सार
इस मामले में इंजीनियर राजीव रंजन झा, हेल्पर सुशील यादव समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआरएम आलोक अग्रवाल ने इंजीनियर, हेल्पर और डीजल शेड पोस्ट पर तैनात दारोगा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
समस्तीपुर : बिहार (Bihar) में रेलवे स्टेशन पर खड़े ट्रेन के स्टीम इंजन को कबाड़ी को बेचने वाला आरोपी इंजीनियर गिरफ्तार कर लिया गया है। मामला समस्तीपुर (Samastipur) रेल मंडल के पूर्णिया स्टेशन का है। यहां डीजल शेड में कार्यरत एक इंजीनियर ने स्टेशन पर खड़े करोड़ों रुपए के स्टीम इंजन को कबाड़ी को बेच दिया था। वह छह महीने से पुलिस से छिप रहा था। 17 जून को पुलिस उसे नोयडा (Noida) से गिरफ्तार कर लिया है। खगड़िया कोर्ट में पेशी के बाद उसे रिमांड पर लिया गया है। इंजीनियर का नाम राजीव रंजन झा है। RPF की पूछताछ में उसने कई खुलासे किए हैं। रेलवे पुलिस को अब स्क्रैप कारोबारी पंकज कुमार ढनढनिया की इसी मामले में तलाश है।
गिरफ्तारी का खुलासा क्यों नहीं
जानकारी के मुताबिक 23 जून को आरोपी सेक्शन इंजीनियर की रिमांड खत्म हो गई। रेलवे पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी का खुलासा इसलिए नहीं किया ताकि जांच किसी भी तरीके से प्रभावित न हो सके। अब तक इस मामले में पांच आरोपी जेल जा चुके हैं। जिसमें से चार की गिरफ्तारी हुई, जबकि एक ने खगड़िया कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। सरेंडर करने वाला आरोपी हेल्पर सुशील यादव है। वहीं, जेल जाने वाले आरोपियों में नीरज ढनढनिया, उसका मुंशी राम पदार्थ शर्मा, हाईवा का ड्राइवर शिशुपाल सिंह शामिल है।
यह है पूरा मामला
यह पूरा मामला पिछले साल 2021 का है। 14 दिसंबर 2021 को समस्तीपुर डीजल शेड के इंजीनियर राजीव रंजन झा, हेल्पर सुशील यादव के साथ पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास कई साल से खड़े स्टीम इंजन को गैस कटर से कटवा रहे थे। उसी वक्त आउट पोस्ट प्रभारी एमएम रहमान आर ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो इंजीनियर ने डीजल शेड के डीएमई का एक पत्र दिखाते हुए कहा कि आरपीएफ को लिखित रूप से मेमो दिया गया है। इंजन का स्क्रैप वापस डीजल शेड ले जाना है। इसके अगल दिन जब महिला सिपाही संगीता ने स्क्रैप लोड पिकअप के प्रवेश की एंट्री देखी तो वह नहीं था।
रजिस्टर में फर्जी एंट्री
मामले का किसी को पता न चले इसके लिए डीजल शेड पोस्ट के दारोगा वीरेंद्र द्विवेदी की मिलीभगत से उसने आवक रजिस्टर पर एक पिकअप वैन स्क्रैप के अंदर प्रवेश करने संबंधी एंट्री करवा दी। लेकिन जब इसका कोई सबूत नहीं मिला तो महिला सिपाही ने सीनियर अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। जैसे ही इस चोरी का खुलासा हुआ सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। आरपीएफ ने पूछताछ शुरू की तो डीएमई ने बताया कि इंजन का स्क्रैप लाने संबंधित कोई आदेश ही जारी नहीं हुआ है। इसके बाद स्क्रैप की खोज शुरू हुई लेकिन दो दिन तक स्क्रैप लोड वाहन की कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद इस मामले में केस दर्ज हुआ।
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