सार

प्राणपुर, कटिहार जिले की सामान्य विधानसभा सीट है। 2010 में यहां बहुत नजदीकी चुनावी लड़ाई हुई थी। उस चुनाव की सबसे मजेदार बात यह है कि यहां बिहार की तमाम बड़ी पार्टियां शरद पवार की एनसीपी से पिछड़ गई थीं। 

कटिहार/पटना। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है।

प्राणपुर, कटिहार जिले की सामान्य विधानसभा सीट है। 2010 में यहां बहुत नजदीकी चुनावी लड़ाई हुई थी। तब एक-एक वोट कीमती हो गए थे। उस चुनाव की सबसे मजेदार बात यह है कि यहां बिहार की तमाम बड़ी पार्टियां शरद पवार की एनसीपी से पिछड़ गई थीं। 2010 में प्राणपुर सीट एनडीए में बीजेपी के पास थी और बिनोद कुमार सिंह को टिकट मिला था। उनके सामने एनसीपी से इशरत परवीन, कांग्रेस की ओर से अब्दुल जलील, आरजेडी से महेंद्र और अहम निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक सुदर्शन मैदान में थे। 

मैदान में थे 16 प्रत्याशी 
कुल 16 उम्मीदवार प्राणपुर के लिए लड़ रहे थे। हालांकि आरजेडी, एलजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार भी यहां सीधी लड़ाई में नहीं थे। बीजेपी से सीधी लड़ाई में आकर एनसीपी प्रत्याशी ने सबको चौंका दिया था। प्राणपुर सीट पर मुस्लिम मत हमेशा से निर्णायक रहे हैं लेकिन लामबंद नहीं दिखें। उस चुनाव में भी यहां बिहार से अलग राजनीति दिख रही थी। लालू यादव की आरजेडी रेस से बाहर थी। बिहार की राजनीति को छोड़कर स्थानीय मुद्दे, जाति और धर्म का गणित नजर आया था। 

 

एनसीपी ने बड़े दलों को किया हैरान 
मतगणना के शुरुआती रुझान में ही बीजेपी से करीबी मुक़ाबला करने वाली इशरत परवीन ने सबको चौंका दिया। तमाम दूसरे उम्मीदवार दोपहर तक रेस से बाहर हो चुके थे और अपनी जमानत बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उस दौरान मतगणना के रुझान जिस तरह आ रहे थे उसे देखकर कई बार लगा कि एनसीपी उम्मीदवार सब पर भारी पड़ेगा। हालांकि आखिरी राउंड के बाद जब नतीजों की तस्वीर साफ हुई तो इशरत परवीन मात्र 716 वोट से चुनाव हार चुकी थीं। प्राणपुर में मामूली अंतर से जीत दर्ज करने वाले बिनोद कुमार सिंह को 43, 660 वोट मिले थे। 

बड़े दलों को जनता ने नहीं दिया भाव 
दूसरे नंबर पर इशरत को 42, 944 वोट मिले। कांग्रेस के अब्दुल जलील को 13, 925 वोट, आरजेडी को 12,915 वोट और निर्दलीय सुदर्शन को 10,083 वोट मिले। कई प्रत्याशियों ने अपनी जमानत तक गंवा दी। प्राणपुर में पहली बार नेताओं को जनता के एक-एक वोट की कीमत पता चली। तमाम बड़े दलों को जनता ने भाव नहीं ही दिया। बताते चलें कि 2015 में एक बार फिर बीजेपी और एनसीपी के पुराने चेहरों के बीच लड़ाई हुई। मगर इस बार बीजेपी ने बड़े अंतर से जीत हासिल कर ली थी।