सार
रघुवंश प्रसाद सिंह राजद में बड़े सवर्ण चेहरे हैं और ऊंची जातियों के वोट को अपने पाले में लाने वाले नेता हैं। बताया जाता है कि वैशाली लोकसभा क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी माने जाते हैं। पार्टी के सभी फैसलों में साथ खड़े रहते हैं। यहां तक कि जब राजद ने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया था तब भी ये पार्टी के साथ थे। अपने क्षेत्र में सवर्ण आरक्षण के खिलाफ धरने पर भी बैठे थे।
पटना ( Bihar) । बिहार चुनाव के पहले आरजेडी (राजद) को एक और झटका लगा है। आज आठ में से पांच विधान परिषद सदस्यों ने जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया है। इसके साथ ही जनता दल यूनाइटेड एक बार फिर सदन में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। वहीं, खबर है कि राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी अपना इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा है कि वो वैशाली के पूर्व सांसद रामा सिंह के पार्टी में आने ने नाराज चल रहे थे। हालांकि, अभी पार्टी की तरफ से उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह और रामा सिंह के बीत सियासी दुश्मनी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने रामा सिंह को टिकट नहीं दिया था। तब राजद ने रामा सिंह को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी। लेकिन, रघुवंश प्रसाद के विरोध के आगे पार्टी को झुकना पड़ा था।
राजद में बड़े चेहरे हैं रघुवंश प्रसाद
रघुवंश प्रसाद सिंह राजद में बड़े सवर्ण चेहरे हैं और ऊंची जातियों के वोट को अपने पाले में लाने वाले नेता हैं। बताया जाता है कि वैशाली लोकसभा क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी माने जाते हैं। पार्टी के सभी फैसलों में साथ खड़े रहते हैं। यहां तक कि जब राजद ने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया था तब भी ये पार्टी के साथ थे। अपने क्षेत्र में सवर्ण आरक्षण के खिलाफ धरने पर भी बैठे थे।
ये है नाराजगी की वजह
पूर्व सांसद रामा सिंह ने पिछले दिनों ही तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी। रामा के 29 जून को राजद ज्वाइन करने की बात कही जा रही थी। इसी बात से रघुवंश प्रसाद सिंह काफी नाराज थे, क्योंकि रघुवंश प्रसाद सिंह और रामा सिंह के बीत सियासी दुश्मनी है। राजद के टिकट पर रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। 2014 में रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजद और रामा सिंह ने लोजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इसमें रघुवंश प्रसाद सिंह चुनाव हार गए थे।