सार

सहरसा समस्तीपुर रेल लाइन पर स्थित सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन के आगे रेलवे ट्रैक टूटी हुई थी। लेकिन इसकी जानकारी रेलवे को नहीं थी। एक बच्चे की सूझबूछ से बड़ा रेल हादसा टला। 
 

सहरसा। बचपन में लाल कपड़ा दिखा कर टूटी पटरी से गुजरने वाली ट्रेन को रोकने की एक बच्चे की कहानी तो आप सभी लोगों ने पढी ही होगी। आज इस कहानी का हकीकत रूप बिहार में देखने को मिला। बिहार के सहरसा जिले में एक बच्चे के सूझबूझ से यात्रियों से भरी एक ट्रेन दूर्घटनाग्रस्त होते-होते बची। अन्यथा राजद के बिहार बंद के दिन बिहार के इतिहास में एक और बड़े रेलवे हादसा का जिक्र रिकॉर्ड हो जाता। मिली जानकारी के अनुसार सहरसा समस्तीपुर रेल लाइन पर स्थित सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन के आगे 14 नंबर गुमटी के करीब 300 मीटर आगे ट्रैक टूटी हुई थी। लेकिन इसकी जानकारी रेलवे के किसी कर्मचारी को नहीं थी। शुक्रवार की सुबह वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन के गुजरने के बाद  सहरसा-समस्तीपुर 63343 मेमो पैसेंजेर ट्रेन आने वाली थी। तभी टूटे हुए ट्रैक पर बच्चे की नजर पड़ी। 

बच्चे ने दौड़ कर गेटमैन को दी जानकारी
बच्चे को दूर से ट्रेन से आने की आवाज भी सुनाई दी। उसने तुरंत दौड़ कर 14 नंबर गुमटी पर तैनात गेटमैन अनिल कुमार प्रसाद को ट्रैक के टूटे होने की जानकारी दी। जिसके बाद गेटमैन भी उसे देखने पहुंचा। देखते ही गेटमैन ने संभावित खतरे को भांप लिया और सामने से आ रही मेमो पैसेंजर को रोकने के लिए पटरी के बीचो-बीच लांल झंडा गाड़ दिया। गेटमैन ने तुरंत मामले की सूचना सिमरी बख्तियारपुर के स्टेशन मास्टर आलोक रंजन औऱ कोपरिया के स्टेशन मास्टर मनोज कुमार दी। पटरी के बीचों-बीच गड़े लाल झंडे को गड़ा देखकर पैंसेजर के चालक ने गाड़ी को रोक दिया और इस तरह से 14 साल के एक बच्चे की सूझबूझ और गेटमैन की त्वरित कार्यवाही से बड़ा रेल हादसा होते-होते टल गया। 

70 मिनट तक रेल परिचालन रहा ठप
ट्रैक टूटे होने की जानकारी तुरंत रेलवे के वरीय अधिकारियों को दी गई। जिसके बाद ट्रैक को सही करने के लिए टीडब्लयूआई के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे। करीब एक घंटे की मेहनत के बाद ट्रैक को सही किया जा सका। ट्रैक टूटे होने की वजह से करीब 70 मिनट तक इस रूट पर रेल का परिचालन बंद हो गया। रेलवे के वरीय अधिकारियों ने उस बच्चे और गेटमैन की तारीफ की। अधिकारियों ने तापमान में आई गिरावट के कारण ट्रैक के टूटने का  अंदेशा जाहिर किया।