सार

चुंग जब तीसरी बार घर से भाग रहे थे तो उन्होंने परिवार की एक गाय चुराई और उसे बेच दिया।जो पैसे मिले, उसे लेकर शहर आ गए। यहां उन्होंने एक स्कूल में एडमिशन लिया लेकिन जब पिता को पता चला तो वे बेटे को वापस घर ले गए।

ऑटो डेस्क : दक्षिण कोरियन कार कंपनी Hyundai आज देश की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनी है। एक समय ऐसा भी था, जब भारत में हर तीसरा शख्स Hyundai कार लेकर चलता था। आज ऑटोमोबाइल सेक्टर की पहचान बन चुकी हुंडई की शुरुआत कभी ऐसी नहीं रही। कंपनी के मालिक चुंग जू-युंग (Chung Joo Yung) ने कभी सोचा भी नहीं था कि जिस कंपनी की वो नींव रख रहे हैं, वह एक दिन इस मुकाम पर पहुंच जाएगी। क्योंकि एक समय ऐसा भी था, जब वो टीचर बनना चाहते थे लेकिन तकदीर में कुछ और ही लिखा था। आइए जानते हैं हुंडई के फाउंडर चुंग जू-युंग का दिलचस्प सफर..

टीचर बनना चाहते थे हुंडई के फाउंडर

1915 में उत्तर कोरिया के एक छोटे से गांव में चुंग का जन्म हुआ था। पिता किसान थे और जैसे-तैसे चावल की खेती कर परिवार चला रहे थे और मां घर का काम-काज संभाल रही थी। परिवार का पालन ठीक ढंग से हो, इसलिए अतिरिक्त आय के लिए परिवार रेशम के कीड़ों को पालने का काम भी करता था। चुंग के पिता चाहते थे कि बेटा पढ़ाई करे। ज्यादा पैसा न होने के बावजूद चुंग ने किसी तरह ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और टीचर बनना चाहते थे लेकिन पैसों की कमी आड़े हाथ आई।

खेती करें या घर से भाग जाएं

सपना टूट रहा था लेकिन चुंग का हौसला नहीं। उनके सामने दो ऑप्शन था, या तो घर पर रहकर खेती में पिता का हाथ बंटाए या भाग जाएं। 16 साल की उम्र में वो घर से भाग गए और एक कंस्ट्रक्‍शन कंपनी में काम करने लगे। हालांकि दो महीने बाद ही पिता उन्हें किसी तरह वापस ले आए। लेकिन चुंग भी कहां मानने वाले थे। सपने को पूरा करने के लिए वे चार बार घर से भाग चुके थे। जब चुंग तीसरी बार घर से भाग रहे थे तो उन्होंने फैमिली की एक गाय चुराई और उसे बेच दिया। इससे जो पैसे मिले, उसे लेकर शहर भाग गए और किसी स्कूल में एडमिशन लिया लेकिन जब उनके पिता को यह बात पता चली तो वे उन्हें लेकर घर आए। तीन बार चुंग को पिता घर वापस लेकर आए थे लेकिन चौथी बार चुंग ने खुद को आगे बढ़ाने पर फोकस किया।

डिलीवरी बॉय से मालिक बनने तक का सफर

1934 में जब चुंग घर से चौथी बार भागे थे, तब वे कहीं नहीं रूके और सीधे दक्षिण कोरिया चले गए। जहां उन्होंने चावल की डिलीवरी का काम शुरू किया। धीरे-धीरे मेहनत के बल पर उन्होंने खुद की दुकान खोल ली लेकिन यहां उन्हें सफलता नहीं मिली और उनकी दुकान बंद हो गई। इसके बाद उन्होंने ऑटो मरम्मत की दुकान खोली और काम कराने के लिए दो लोगों को रखा भी। ये काम अच्छा चल गया तीन साल में ही चुंग के अंदर में 70 कर्मचारी काम करने लगे लेकिन 1943 में सरकार ने उनके कारोबार को बंद कर दिया।

ऐसे हुई हुंडई बनने की शुरुआत

ऑटो मरम्मत का काम बंद हो चुका था। जो पैसे चुंग के पास थे उसे उन्होंने बचाकर रखा और चार साल बाद हुंडई सिविल इंडस्ट्रीज की नींव रख दी। यह एक कंस्ट्रक्‍शन कंपनी थी। चुंग ने सरकार में अपनी पैठ बनानी शुरू की और धीरे-धीरे पुल-शियार्ड बनाने का सरकारी ठेका लेने लगे। उनकी गाड़ी दौड़ पड़ी और फिर बांध, हाईवे और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण काम भी उनके हाथ लगा। इस दौरान उन्हें ऑटो इंडस्ट्री में काफी स्कोप समझ आया और उन्होंने कार डिजाइन का काम शुरू कर दिया। चुंग चाहते थे कि वे ऐसी कार बनाएं तो मिडिल क्लास के लिए ही हो। 8 साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अपनी पहली कार बनाई और उसे एक्सपोर्ट किया। इस कार का नाम हुंडई पॉनी था, जिसे आज भी दक्षिण कोरिया में गर्व के साथ जाना जाता है।

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार कंपनी

चुंग की ऑटोमोबाइल सेक्टर में इतनी जबरदस्त हुई कि उनके ग्रुप के बाकी काम पीछे छूटने लगे। एक के बाद एक नई कार और दुनिया में उसकी डिमांड ने ऐसा दिन भी ला दिया कि हुंडई सीधे तौर पर जापान की कार निर्माता कंपनी सुजुकी को टक्कर देने लगी। फिर हुंडई ने लग्जरी कार की तरफ फोकस किया और आज घर-घर में उसकी पहचान बन गई है। समय का दौर काफी लंबा रहा लेकिन आज चुंग दुनिया की कार इंडस्ट्री के बेताज बादशाह हैं।

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