सार

लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के प्रवासी श्रमिक वापस आने के बाद क्वारेंटाइन सेंटर में रखे गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रवासियों से वीडियो क्रॉफ्रेंसिंग के जरिए सीधी बातचीत की। 
 

पटना। भोजपुरी सिंगर और एक्टर खेसारी लाल यादव का एक गाना पिछले साल काफी हिट हुआ था। गाने के बोल थे- नून रोटी खाएंगे, जिंदगी संगही बिताएंगे... शनिवार को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो क्रॉफ्रेंसिंग के जरिए प्रवासी मजदूरों का हाल जाना तो अररिया के एक श्रमिक ने इसी गाने के तर्ज पर कहा कि नून रोटी खाएंगे, कोरोना को भगाएंगे, अब वापस नहीं जाएंगे, इतना सुनते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसी गाने की तर्ज पर जवाब दिया -ठीक है। इसके बाद फारबिसगंज क्वारेंटाइन सेंटर पर मौजूद प्रवासियों और अधिकारियों ने खूब तालियां बजाईं। 

अररिया के श्रमिक के साथ दिखी संगीतमय जुगलबंदी
सीएम के साथ ये संगीतमय जुगलबंदी अररिया के एमएस टेढ़ी मसहरी, फारबिसगंज केंद्र पर 10 मई को चंडीगढ़ से आए प्रवासी श्रमिक के साथ हुई बातचीत में देखने को मिली। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने 20 जिलों के 40 क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासियों से बातचीत की। सबने एक सुर में कहा- हम यहीं रहकर काम करेंगे। चाहे कुछ भी हो जाए, अब हमें वापस नहीं जाना है। सीवान के बीपी पब्लिक स्कूल, अमरोली में गाजियाबाद से आए एक प्रवासी श्रमिक ने बताया कि वे वहां मेट्रो प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन में काम करते थे। अब वे अपने राज्य में ही रहकर काम करना चाहते हैं।

अब यहीं रहकर काम शुरू करना चाहते हैं
मुजफ्फरपुर में महिला कॉलेज, बेला केंद्र पर पंजाब के जालंधर से आई प्रवासी महिला ने कहा कि वह जूता फैक्ट्री में काम करती थी, पति भी वहीं साथ थे। अब दोनों यहीं रहकर अपना काम शुरू करना चाहते हैं। क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासियों ने कहा कि उन्हें यहां किसी तरह की दिक्कत नहीं है। समय पर भोजन मिलता है। दूध और बच्चों को बिस्किट भी मिल रहा है। मच्छरदानी, बिछावन, बरतन, साबुन, कपड़े और अन्य जरूरी सामान भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने शेखपुरा, भोजपुर, कैमूर, नवादा, सुपौल और मधेपुरा में भी क्वारेंटाइन सेंटर पर रह रहे प्रवासियों से बात की।

सीएम के सामने सभी व्यवस्था दिखी दुरुस्त
प्रवासी मजदूरों के साथ सीएम की हुई वीडियो क्रॉफ्रेंसिंग के दौरान कैमरे की जद में आने वाले सभी स्थानों की व्यवस्था दुरुस्त दिखी। प्रवासी मजदूरों ने भी कहा कि उन्हें क्वारेंटाइन में कोई दिक्कत नहीं है। जिसपर मुख्यमंत्री ने भी संतुष्टि जताई। हालांकि दूसरी ओर बांका, खगड़िया, जमुई, मधेपुरा जैसे कई जिलों के क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों के सुविधाओं के अभाव में विरोध-प्रदर्शन करने की तस्वीरें भी सामने आ चुकी है। कटिहार से श्रमिक मजदूर क्वारेंटाइन से भाग भी चुके हैं।