सार
कोरोना का खौफ लोगों में किस कदर है इसकी एक बानगी बिहार के दरभंगा जिले से सामने आई है। यहां कोरोना पॉजिटिव महिला इलाज के बाद फिट हो गई मगर उसके मोहल्लेवालों ने घर आने से रोक दिया।
दरभंगा। कोरोना को मात देकर जिंदगी की जंग जीतने वाली महिला को अब अपने मोहल्लेवाले ही स्वीकार नहीं कर रहे हैं। मामला बिहार के दरभंगा जिले का है। जहां के डीएमसीएच में 26 अप्रैल से भर्ती महिला कोरोना से जंग जीत कर जब अपने घर जा रही थी तो बीच रास्ते में मुहल्लेवालों ने ही उसके एंबुलेंस को रोक दिया। लोगों ने इस तरह विरोध किया कि मजबूरी में एंबुलेंस ड्राइवर महिला को लेकर वापस अस्पताल चला आया। विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि जब तक प्रशासन मोहल्ले से सील खत्म नहीं कर देता तब तक हम वापस आने नहीं देंगे।
मीर शिकार टोले की रहने वाली है महिला
पीड़ित महिला दरभंगा के मीर शिकार टोले की रहने वाली है। कोरोना को हराकर जब वो अपने घर जा रही थी तभी जेपी चौक पर लोगों ने उसे रोक दिया। लोगों ने एंबुलेंस ड्राइवर के साथ भी दुर्व्यवहार किया और लौटने के लिए मजबूर कर दिया। लोगों का आक्रोश देखकर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने भी लौट जाने की सलाह दी। इसके बाद महिला फिर से आइसोलेशन वार्ड लौट आई। मामले में जिले के डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर लोगों को समझाया जाएगा और मामले की जांच कराई जाएगी। एसएसपी ने सदर डीएसपी को मामले की जांच का निर्देश दिया।
एंबुलेंस ड्राइवर ने डीएम को दिया ज्ञापन
मामले में ड्राइवर के साथ दुर्व्यवहार करने पर चालकों ने डीएम को ज्ञापन सौंपा। इस पर डीएम ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिया। चालकों का कहना था कि इस महामारी में दिन-रात कार्य कर रहे हैं। पर उनके साथ दुर्व्यवहार जो रहा है। पीड़िता महिला ने बताया कि मेरी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर डीएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में मुझे अलग से रखा गया है। मेरी सास व पति की जांच रिपोर्ट अभी भी पॉजिटिव है। पति से फोन पर बात होती है। वे भी लड़के को लेकर चिंतित है।
पिता और बेटे से भी नहीं हो पा रहा संपर्क
कोरोना से जंग जीत चुकी महिला ने बताया कि वह 15 साल से भगवान दास मोहल्ले के मीर शिकार टोले में किराए के मकान में रह रही है। यहां उसकी दुकान भी है। पर आज मोहल्लेवालों ने उसे घर जाने नहीं दिया। पुलिस-प्रशासन भी देखता रह गया। मोहल्लेवालों का कहना था कि जब प्रशासन सील हटा देंगे तो जाने देंगे। सभी ने मोहल्ले में जाने के रास्ते को जाम कर दिया था। महिला ने बताया कि 6 दिन पहले उसके पिता की रिपोर्ट निगेटिव आने पर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। उनके साथ उसका 5 साल का लड़का भी था। उन्हें भी लोगों ने मोहल्ले में जाने नहीं दिया था। वे लोग अभी कहां हैं, इसका उसे पता नहीं है। बच्चे को एक मोबाइल भी दिया है, लेकिन उसे और उसके पिता को फोन करने नहीं आता है।