सार

एक समय था जब भारत में डीजल कारों का बोलबाला था और फिएट का 1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन राजा की तरह राज करता था। शानदार माइलेज और कम कीमत ने इसे लोगों का पसंदीदा बना दिया था। लेकिन BS6 मानदंडों ने इस इंजन के सफर पर ब्रेक लगा दी।

क ज़माने में गाड़ियों का 'भगवान' हुआ करता था ये इंजन, आज तक शायद ही किसी और इंजन को इतनी लोकप्रियता मिली हो.
आज के समय में भारत में डीजल इंजन वाली कोई हैचबैक आपको उंगलियों पर गिनने को मिलेंगी. लेकिन एक समय था जब छोटी डीजल गाड़ियां भारत में खूब पॉपुलर हुआ करती थीं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन गाड़ियों में से ज़्यादातर में एक ही इंजन का इस्तेमाल होता था. जी हां, हम बात कर रहे हैं इटैलियन कंपनी फिएट के 1.3 लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन की. एक समय था जब देश की 24 कारों में इसी एक इंजन का इस्तेमाल होता था. यही वजह है कि इसे देश का 'राष्ट्रीय डीजल इंजन' कहा जाने लगा. इस इंजन की अहमियत को देखते हुए इसे गाड़ियों का भगवान कहना भी गलत नहीं होगा. 

फिएट का 1.3 लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में एक क्रांतिकारी बदलाव के लिए जाना जाता है. भारतीय सड़कों पर एक लंबी और सफल यात्रा के लिए ये इंजन काफी महत्वपूर्ण रहा है. 2000 के दशक में भारत में पेश किया गया फिएट 1.3 लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन अपने शानदार माइलेज, दमदार परफॉर्मेंस और कम मेंटेनेंस कॉस्ट के कारण मध्यम वर्गीय ग्राहकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ. इस इंजन ने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में तहलका मचा दिया था, साथ ही कई प्रमुख कार निर्माताओं की पसंद भी बन गया था. आइए जानते हैं इस इंजन के सफर के बारे में और ये भी जानेंगे कि आखिर ये इंजन भारत में इतना पॉपुलर क्यों हुआ.

इंजन का जन्म
1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन को सबसे पहले फिएट ने साल 2000 में भारत में लॉन्च किया था, लेकिन ये सिर्फ फिएट की गाड़ियों तक ही सीमित नहीं रहा. टाटा, मारुति सुजुकी जैसी दिग्गज भारतीय कंपनियों से लेकर प्रीमियर जैसी दिग्गज कंपनी की गाड़ियों में भी इस इंजन ने अपनी जगह बनाई. टाटा की लोकप्रिय कारों टाटा इंडिका, टाटा इंडिगो और मारुति की बेस्ट सेलिंग कारों जैसे स्विफ्ट, डिजायर, रिट्ज जैसी गाड़ियों में भी यही इंजन धड़कता था. वहीं, शेवरले ने भी भारत में अपने मॉडल्स में इस इंजन का इस्तेमाल किया था. कुल मिलाकर उस समय 24 मॉडल्स में इस इंजन का इस्तेमाल किया जाता था. मारुति ने तो अपने 25 फीसदी मॉडल्स में इसी एक इंजन का इस्तेमाल किया था.

शानदार माइलेज और परफॉर्मेंस
1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन अपने शानदार माइलेज और बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए जाना जाता था. आमतौर पर, इस इंजन वाली कारें 20 से 24 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती थीं. यह उस समय भारतीय बाजार के लिए एक बड़ा आकर्षण था. इसकी कम मेंटेनेंस कॉस्ट और लंबी उम्र ने इसे कई ग्राहकों की पहली पसंद बना दिया.

BS4 से BS6 का सफर और चुनौतियां
2017 में, भारत सरकार ने BS4 उत्सर्जन मानदंड लागू किए, जिसके बाद भी यह इंजन अपनी लोकप्रियता बरकरार रखने में कामयाब रहा. हालांकि, 2020 में जब BS6 उत्सर्जन मानदंड लागू हुए, तो फिएट ने इस इंजन को अपडेट न करने का फैसला किया. फिएट अधिकारियों से बातचीत के बाद मारुति ने भी फैसला किया कि वो BS6 मानकों के अनुसार इस इंजन को अपडेट नहीं करेगी. इसकी वजह यह थी कि BS6 मैंडेट के अनुसार इस इंजन को अपडेट करना काफी महंगा सौदा साबित हो रहा था.

आखिरकार सफर हुआ खत्म
BS6 मानदंड लागू होने के साथ ही भारतीय बाजार में फिएट 1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन का सफर खत्म हो गया. फिएट ने 2017 सितंबर में ही इस इंजन को बंद करने का ऐलान कर दिया था, लेकिन आखिरी फिएट 1.3 लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन जनवरी 2020 में बना था. इसके साथ ही मारुति, टाटा जैसी कंपनियों ने भी इस इंजन का इस्तेमाल बंद कर दिया. BS6 मानदंडों के बाद इसका दौर खत्म हो गया. लेकिन आज भी कई पुरानी गाड़ियों में इसकी विरासत जिंदा है. 9,60,719 गाड़ियां जो अलग-अलग कंपनियों द्वारा बनाई गई थीं, उनमें आज भी यही मल्टीजेट डीजल इंजन जान फूंक रहा है. बहरहाल, यह इंजन उस समय भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को एक नई दिशा देने और डीजल कारों के प्रति ग्राहकों के रुझान को बढ़ाने के लिए हमेशा याद किया जाएगा.