सार
शरद यादव ने कहा कि देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बिखरे हुए जनता परिवार को एक साथ लाने के मेरे नियमित प्रयासों की पहल के रूप में यह कदम जरूरी हो गया है।
एक समय था जब वर्ष 1989 में अकेले जनता दल के पास लोकसभा में 143 सीटें थीं।
पटना : बिहार (Bihar) की राजनीति की आबोहवा बदलने वाली है। साल 2018 में सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते जेडीयू से बगावत करने वाले शरद यादव (Sharad Yadav) अब लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के साथ खड़े दिखाई देंगे। शरद यादव जल्द ही अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में विलय करने जा रहे हैं। यह जानकारी खुद शरद यादव ने दी है। होली के बाद 20 मार्च को आधिकारिक तौर पर LJD का RJD में विलय होगा।
बिखरे जनता परिवार को साथ लाना है - शरद यादव
शरद यादव ने कहा कि देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बिखरे हुए जनता परिवार को एक साथ लाने के मेरे नियमित प्रयासों की पहल के रूप में यह कदम जरूरी हो गया है।
एक समय था जब वर्ष 1989 में अकेले जनता दल के पास लोकसभा में 143 सीटें थीं। जनता दल परिवार ने अतीत में विशेष रूप से मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद अलग-अलग सरकारों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद, देश में वंचित वर्गों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में काफी उत्थान देखने को मिला है।
कब से बन रही पटकथा
जानकारी के मुताबिक अगस्त 2021 में लालू यादव ने दिल्ली में शरद यादव से मुलाकात की थी। यहीं से इसकी स्क्रिप्ट लिखी जाने लगी थी। उस समय भी सियासी रूप से किसी बड़े फैसले के संकेत मिले थे। लालू ने विपक्षी नेताओं से लगातार मुलाकात को लेकर कहा था कि लोग मिल रहे हैं, बात हो रही है। तब लालू ने चिराग पासवान (Chirag Paswan) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के साथ आने की उम्मीद जताई थी। तभी से ऐसा कहा जाने लगा था कि बिहार में जल्द ही नया गठजोड़ होसकता है।
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राज्यसभा का रास्ता होगा आसान
लंबे समय से राजनीति से गायब शरद यादव अब सक्रिय राजनीति में लौटना चाहते हैं। एलजेडी का आरजेडी में विलय होने के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव उनको राज्यसभा भेज सकते हैं। इस साल जुलाई में बिहार में राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं। दो सीटें बीजेपी (BJP), एक सीट जदयू (JDU) के पास जाएगी। जबकि दो सीटें आरजेडी के पास आएगी। आरजेडी शरद यादव को राज्यसभा भेज सकती है। उनकी बेटी सुभाषिनी यादव जो 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस से चुनाव लड़ी थीं, उनको आरजेडी संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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क्या नीतीश कुमार की बढ़ेगी चुनौती
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बिहार में नीतीश कुमार को चुनौती देना इतना आसान नहीं है लेकिन शरद यादव और लालू यादव के साथ आने से राज्य का यादव मतदाता पूरी तरह उनके साथ जा सकता है जिसका चुनावों में असर भी देखने को मिलेगा। वैसे भी इस वक्त नीतीश कुमार को विपक्ष लगातार घेर रहा है। ऐसे में दोनों दलों के विलय से इनकी ताकत में निश्चित तौर पर थोड़ी बढ़ेगी लेकिन यह नीतीश के सामने चुनौती बन सकती है यह तो भविष्य ही बता सकता है।
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