सार
पटना हाईकोर्ट के वकील राजेंद्र सिंह को सीबीआई ने शुक्रवार को फ्रॉड के एक केस में गिरफ्तार किया है। वकील पर आरोप है कि उन्होंने 277 किलो गांजा को 7 किलो बताकर तस्करों को जमानत दिलवाई।
पटना। कानून का हाथ लंबा होता है, फिल्मों में आपने कई बार इस कहावत सुनी होगी। सिनेमाई दुनिया से इतर हकीकत में आपराधिक गिरोह के लोगों के वकील सबसे बड़े मददगार होते हैं। जो बड़े से बड़े अपराधों में अपने मुक्किल कानून से बचाते हैं। लेकिन कई बार ऐसा ही हुआ है कि वकीलों का रचा गया फरेब सामने आया है और दोषी को बचाने के अपराध में वकीलों को जेल की हवा खानी पड़ी है। हालिया मामला पटना है। जहां एक वकील ने अपने मुक्किल को बचाने के पुलिस द्वारा बरामद किए गए 277 किलो गांजा को पहले 27 किलो और फिर सात बताकर रिहा कराने में कामयाब रहे। अपनी चालाकी से वकील साहब गांजा के तीन तस्करों को रिहा कराने तो सफल रहे लेकिन खुद फंस गए। सीबाआई ने फर्जीवाड़े के आरोपी वकील को शुक्रवार को गिरफ्तार कर जेल दिया।
निचली अदालत ने रद्द कर दी थी जमानत याचिका
मामला 2015 का है। डीआरआई ने तीन तस्करों को 277 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किया था। कानूनी कार्रवाई के बाद तस्करों को जेल भेजा गया था। जमानत के लिए गांजा तस्करों ने निचली अदालत में अर्जी दी थी। लेकिन वहां से याचिका रद्द होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में वकील राजेंद्र सिंह के मदद से अपील की थी। पहली बार जमानत याचिका में 27 किलो गांजा का जिक्र किया गया था। जिसे 16 दिसंबर 2015 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। उसके बाद मई 2016 में फिर से जमानत याचिका दायर की गई, जिसमें 277 किलो गांजा को मात्र सात किलो बताया गया था। इस याचिका के आधार पर तीनों स्मगलरों को बेल मिल गई थी।
सीबीआई को दिया गया था जांच का जिम्मा
2016 में तीनों तस्करो (वैशाली के सुबोध कुमार सिंह तथा असम के नूर आलम व प्रमोद सहनी) को जमानत मिलने के बाद मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया। अपनी जांच में सीबीआई ने इस फर्जीवाड़े को सामने लाया। जांच में यह खुलासा हुआ कि जमानत दिलाने के लिए वकील ने बरामद किए गए 277 किलो गांजा को पहले 27 और फिर सात किलो बताकर कोर्ट को गुमराह किया। मामले में शुक्रवार को सीबीआई ने वकील राजेंद्र सिंह उर्फ शास्त्री जी को गिरफ्तार किया।