सार

आरएलएसपी चीफ उपेंद्र कुशवाहा के अलग होने के बावजूद अभी भी बचे हुए सहयोगी दलों के बीच सीटों पर ज्यादा दावे की वजह से पेंच फंसा हुआ है। ये पेंच महागठबंधन के दोनों बड़े दलों के बीच भी है।

पटना। विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Polls 2020) के लिए पहले फेज का नोटीफिकेशन जारी होने में अब कुछ ही वक्त बचा है, लेकिन विपक्षी दलों के सबसे बड़े महागठबंधन (Mahagathbandhan) में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। आरएलएसपी चीफ उपेंद्र कुशवाहा (RLSP Chief Upendra Kushwaha) के अलग होने के बावजूद अभी भी बचे हुए सहयोगी दलों के बीच सीटों पर ज्यादा दावे की वजह से पेंच फंसा हुआ है। ये पेंच महागठबंधन के दोनों बड़े दलों के बीच भी है। दरअसल, 243 विधानसभा सीटों में कांग्रेस (Congress) ने इस बार 80 से ज्यादा सीटें मांगी थी। आरजेडी (RJD) भी करीब 150 सीटों पर लड़ने का इच्छुक है। अब आरजेडी ने कांग्रेस को दो टूक जवाब देते हुए अंतिम फॉर्मूला दे दिया है। 

इस फॉर्मूले के मुताबिक कांग्रेस को 58 विधानसभा सीटें दी जाएंगी। इसके साथ ही आरजेडी वाल्मीकिनगर में लोकसभा के उपचुनाव की सीट भी देने पर सहमत है। आरजेडी की शर्त है कि कांग्रेस इसे लेने के साथ ही महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) को मुख्यमंत्री का चेहरा मान ले। बताते चलें कि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर दूसरे सहयोगी दलों के साथ कांग्रेस ने भी दबाव बनाने के लिए तेजस्वी के नाम पर आपत्ति जताई है। 

आरजेडी ने दिया ये तर्क 
पार्टी ने फॉर्मूला देते हुए यह भी कहा कि अगर कांग्रेस के पास जीतने लायक उम्मीदवार नहीं हैं तो ज्यादा सीटों को मांगने का कोई तुक नहीं है। पार्टी ने यह भी कहा कि जब लोकसभा का चुनाव राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नेतृत्व में लड़ा गया तो बिहार में सबसे बड़ा दल होने के नाते मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आरजेडी का ही हक है। हालांकि चर्चा यह है कि अभी भी कांग्रेस, आरजेडी के इस फॉर्मूले को मानने के लिए तैयार नहीं है। 

कांग्रेस ने ठुकराया प्रस्ताव 
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (Mrityunjay Tiwari) ने कहा- बिहार में लोग बदलाव का मन बना चुके हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के चेहरे पर जीत मिली थी। बिहार में तेजस्वी विपक्ष का सर्वस्वीकार्य और सबसे बड़ा चेहरा हैं। हकीकत सबको पता है। तिवारी ने यह भी कहा कि महागठबंधन के सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे और बिहार में सरकार बनाएंगे। उधर, कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल (Shakti Singh Gohil) ने मीडिया में दिए जा रहे प्रस्‍तावों को खारिज किया। उन्होंने कहा- इस मसले पर बातचीत और फैसला दोनों दलों के अहम नेता ही ले सकते हैं न कि मीडिया के जरिए कोई समाधान निकल सकता है।   

दरअसल, कांग्रेस की मांग है कि महागठबंधन में दूसरा बड़ा दल होने के नाते उसकी दावेदारी ज्यादा होनी चाहिए। पिछली बार महागठबंधन में आरजेडी-कांग्रेस  के साथ जेडीयू भी थी। कांग्रेस 40 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस बार पार्टी जेडीयू (JDU) के हिस्से की सीटों पर दावेदारी जाता रही है। 

महागठबंधन में अन्य दलों को क्या? 
राज्य में 243 विधानसभा सीटें हैं। इसमें से 145 से 150 पर आरजेडी, 58 से 65 पर कांग्रेस 5 से 8 सीटों पर मुकेश साहनी (Mukesh Sahani) की वीआईपी (VIP) और बाकी सीटें तीनों वामदलों के पास जाने की चर्चा है।