टाटा मोटर्स अपनी गाड़ियों में उच्च गुणवत्ता वाले स्टील, फ्यूचरिस्टिक डिज़ाइन और कठोर क्रैश टेस्टिंग का उपयोग करती है। ग्राहकों के फ़ीडबैक और नई तकनीकों के इस्तेमाल से सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ती है।
पेट्रोल, सीएनजी, और इलेक्ट्रिक सेगमेंट में रतन टाटा की कंपनी टाटा मोटर्स का दबदबा है। ग्लोबल एनसीएपी क्रैश टेस्ट में टाटा मोटर्स की ज़्यादातर गाड़ियों को पांच स्टार रेटिंग मिली है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि टाटा अपनी सभी गाड़ियों को इतना मज़बूत कैसे बनाती है? आइए जानते हैं टाटा मोटर्स की गाड़ियां इतनी सुरक्षित क्यों हैं और कंपनी इनकी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए क्या-क्या करती है।
उच्च गुणवत्ता वाला स्टील
टाटा मोटर्स गाड़ियां बनाते समय क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करती और लोगों की सुरक्षा का हमेशा ध्यान रखती है। यही वजह है कि कंपनी सस्ती गाड़ियों में भी हाई स्ट्रेंथ स्टील का इस्तेमाल करती है। इससे कार का स्ट्रक्चर मज़बूत होता है। जैसे मज़बूत नींव से इमारत मज़बूत बनती है, वैसे ही गाड़ी का स्ट्रक्चर मज़बूत होने से ही सड़क हादसे के समय उसमें बैठे लोगों को ज़्यादा सुरक्षा मिलती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ मॉडल्स में कंपनी ने कार के मुख्य हिस्सों में स्टील की मोटाई बढ़ाई है, जिससे उनकी मजबूती और टिकाऊपन बढ़ा है।
फ्यूचरिस्टिक डिज़ाइन और क्रैश टेस्टिंग
टाटा मोटर्स कारों को डिज़ाइन करते समय कंप्यूटर सिमुलेशन का इस्तेमाल करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दुर्घटना में कार कैसे रिएक्ट करेगी और यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी खुद भी कई क्रैश टेस्ट करती है ताकि यह पता चल सके कि कार कितनी मज़बूत है और यह सुनिश्चित हो सके कि गाड़ियां भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों पर खरी उतरती हैं।
इन बातों पर भी कंपनी का ध्यान
टाटा मोटर्स ग्राहकों से लगातार फीडबैक लेती है और उस फीडबैक के आधार पर कारों में सुधार करती है। इसके अलावा, गाड़ियों में नई तकनीक लाने में भी टाटा मोटर्स आगे रहती है। इन सब वजहों से टाटा मोटर्स की गाड़ियां ज़्यादा सुरक्षित और मज़बूत होती हैं।
