सार
नृत्य के दौरान बच्चे 22 तरह की कलाएं करते हैं। वे घंटो-घंटों इसमें लीन हो जाते हैं। 44 साल पहले इसकी शुरुआत के बाद से ही लगातार यह नृत्य होता चला आ रहा है। शिव तांडव पर बच्चों का यह नृत्य काफी मनमोहक भी होता है।
मुंगेर : बिहार (Bihar) के मुंगेर (Munger) के आनंद मार्ग धर्म महासम्मेलन में एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसे देख हर कोई आश्चर्य से भर जा रहा है। बाबा नाम केवलम अष्टक्षरी मंत्र पर बीमारियों को दूर करने बच्चे अपने हाथ में नरमुंड और खंजर लेकर शिव तांडव स्त्रोत पर नृत्य करते हैं। इस दौरान बच्चे करीब 22 तरह की करतब करते हैं। डांस करने वाले बच्चों को आनंदमार्गी कहा जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से बीमारियां उनसे कोसो दूर रहती हैं और कई बीमारियां तो अपने आप खत्म भी हो जाती हैं।
करीब 44 साल पहले नृत्य की शुरुआत
आनंद मार्ग के आचार्य मुक्तेश्वरानंद अवधूत इस नृत्य को लेकर बताते हैं कि इस नृत्य की शुरुआत करीब 44 साल पहले हुई थी। तब उनके गुरु आनंदमूर्ति सरकार ने इसको शुरू किया था। उन्होंने बताया कि जो भी इंसान जन्म लेता है, उसके मन में हमेशा ही मौत का डर बना रहता है। बच्चे हाथ में जिस नरमुंड को लेकर डांस करते हैं, वह नरमुंड मृत्यु का प्रतीक है। अब अगर मृत्यु के प्रतीक को ही हाथ में लेकर कोई भी नृत्य करेगा तो उसका यह भय स्वत: ही समाप्त हो जाएगा।
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खंजर रक्षा का प्रतीक है
आचार्य मुक्तेश्वरानंद बताते हैं कि मृत्यु के भय को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त करने ही बच्चों के हाथ में नरमुंड दिया जाता है। नरमुंड की बजाय सांप या भय वाली कोई भी प्रतीक का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बच्चों के दूसरे हाथ में खंजर लेने को लेकर वे बताते हैं कि खंजर का अर्थ होता है रक्षा करना। यह बच्चों को आत्मरक्षा के गुर सिखाता है। वैज्ञानिक तरीके से भी यह बच्चों की स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इसलिए खंजर का इस्तेमाल भी नृत्य के दौरान किया जाता है।
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यह नृत्य सबसे बड़ी औषधि
आचार्य मुक्तेश्वरानंद अवधूत आगे बताते हैं कि। जिस नृत्य को आनंदमूर्ति सरकार ने शुरू किया था, वह आज भी जारी है। यह नृत्य शारीरिक और मानसिक रोगों की सबसे बड़ी औषधि है। महिलाओं को अगर कोई बीमारी है तो यह नृत्य उनके लिए संजीवनी का काम करता है। हर दिन इस नृत्य को करने से 22 तरह की अलग-अलग बीमारियां दूर हो जाती हैं। शारीरिक व्यायाम भी होता है। इससे मन तो मजबूत होता है साथ ही शरीर के कई अंग ऐसे भी हैं जो काफी मजबूत हो जाते हैं। इससे मन पर नियंत्रण भी बनता है। शरीर के जिन रोगों से इस नृत्य से आराम मिलता है, उनमें स्पाइनल कॉर्ड, कंधे ,कमर, हाथ और अन्य संधि स्थलों का वात शामिल है।
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