Amitabh Budholiya

बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
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खुद खाना बनाओ, मिल बांटकर खाओ, थोड़ा-सा आराम और फिर युद्ध लड़ने निकल जाओ, जिंदा लौटने की कोई गारंटी नहीं

Jun 02 2022, 11:15 AM IST

वर्ल्ड न्यूज. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (russia ukraine war) को 2 जून को 99 दिन हो गए हैं। इसके बावजूद दुनिया को यह नहीं मालूम कि ये युद्ध कितना लंबा खिंचेगा। लंबा और लगातार युद्ध सैनिकों को थकाने लगा है। सबसे बड़ी दिक्कत यूक्रेन के सैनिकों के सामने आ रही है। उन्हें खुद अपना खाना बनाना पड़ रहा है और मुश्किल हालात में अपनी नींद पूरी करके फिर से लड़ने निकलना पड़ता है। ये तस्वीरें यूक्रेन के मीडिया KyivPost ने पब्लिश की हैं। हालांकि यूक्रेनी सैनिक पूरे जोश से युद्ध लड़ रहे हैं। इस बीच यूके ने कहा है कि यूक्रेन को लंबी दूरी के रॉकेट सिस्टम भेजेगा। यूके के रक्षा सचिव बेन वालेस ने 1 जून को कहा कि यूके मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम या M270 लॉन्चर यूक्रेन को भेजेगा। ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के एक बयान के अनुसार यूके यूक्रेनी सैनिकों को रॉकेट सिस्टम का उपयोग करने के लिए भी ट्रेनिंग भी देगा। आगे पढ़िए कुछ अपडेट और देखिए तस्वीरें...
 

जहां गिरा था नेपाल में प्लेन,वहां पहुंचना कितना खतरनाक था, देखिए Pics, शेरपा ही थे, जो सेना को वहां ले गए

Jun 02 2022, 09:11 AM IST

काठमांडू. नेपाल के पर्वतीय मुस्तांग जिले(Mustang) में दुर्घटनाग्रस्त हुए तारा एयरलाइंस(Crashed Tara Air aircraft) का मलबा खोजने में माउंटेन गाइड पासंग तेंडी शेरपा( Mountain guide Pasang Tendi Sherpa) का बहुत बड़ा योगदान रहा। खराब मौसम और दुर्गम हिमालय में प्लेन को ढूंढ़ना आसान नहीं था। नेपाली आर्मी को इसका अच्छे से पता था, इसलिए उन्होंने रेस्क्यू में नेपाल नेशनल माउंटेन गाइड एसोसिएशन (NNMGA) के 9 माउंटेन गाइड्स को शामिल किया। बता दें कि तारा एयर का 9N-AET के इस दो इंजन वाले विमान ने रविवार(29 मई) की सुबह 9:55 बजे टेकऑफ किया था, लेकिन जल्द ही रडार से गायब हो गया। अगले दिन सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल नारायण सिलवाल ने विमान का मलबा मिलने की जानकारी दी। जानकारी के अनुसार, जहां प्लेन का मलबा मिला, वो जगह समुद्र तल से करीब 4500 मीटर की ऊंचाई पर है। वहां आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता। खासकर, जब यह रेस्क्यू चलाया गया, तब मौसम बेहद खराब था। यानी इस ऊंचाई पर सिर्फ वो ही लोग पहुंच सकते थे, जो अकसर ऐसी एडवेंचर करते रहे हैं। पढ़िए प्लेन क्रैश से जुड़े कुछ नए फैक्ट्स...