सार
शायद ये पहली बार है कि आवंटन में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को भी पूरी तावज्जो देने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। RJD टिकट बंटवारे के लिए निजी एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट का भी सहारा ले रही है।
पटना। इस बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar polls 2020) में कई नई चीजें देखने को मिल रही हैं। ये बदलाव और नयापन पार्टियों के कैम्पेन और टिकट बंटवारे में भी नजर आने लगा है। वैसे बीजेपी (BJP) कार्यकर्ताओं की पार्टी मानी जाती है। लेकिन शायद ये पहली बार है कि आवंटन में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को भी पूरी तावज्जो देने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। कार्यकर्ताओं की ही इच्छा के मुताबिक टिकट बांटे जा रहे हैं। पार्टी ने टिकट आवंटन (Ticket Distribution In BJP) का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है। उधर, आरजेडी (RJD) भी बहुत सावधानी से टिकटों का आवंटन कर रही है। स्क्रूटनी टीम को खास निर्देश दिए गए हैं। चर्चा यह भी है कि पार्टी टिकट बंटवारे के लिए निजी एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट का भी सहारा ले रही है।
टिकट के लिए बीजेपी की क्या योजना है?
जानकारी के मुताबिक बीजेपी इस बार पैराशूट कैंडिडेट यानी टिकट की चाह में दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने से बचने की कोशिश में है। इस बारे में पहले ही एक वर्चुअल मीटिंग में नेताओं को दो टूक निर्देश मिल चुका है। योजना यह है कि कार्यकर्ताओं के बीच से ही प्रत्याशी चुना जाए। पार्टी ऐसे कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाना चाहती है जो क्षेत्र में लोकप्रिय हो और जिसके नाम पर लोकल यूनिट के कार्यकर्ता भी सहमत हों। यह बदलाव समर्पित कार्यकर्ताओं की भागीदारी और उनकी इच्छा के सम्मान के लिए किया जा रहा है। बताने की जरूरत नहीं कि बूथ से लेकर केंद्रीय स्तर तक बीजेपी का मजबूत आधार है।
सर्वश्रेष्ठ चुनने की कोशिश
हर एक विधानसभा सीट से टिकट दावेदारों के बीच सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। इसके लिए जिला और उससे निचली ईकाई के कार्यकर्ताओं की इच्छा जानी जाएगी। कार्यकर्ताओं की सहमति के बाद ही उम्मीदवारों के नाम को प्रदेश ईकाई से मंजूरी मिलेगी। यह सबकुछ पार्टी के अंदर के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाने और चुनाव में कार्यकर्ताओं की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए है।
आरजेडी में क्या प्रक्रिया है
उधर, आरजेडी में 11 हजार से ज्यादा दावेदारों ने चुनाव पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। जानकारी के मुताबिक पार्टी की स्क्रूटनी टीम 11 हजार दावेदारों में से करीब 750 बायोडाटा का चयन करेगी। इसके बाद पार्टी सर्वे रिपोर्ट (RJD Conducting Survey For Ticket) से दावेदारों की कंडीशन का मिलान करेगी। जो दावेदार सर्वश्रेष्ठ होंगे उन्हें ही टिकट दिया जाएगा। सर्वे के लिए पार्टी ने एक निजी एजेंसी को काम सौंपा है। बताया जा रहा है कि एजेंसी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। स्क्रूटनी बायोडाटा और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नाम फाइनल किए जाएंगे।
टिकट वितरण के बाद दिखेगी सच्चाई
आरजेडी इस बार कार्यकर्ताओं की आपत्ति का भी टिकट आवंटन में ध्यान रख रही है। बाद में पार्टी का संसदीय दल नामों पर अंतिम मुहर लगाएगा। वैसे आरोप लगता रहा है कि पार्टियां वंशवाद, जातीय गणित में फिट बैठने वाले आर्थिक रूप से सम्पन्न दावेदारों को ही पार्टियां टिकट थमाती हैं। प्रत्याशियों के नाम के ऐलान के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि टिकट दावेदारी और वितरण में जमीनी कार्यकर्ताओं का कितना ख्याल रखा गया।