सार

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री Nitin Gadkari  ने कहा है कि पेट्रोलियम आयात को कम करने के लिए मैं अगले दो-तीन दिन में एक ऑर्डर पर साइन करने जा रहा हूं। इसके तहत ऑटो इंडस्ट्री के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन (Flex-Fuel Engine) लाना कंपलसरी होगा। वहीं कई कंपनियों ने इस पर सरकार को आश्वासन दिया है।

ऑटो डेस्क, Flex-Fuel Engine : देश में प्रदूषण को नियंत्रण करने के साथ ही पेट्रोल पर निर्भरता कम करने के लिए कई सारे उपाय किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार हर हाल में पेट्रोलियम पदार्थों का आयात कम करने की योजना पर काम कर रही है। इस संबंध में एक बड़ा फैसला लिया  गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री (Union Minister of Road Transport and Highways) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि वह आगामी 72 घंटों में कार कंपनियों के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन (Flex-Fuel Engine) लाने का आदेश जारी करेंगे। अब कारों में कंपनियों को फ्लेक्स-ईंधन इंजन लगाना अनिवार्य होगा।

इन कंपनियों ने दिया आश्वासन 
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत हर साल 8 लाख करोड़ रुपये के पेट्रोलियम उत्पादों का आयात( import of petroleum products) करता है। मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता बनी रहती है, तो अगले 5 साल में इम्पोर्ट लागत 25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, पेट्रोलियम आयात को कम करने के लिए मैं अगले दो-तीन दिन में एक ऑर्डर पर साइन करने जा रहा हूं। इसके तहत ऑटो इंडस्ट्री के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन लाना कंपलसरी होगा, बता दें कि फ्लेक्स-ईंधन इंजन में एक से अधिक ईंधनों का इस्तेमाल किया जा सकता है। नितिन गडकरी ने जानकारी देते हुए कहा कि  टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन, सुजुकी और हुंदै मोटर इंडिया ने अपने व्हीकल में फ्लेक्स-ईंधन इंजन देने का आश्वासन दिया है। 

 फ्लेक्स इंजन में लगा होता है फ्यूल मिक्स सेंसर
Flex-Fuel Engine एक तरह के फ्यूल मिक्स सेंसर यानी फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का उपयोग करता है। यह मिश्रण में फ्यूल की मात्रा के अनुसार खुद को एड्जेस्ट करता रहता है। इंजन स्टार्ट होते ही इसका सेंसर एथेनॉल, मेथनॉल और गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को नोट करता है। इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को मैसेज भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है। 

ईंधन में बढ़ेगा इथेनॉल का उपयोग
फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां बाय-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों से डिफरेंट होती हैं। bio-fuel engine में अलग-अलग टैंक होते हैं, जबकि फ्लेक्स फ्यूल इंजन में एक ही टैंक में कई तरह के फ्यूल भरा जा सकता है। इस तरह के इंजनों को खास तरह से डिजाइन किया जाता है। गाड़ियों में ये इंजन आ जाने के बाद पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा बढ़ाई जा सकेगी, इथेनॉल  की कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर होती है, इससे फ्यूल भी सस्ता होगा, वहीं देश ईंधन को लेकर आत्मनिर्भर बनेगा। फिलहाल कार मालिकों पर इसका कोई असर नहीं होगा। आदेश जारी होने के बाद इसमें समय सीमा निर्धारित की जा सकती है। इसके पश्चात के वाहनों में ये इंजन अनिवार्य किया जा सकता है।
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