सार
श्याम रजक ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि अगर दल-बदल कानून के तहत जेडीयू के 25 से 26 विधायक पार्टी छोड़कर आरजेडी में शामिल होंगे तो उनकी सदस्यता पर आंच नहीं आएगी। इसलिए उन्हें फिलहाल रोका गया है। क्योंकि अगर सिर्फ 17 विधायक आरजेडी में शामिल होते हैं तो दल-बदल कानून के अंतर्गत इनकी सदस्यता रद्द हो सकती है। लेकिन, बहुत जल्द जेडीयू के विधायक राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होंगे।
पटना (Bihar) । बिहार की राजनीति पर फिर से पूरे देश की नजर लग गई है। आरजेडी ने साफ कर दिया है कि वो अगर तेजस्वी यादव को सीएम बना दें तो नीतीश कुमार को वो आने वाले समय में महागठबंधन की ओर से पीएम पद का दावेदार बनाएंगे। वहीं, आरजेडी के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने दावा किया है कि सत्ता पक्ष के 17 विधायक उनके संपर्क में हैं, जो आरजेडी में शामिल होना चाहते हैं। लेकिन, उन्हें अभी रोका गया है। विधायक बीजेपी की कार्यशैली से नाराज हैं। वो बिहार की एनडीए सरकार को गिराना चाहते हैं। बता दें कि 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए। एनडीए को 125 और आरजेडी की अगुवाई वाली महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं। ऐसे में अगर जेडीयू के संख्याबल में जरा भी परिवर्तन हुआ तो नीतीश सरकार खतरे में पड़ सकती है।
..तो इस लिए अभी रोक रही है आरजेडी
श्याम रजक ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि अगर दल-बदल कानून के तहत जेडीयू के 25 से 26 विधायक पार्टी छोड़कर आरजेडी में शामिल होंगे तो उनकी सदस्यता पर आंच नहीं आएगी। इसलिए उन्हें फिलहाल रोका गया है। क्योंकि अगर सिर्फ 17 विधायक आरजेडी में शामिल होते हैं तो दल-बदल कानून के अंतर्गत इनकी सदस्यता रद्द हो सकती है। लेकिन, बहुत जल्द जेडीयू के विधायक राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होंगे।
(फोटो में श्याम रजक)
ये हैं बड़े पांच कारण
1-जेडीयू अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी सरकार के साथ थी। लेकिन, बीजेपी में उसके 6 विधायक चले गए। इसके बाद जेडीयू के नए अध्यक्ष RCP सिंह ने साफ कह दिया कि भाजपा ने पीठ में छुरा भोंका है। वहीं, बीजेपी का जवाब आया था कि जदयू नेतृत्व अपने विधायकों को संभाल नहीं पा रही।
2-नीतीश कुमार बीजेपी से लगातार यह उम्मीद लगाए रहे कि वह लोजपा को कुछ सबक सिखाएगी। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसे लेकर नीतीश नाराज चल रहे हैं,क्योंकि चिराग पासवान ने जेडीयू के 7 मंत्रियों समेत 39 प्रत्याशियों को हराने में अहम भूमिका निभाई थी।
3-जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और 43 सीटें जीतीं। जबकि 110 सीटों पर उतरने वाली भाजपा को 74 सीटें हासिल कर लिए। लेकिन, बिहार में नीतीश को सीएम बनाकर जनता के बीच और अच्छी जगह बना ली।
4-बीजेपी ने नीतीश को सीएम पद तो दिया, मगर उनके प्रिय डिप्टी सुशील कुमार मोदी को दूरकर अपने दो भाजपाई डिप्टी सीएम बना दिया। खुद सीएम ने संकेतों में इसका जिक्र कर जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हुई मीटिंग में कह दिए थे कि वह इस हाल में मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे।
5-आरजेडी के वरिष्ठ नेता पू्र्व विधानसभा स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने कहा था कि अगर नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना दें तो उनको 2024 में प्रधानमंत्री के लिए विपक्षी पार्टियां समर्थन कर सकती हैं। बता दें कि कुछ साल पहले नीतीश के बेटे ने एक इंटरब्यू में कहा था वो अपने पिता को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। हालांकि वो पीएम मोदी के फैन हैं।
तेजस्वी ने कहा-क्या करना है खुद तय करें नीतीश
तेजस्वी यादव ने कहा है कि पू्र्व विधानसभा स्पीकर उदय नारायण चौधरी का व्यक्तिगत बयान हो सकता है। लेकिन, बीजेपी और जेडीयू के बीच कभी कोई गठबंधन था ही नहीं, बल्कि यह एक समझौता था। बीजेपी को नीतीश कुमार ने बिहार में फलने-फूलने का मौका दिया, अब उनको क्या करना है, नहीं करना है, वो खुद तय करें।
जेडीयू प्रवक्ता ने किया ये दावा
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि ऐसे भ्रामक बयान देकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। हम पूरी तरीके से एकजुट है और बीजेपी के साथ मिलकर 5 साल बिहार में सरकार चलाएगी। जेडीयू में कहीं कोई असंतोष नहीं है। अरुणाचल की घटना से जनता दल यूनाइटेड आहत जरूर है, लेकिन पार्टी के विधायक किसी के झांसे में नहीं आने जा रहे हैं। मेरा कहना है कि उन्हें अपना घर संभालना चाहिए, क्योंकि आरजेडी के ही विधायक तेजस्वी यादव की कार्यशैली से परेशान हैं।