशालता और महिमा का आभास कराते हैं, जिसमें वह शामिल है। अर्जुन को संपूर्ण ब्रम्हांड महादेव के अंदर समाहित दिख रहा है। कृष्ण स्वयं को अरबों सिर, नुकीले दांत और हथियारों के साथ प्रकट करते हैं। यह दृश्य काफी डरावने हैं। इन दृश्यों को देखकर अर्जुन जागृत हो उठता है और एक विनम्र भाव धारण कर लेता है।

Deep Dive With Abhinav Khare

अर्जुन को एक साथ बहुत सारी चीजें दिखाई देती हैं, जिसमें वह देखता है कि कृष्ण का कौरवों को भष्म कर देना भी शामिल है। अर्जुन सहमे हुए स्वर में कृष्ण से पूछता है कि वो कौन हैं, जिसके जवाब में श्रीकृष्ण कहते हैं कि वो ही मृत्यू हैं। इसीलिए अर्जुन को यह युद्ध लड़ना चाहिए, क्योंकी कौरवों का लड़ना तय है। कृष्ण ने पहले ही उनको मार दिया है, अर्जुन तो सिर्फ एक जरिया है। अर्जुन कृष्ण को प्रणाम करता है और परिवार के मोह में आकर उसने जो भी बातें कही थी उनके लिए माफी मांगता है। कृष्ण के इस भयावह रूप को देखन के बाद अर्जुन भयभीत और आश्चर्यचकित है। वह कृष्ण से उनके मानवीय रूप में आने की प्रार्थना करता है। कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि उनका यह रूप उसके अलावा और किसी ने नहीं देखा है। कृष्ण अर्जुन को धीरे से अपने पास बुलाते हैं और उसे डरने की बजाय शांत और प्रसन्नचित रहने के लिए कहते हैं।    

  Abhinav Khare 

विश्लेषण
गीता का यह अध्याय में पिछले सभी अध्यायों की तुलना में अधिक रोचक और जीवंत है। पिछले अध्यायों की तरह अर्जुन और कृष्ण के बीच संवाद की बजाय इस अध्याय में कृष्ण एक भयावह रूप धारण करते हैं और अर्जुन को अपनी कुछ शक्तियों से परिचित कराते हैं। अभी तक जो भी बातें श्रीकृष्ण अर्जुन को नहीं समझा पाए थे वो सभी बातें इस अध्याय में दृश्यों के माध्यम से बताई जा रही हैं। कृष्ण अर्जुन को यह एहसास भी कराते हैं कि वो किससे बात कर रहा है। अर्जुन, कृष्ण के प्रति प्रेम, विस्मय और भय के मिलेजुले भाव प्रकट करता है। क्योंकि कृष्ण इस अध्याय में अर्जुन को बौद्धिक ज्ञान से वास्तविक ज्ञान की तरफ ले जाते हैं।  

हालांकि, कृष्ण का यह रूप भी उनका वास्तविक रूप नहीं है। फिर भी यह कृष्ण का यह रूप अर्जुन को उनकी विशालता को समझने में मदद करता है। कृष्ण के वास्विक रूप को बिना भगवान में समाहित हुए समझना असंभव है। इस दौरान पाठकों को यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि कृष्ण का यह रूप संजय के द्वारा देखा और दूसरों को बताया गया है।    


पूरे अध्याय में हर जगह कई देवी देवताओं का जिक्र भी किया गया है। सबसे पहले ब्रम्हा अपने कमल सिंहासन के साथ दिखाई देते हैं। ब्रम्हा को अक्सर एक विशाल कमल के फूल में बैठा हुआ दिखाया जाता है, वह ब्रह्मांड के निर्माण, संचालन और विनाश से जुड़े तीन देवताओं में से एक है। ब्रम्हा सृष्टि का निर्माण करते हैं, विष्णु उसका संचालन करते हैं और महेश यानि शिव सृष्टि का संहार करते हैं। इस अध्याय में, अर्जुन कई बार कृष्ण को "भगवान विष्णु" कहता है। क्योंकि कृष्ण की व्याख्या अक्सर भगवान विष्णु के अवतार के रूप में की जाती है, या विष्णु को कृष्ण का ही एक रूप माना जाता है। आमतौर पर दोनों को एक ही देवता के दो रूप माने जाते हैं।

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।