सोमवार को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने देश की पहली हाइड्रोजन बस को हरी झंडी दिखाई। अभी ट्रायल के तौर पर सिर्फ दो बसें ही लॉन्च की गई हैं। इसकी सफलता के बाद देश में हाइड्रोजन से चलने वाली बस दौड़ती हुईं नजर आएंगी।

ऑटो डेस्क : भारत में हाइड्रोजन से चलने वाली पहली बस (First Hydrogen Fuel Cell Bus) की शुरुआत हो गई है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तरफ से सोमवार को देश को बड़ी सौगात देते हुए इस बस को रवाना कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने हाइड्रोजन बस को हरी झंडी दिखाई। बता दें कि शुरुआत में अभी ट्रायल के तौर पर सिर्फ दो बसें ही लॉन्च की गई हैं। इसकी सफलता के बाद देश में हाइड्रोजन से चलने वाली बस दौड़ती हुईं नजर आएंगी। आइए जानते हैं आखिर हाइड्रोजन से यह बस कैसे चलेगी,इसे पावर कैसे मिलेगा और यह एक बार में कितनी दूर जाएगी...

एक बार में हाइड्रोजन बस कितनी दूर जाएगी

दोनों हाइड्रोजन बस 3 लाख किलोमीटर का सफर तय करेंगी। इसका तमलब हाइड्रोजन से चलने वाली दोनों बसें एक बार में करीब 300 किलोमीटर तक का सफर तय कर पाएंगी। अभी दोनों ही बसों को दिल्ली में चलाया जा रहा है। तीन लाख किलोमीटर चलने के बाद देश के दूसरे हिस्सों में हाइड्रोजन बसें चलाने का प्लान है।

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हाइड्रोजन से बस कैसे चलेगी

हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स एक उत्प्रेरक की मौजूदगी में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पर प्रतिक्रिया करके पावर जेनरेट करेगी। इसका एक प्रोडक्ट पानी भी है। इससे उत्पन्न होने वाली इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल विद्युत मोटर पावर सोर्स के तौर पर किया जाता है, जो बस में लगे पहियों को चलाने का काम करती है।

हाइड्रोजन बस के फायदे

  • पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में हाइड्रोडजन वाली पहली बस की शुरुआत पॉल्यूशन को रोकने में मददगार हो सकता है। इधर, इलेक्ट्रिक गाड़ियों, इथेनॉल और दूसरे ऑप्शनल फ्यूल पर भी काम चल रहा है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन को रिन्यूवल एनर्जी सोर्स से तैयार किया जाता है। जिससे पॉल्यूशन कम होता है। यही कारण है कि इस फ्यूल को लो-कार्बन फ्यूल कहा जाता है।
  • आने वाले 20 साल में भारत दुनिया की 25 प्रतिशत यानी एक चौथाई एनर्जी की डिमांड करने वाला देश बन जाएगा। ऑप्शनल फ्यूल के इस्तेमाल के बाद देश आने वाले समय में ग्रीन हाइड्रोजन के एक्सपोर्ट में सबसे आगे रहेगा।
  • साल 2050 तक ग्लोबल हाइड्रोजन की डिमांड चार से सात गुना बढ़ने की उम्मीद है। घरेलू ग्रीन हाइड्रोजन की डिमांड भी 28 मीट्रिक टन तक जा सकती है।

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