सार
यूनेस्को ने अपनी लुप्तप्राय विरासत सूची में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के लंगट सिंह कॉलेज में स्थित ऑर्व्जवेटरी यानी वेधशाला को शामिल किया है। यह कॉलेज 123 साल पुराना है, जबकि वेधशाला 106 साल पुरानी है। लिस्ट में आने के बाद से यह सुर्खियों में है।
मुजफ्फरपुर। बिहार की 106 साल पुरानी खगोलीय वेधशाला को यूनेस्को ने दुर्लभ विरासत वेधशाला की सूची में शामिल किया है। इसके बाद से यह वेधशाला सुर्खियों में आ गई है। बिहार के लोगों का मानना है कि यह उनके लिए ही नहीं बल्कि, देश के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। ऐसे में बिहार सरकार और केंद्र सरकार, दोनों ही इसके रखरखाव पर बेहतर ध्यान दे, जिससे इसका संरक्षण बेहतर तरीके से हो सके।
यह वेधशाला मुजफ्फरपुर जिले के लंगट सिंह कॉलेज में है और इसकी स्थापना 1916 में की गई थी। तब यह पूर्वी भारत की पहली वेधशाला थी। इसके जरिए कॉलेज के अलावा, बिहार के दूसरे हिस्सों और अन्य राज्यों के छात्र भी यहां खगोलीय ज्ञान हासिल करने के लिए आते थे। इसके बाद कॉलेज में 1946 में एक तारामंडल भी स्थापित किया गया था। अगले तीन दशक तक तो यह तारामंडल बेहतर स्थिति में रहा, मगर इसके बाद तारामंडल के रखरखाव और देखभाल में लापरवाही बरती जाने लगी।
नीतीश कुमार आए और बोले- हालत सुधारंगे, बाद में वे इसे भूल गए
लंगट सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल ओपी राय के अनुसार, 1970 और इसके बाद से इस तारामंडल के लिए हालात बुरे होते गए। यहां की बहुत मशीनें या तो चुरा ली गई या फिर खराब हो गईं और उन्हें बाद में ठीक नहीं कराया गया, जिसकी वजह से वे कबाड़ में तब्दील हो गईं। राज्य सरकार पर इसकी अनदेखी का आरोप लगाते हुए ओपी राय ने कहा, कुछ साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां का दौरा किया था। तब उन्होंने इसके जीर्णोद्धार और इसे फिर से शुरू करने को लेकर अनुदान देने की बात कही थी, मगर इसमें कुछ नहीं हुआ।
123 साल पुराना है लंगट सिंह कॉलेज
अब यूनेस्को की ओर से इसे लुप्तप्राय विरासत वेधशालाओं की सूची में शामिल किया गया है, जिसके बाद उम्मीद है, राज्य सरकार इसके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएगी। यह सिर्फ इस वेधशाला या कॉलेज के लिए ही नहीं बल्कि, बिहार और देश के लिए भी गर्व करने वाली बात है। हर किसी के लिए यह महान क्षण है, खासकर उनके लिए जो इसके विकास के लिए हमेशा से प्रयास करते रहे हैं। बता दें कि लंगट सिंह कॉलेज अब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से संबद्ध है और इसकी स्थापना 1899 में हुई थी।
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