सार

16 मई 1952 को पहला बजट पेश किया गया। वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह ने बिहार की जनता से कंजूसी करने का आग्रह किया था। 1951 में बिहार को खाद्यान्न की भारी कमी हो गई थी। केंद्र ने बिहार को 7 लाख 61 हजार टन खाद्यान्न भेजा था।

पटना। बिहार विधानसभा में सोमवार दोपहर 2 बजे उप मुख्यमंत्री/ वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश करेंगे। तारकिशोर प्रसाद दूसरी बार बजट पेश करने जा रहे हैं। इस साल के बजट का आकार पिछले बजट से थोड़ा बड़ा होने की संभावना है। 70 साल पहले बिहार विधानसभा में पहला बजट पेश हुआ था, तब वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह थे। पहला बजट 2 करोड़ रुपए घाटे का था। बिहार बजट के इतिहास में कई दिलचस्प किस्से हैं। इस खबर में हम आपको बिहार बजट से जुड़े रोचक किस्से बताएंगे।

वित्तीय वर्ष 1952-53 में बिहार विधानसभा में सिर्फ 30 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया था। तब बजट भाषण में ये अनुमान भी लगाया गया था कि बिहार को विभिन्न स्रोतों से 28 करोड़ रुपए की आय होगी। तब मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह थे। पहले वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा था कि राज्य में खाद्यान्न की कमी के चलते पिछले वर्ष 2 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। अगले बजट में यह राशि दोगुनी हो सकती है। 

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जानें पहले बजट के रोचक पहलू

  1. 16 मई 1952 को पहला बजट पेश किया गया। वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह ने बिहार की जनता से कंजूसी करने का आग्रह किया था। 
  2. 1951 में बिहार को खाद्यान्न की भारी कमी हो गई थी। केंद्र ने बिहार को 7 लाख 61 हजार टन खाद्यान्न भेजा था। हालांकि, केंद्र सरकार से प्रति साल 3.2 करोड़ मिलने की उम्मीद थी। बजट भाषण में ये राशि बढ़ाने की केंद्र से मांग की गई थी।

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  1. 1952 में बिहार में मकई और रबी की फसल अच्छी हुई थी। हालांकि, चावल की कमी को पूरा करने के लिए नेपाल पर निर्भरता थी। उत्तर बिहार को नेपाल से आयातित चावल से पेट भरना होता था।
  2. बिहार खाद्यान संकट संकट झेलता था। 1948 से 1952 तक अधिक ‘अन्न उपजाओ आंदोलन' चलाया गया था। इसके लिए केंद्र सरकार ने बिहार को 3 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था। जबकि राज्य सरकार ने अपनी तरफ से 7 करोड़ रुपये खर्च किए थे। 
  3. दो साल तक सूखा होने के चलते गांवों में जलापूर्ति पर 4 लाख रुपए खर्च का प्रावधान किया गया था। शहरों में नल का जल आपूर्ति के लिए यह राशि 64 लाख थी।
  4. साल 1952 में देश में सबसे पहले बिहार ने भूमि सुधार कानून-1952 सदन में पारित किया गया, जिसे बाद में केंद्र सरकार ने भी अपनाया।

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प्रति व्यक्ति आय में भी फिसड्‌डी था बिहार

  1. पैसे के अभाव में कोई नई योजना लॉन्च नहीं की गई थी। सरकार को 50 लाख रुपए की अतिरिक्त बचत की उम्मीद थी। प्रति व्यक्ति राजस्व प्राप्ति में बिहार अन्य राज्यों की तुलना में पीछे था।
  2. अकाल के कारण पिछले दो वित्तीय वर्षों में बिहार सरकार को 9 करोड़ 43 लाख रुपये सहायता मद में खर्च करना पड़ा था। इसमें किसानों का ऋण भी शामिल है। 
  3. केंद्र से मदद की उम्मीद थी। सिर्फ 48 लाख रुपये का अनुदान ही स्वीकृत किया गया। इससे राज्य पर अतिरिक्त बोझ आया और राजस्व में जमा राशि घटकर 22 लाख रुपये रह गई।
  4. पंचवर्षीय योजना के तहत बिहार को पांच वर्षों में केंद्र से 30 करोड़ रुपये मिलने थे, जबकि अनुदान और ऋण को मिलाकर सिर्फ 1.46 करोड़ ही मिले।

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  1. स्वतंत्रता आंदोलन में जानमाल या अंगभंग से पीड़ित 15 हजार 529 असहाय सेनानी थे, जिनकी मदद के लिए 58 लाख रुपये व्यय का आकलन किया गया। 
  2. एक वर्ष पहले इस मद में 24 लाख रुपये खर्च हुए थे। वित्तमंत्री ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो रकम बढ़ाई जाएगी।

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