सार
पेट्रोल और डीजल सहित पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करने के लिए दुनिया भर में प्रयास किए जा रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को इसका सबसे अच्छा विकल्प माना जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के कई देश आगे आ रहे हैं। भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकार सब्सिडी आदि दे रही है। हालांकि, वर्तमान में भारत जैसे देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या सीमित है। लेकिन अब खबरें हैं कि नॉर्वे दुनिया का पहला देश बन गया है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या मौजूदा पेट्रोल वाहनों की संख्या को पार कर गई है.
नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन द्वारा जारी वाहन पंजीकरण आंकड़ों के अनुसार, नॉर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन ने एक बयान में कहा कि देश में पंजीकृत 2.8 मिलियन निजी यात्री कारों में से 7,54,303 इकाइयां पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हैं। 7,53,905 इकाइयां पेट्रोल वाहन हैं। इसके अलावा डीजल से चलने वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन सबसे कम है।
कोई चमत्कार नहीं हुआ
नॉर्वे ने वर्षों पहले इस जीत की नींव रखी थी। 1990 के दशक की शुरुआत से ही वहां की सरकार और लोगों ने यह समझ लिया था कि इलेक्ट्रिक वाहन ही भविष्य हैं। ऐसे में नॉर्वेजियन संसद ने 2025 तक बिकने वाली सभी नई कारों को शून्य-उत्सर्जन (इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन) बनाने का राष्ट्रीय लक्ष्य रखा। 2022 के अंत तक, नॉर्वे में पंजीकृत कारों में 20 प्रतिशत से अधिक बैटरी इलेक्ट्रिक (BEV) थीं। 2022 में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की बाजार हिस्सेदारी 79.2 प्रतिशत थी.
दुनिया के कई देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने की योजनाएँ चल रही हैं। लेकिन 55 लाख की आबादी वाले इस देश में सरकार और आम जनता जिस तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जागरूकता दिखा रही है, वह दूसरों से अलग है। इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदना न केवल किफायती और आसान बनाया गया है, बल्कि सरकार ने ईवी को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं, जिन्होंने दिन-प्रतिदिन के परिचालन खर्च को काफी कम कर दिया है। इसके लिए हर तरह की छूट दी गई।
कर नीति
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सबसे बड़ा काम उस पर लगाए गए टैक्स का किया गया। नॉर्वेजियन सरकार ने फैसला किया कि उच्च प्रदूषण फैलाने वाली कारों पर उच्च कर और कम और शून्य प्रदूषण फैलाने वाली कारों पर कम कर लगाया जाएगा। इसके बाद NOK 5,00,000 (लगभग 40 लाख रुपये) तक की इलेक्ट्रिक वाहनों को वैट से छूट दे दी गई। साथ ही, NOK 500,000 से अधिक कीमत वाले वाहनों पर, केवल अतिरिक्त राशि पर 25 प्रतिशत वैट नियम लागू होता है.
आयात शुल्क में छूट
इतना ही नहीं 1990 से 2022 तक नॉर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर आयात शुल्क नहीं लगाया जाता था। इससे विदेशों से आयातित इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना भी स्थानीय लोगों के लिए किफायती हो गया। टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों की यहां काफी डिमांड है। इसके अलावा स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को भी वर्षों तक वाहन निर्माण के लिए लाभ दिया जाता रहा है.
वैट, आयात शुल्क के अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों को 1997 से 2017 तक नॉर्वे में टोल रोड शुल्क से छूट दी गई थी। इसके अलावा, लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित करने के लिए वर्षों तक कुछ विशेष छूट की पेशकश की गई। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मुफ्त नगरपालिका पार्किंग, बस लेन में ईवी एक्सेस के जरिए लोगों को ईवी के लिए प्रोत्साहित किया गया।
इंफ्रा चार्जिंग के लिए बड़ा काम
रेंज और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन मालिक के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। लेकिन नॉर्वेजियन सरकार ने इस दिशा में बेहतरीन काम करते हुए पूरे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए एक बड़ा नेटवर्क स्थापित किया है। 2017 और 2021 के बीच, अपार्टमेंट इमारतों में रहने वाले लोगों के लिए चार्जिंग अधिकार स्थापित करने के लिए कानून पेश किए गए थे।
हालांकि ईवी मालिक घर पर ही चार्ज करते हैं और रोजाना फास्ट चार्ज किए बिना मैनेज कर लेते हैं, लेकिन उनका मानना है कि जरूरत पड़ने पर फास्ट चार्जिंग का विकल्प होना जरूरी है। लंबी दूरी की यात्रा के लिए एक अच्छा चार्जिंग नेटवर्क होना जरूरी है। नॉर्वे में सभी प्रमुख सड़कों पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
ग्राहक फास्ट चार्जिंग सेवाओं के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार थे, लेकिन शुरुआत में ज्यादातर जगहों पर मुफ्त चार्जिंग की पेशकश की गई थी। कम से कम दूरी पर भी उपलब्ध हैं। अकेले ओस्लो में दो हजार से ज्यादा चार्जिंग स्टेशन लगाए जा चुके हैं। इससे लोगों में ईवी को लेकर विश्वास बढ़ा और लोगों ने इसे तेजी से अपनाया।
यह एक ऐतिहासिक क्षण
नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन के निदेशक ओविंद सोलबर्ग थोरसेन ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देश नॉर्वे में 10 साल पहले बहुत कम लोगों ने सोचा होगा कि इलेक्ट्रिक कारों की संख्या पेट्रोल-डीजल कारों से ज्यादा होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका लक्ष्य 2025 तक शून्य उत्सर्जन वाहन बेचने का है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले अगस्त में नॉर्वे में रजिस्टर्ड नए वाहनों में 94.3 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन थे।