सार

पेंच ऐसा फंसा है कि कोई भी पार्टी किसी फॉर्मूले पर राजी नहीं है। सहयोगी दल वीआईपी (VIP) के जरिए आरएलएसपी (RLSP) ने तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) के नेतृत्व पर सार्वजनिक सवाल भी उठाने शुरू कर दिए हैं। 

पटना। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का ऐसा पेंच फंसा है कि स्थिति भयावह दिख रही है। महागठबंधन (Mahagathbandhan) में वामपंथी पार्टियों के आने के बाद सहयोगी दल ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में हर सहयोगी दल ज्यादा से ज्यादा सीट की मांग करते दिख रहा है। सबसे बड़ा दल और अगुआ होने के नाते आरजेडी (RJD) सबसे ज्यादा सीट खुद रखना चाहती है। लेकिन पेंच ऐसा फंसा है कि कोई भी पार्टी किसी फॉर्मूले पर राजी नहीं है। सहयोगी दल वीआईपी (VIP) के जरिए आरएलएसपी (RLSP) ने तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) के नेतृत्व पर सार्वजनिक सवाल भी उठाने शुरू कर दिए हैं। आज सुबह पार्टी ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा मानने से इंकार कर दिया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि वो आरजेडी के नेता हो सकते हैं महागठबंधन के नहीं। उधर, तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश (Nitish Kumar) पर निशाना साधा है। 

इसके बाद आरएलएसपी ने आरजेडी से चुनाव और सीटों की शेयरिंग को लेकर बहुत जल्द स्थिति स्पष्ट करने का अल्टीमेटम दे दिया है। पार्टी ने इशारों में एक सवाल पर एनडीए (NDA) में भी जाने की बात कही। पार्टी ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सीटों के बंटवारे को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कर रहे। इन्हीं वजहों से जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) ने किनारा कर लिया था। अब दूसरे सहयोगी दल भी अड़ियल रवैये की वजह से अन्य विकल्पों पर विचार करने लगे हैं। पार्टी के प्रधान महासचिव माधव आनंद (Madhav Anand) ने आरोप लगाया कि महागठबंधन में चीजें बहुत देर हो रही हैं। महागठबंधन में हम रहना चाहते हैं, लेकिन पहले कन्फ्यूजन दूर होना चाहिए। 

आरजेडी-कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल 
आरएलएसपी ने यह भी आरोप लगाया कि महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस (Congress) की ओर से कोई पहल नहीं है। महागठबंधन में सहयोगी दलों में आपसी सहमति जरूरी है। तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने कहा- तेजस्वी यादव को कांग्रेस भी नेता नहीं मानती। सभी दलों को मीटिंग कर नेता और एजेंडा पर फैसला लेना चाहिए। आज मुकेश साहनी (Mukesh Sahani) की पार्टी ने भी तेजस्वी की जगह उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को मुख्यमंत्री पद का योग्य चेहरा बताया। मुकेश साहनी को भी डिप्टी सीएम का पद देने की मांग हुई। इससे पहले कुशवाहा महागठबंधन में एक संयोजक की मांग कर चुके हैं जो चीजों पर बात कर सके। 

बनने से पहले ही टूटने की कगार पर महागठबंधन 
महागठबंधन में सभी पार्टियां ज्यादा सीटों की मांग कर रही हैं और खुलकर बयान दे रही हैं। कांग्रेस भी 80 सीटें मांग रही है। कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है। वामपंथी संगठनों ने भी पहले ही ज्यादा सीटें मांग ली हैं और जल्द ही कोई फैसला लेने को कहा है। आरजेडी खुद 150 सीटों पर दावा कर रही है। आरजेडी 2015 की गलती से बचना चाहती है। पार्टी की कोशिश है कि उसके पास इतनी सीटें हों कि नतीजों के बाद कोई नजरअंदाज न कर सके। 2015 में पार्टी की जीत का प्रतिशत नीतीश से बेहतर था। ज्यादा विधायकों के बावजूद नीतीश मुख्यमंत्री बने और बाद में आरजेडी को ही सरकार से बाहर होना पड़ा। 

नीतीश के डीएनए पर तेजस्वी के सवाल 
उधर, 25 सितंबर को बिहार में केंद्र सरकार के किसान बिल का विरोध करने की घोषणा करने वाले तेजस्वी ने नीतीश कुमार से सवाल भी पूछे। तेजस्वी ने पूछा- प्रधानमंत्री ने जो डीएनए पर सवाल उठाया था (2015 में), उस रिपोर्ट का क्या हुआ? नीतीश जी हार मान चुके हैं। वो प्रधानमंत्री के चेहरे का इस्तेमाल कर रहे हैं उनका सहारा ले रहे हैं। किसान बिल को लेकर तेजस्वी ने कहा कि किसान चुनाव में सारा हिसाब-किताब लेंगे।