सार

घरों में चूहों के अनाज खाने, बोरी काटने सहित अन्य कारनामें तो आप रोज देखते ही होंगे। कई बार चूहें कीमती कागजातों को भी बर्बाद कर देते है। अब चूहों के कारण बिहार के नियोजित शिक्षकों का हालत खराब हो गई है। 
 

पटना। बिहार के चूहों का कारनामा ऐसा है, जिसपर पहली बार में विश्वास करना मुश्किल होता है। दो साल पहले जब यह खबर सामने आई थी कि बिहार में चूहे 9 हजार लीटर शराब पी गए तो लोग हैरान हो गए थे। चूहों के शराब पीने के इस दावे पर कई सवाल भी उठे थे। लेकिन चूंकि दावा बिहार पुलिस ने किया था तो मामले की सच्चाई सामने नहीं आ सकी। हालांकि इतना जरूर था इस मामले के सामने आने के बाद बिहार पुलिस की खूब किरकिरी हुई थी। अब बिहार के चूहों पर एक और बड़ी तोहमत मढ़ी गई है। बताया गया है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर बिहार में शिक्षक बने अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र को चूहों ने कुतर दिया। मामला सामने आने के बाद बिहार शिक्षा विभाग की परेशानी बढ़ गई है। 

नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र का फोल्डर कुतरा 
दरअसल बिहार में शिक्षक पद पर हुई बहाली के बारे में कहा गया था कि कई अभ्यर्थी फर्जी प्रमाण पत्र देकर शिक्षक बन गए थे। इसकी जांच चलाई जा रही है। सभी अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र की जांच अभी की भी जा रही थी कि यह बात सामने आया कि करीब 40 हजार नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र वाले फोल्डर को चूहों ने कुतर दिया है। प्रमाणपत्र कुतर दिए जाने से मामले की जांच अटक गई है। आशंका जताई जा रही है कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी देने वाले लोगों ने साजिशन फाइल को चूहों से कुतरवा दिया हो अथवा फाइल को गायब कर चूहों के सिर ये इल्जाम मढ़ दिया हो। 

प्रमाण पत्रों को सुरक्षित रखने का नहीं है कोई इंतजाम
हालांकि मामले में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षक जैसे प्रतिष्ठित पद पर सरकारी नौकरी देने वाली ईकाइयों के पास क्या प्रमाण पत्रों को सुरक्षित रखने का कोई इंतजाम नहीं है। कुछ लोग ये भी सवाल खड़े कर रहे हैं कि कुछ भ्रष्ट जिम्मेदारों की मिलीभगत से करप्शन के मामले को छिपाने के लिए बेजुबान जीव को मोहरा बनाया गया है। बताते चले कि इससे पहले शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार पुलिस ने दावा किया था कि जब्त किए गए शराब में से 9 हजार लीटर शराब चूहे पी गए। बिहार पुलिस के इस दावे भी जमकर सवाल खड़े किए गए थे।