सार

दिलीप कुमार लता मंगेशकर को अपनी छोटी बहन की तरह मानते थे। लता मंगेशकर भी दिलीप कुमार को राखी बांधती थीं।  लेकिन दोनों के बीच एक ऐसा वक्त आया जब दोनों ने एक दूसरे से बातचीत करना बंद कर दिया था।

मुंबई. लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) गायिकी में उस मुकाम को हासिल कर चुकी हैं जहां पहुंचना दूसरे सिंगर के लिए नामुमकीन हैं। लेकिन बहुत ही कम लोगों को पता है कि 20 हजार से ज्यादा गाना गा चुकी गायिका को एक बात का मलाल है। वो दुख हैं उनका शास्त्रीय संगीत को छोड़ना। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि मैंने फ़िल्मों में गाना शुरू किया और मैं फिल्मी सिंगर बन गई। शास्त्रीय संगीत से मेरा साथ छूट-सा गया, इस बात का मुझे हमेशा दुख रहेगा। ऐसी कई कहानियां है जो लता ताई के जीवन से जुड़ी है। इसी में एक किस्सा दिलीप कुमार (Dilip kumar) को लेकर भी है।

दिलीप कुमार लता मंगेशकर को अपनी छोटी बहन की तरह मानते थे। लता मंगेशकर भी दिलीप कुमार को राखी बांधती थीं।  लेकिन दोनों के बीच एक ऐसा वक्त आया जब दोनों ने एक दूसरे से बातचीत करना बंद कर दिया था। 13 सालों तक दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। 

दिलीप कुमार ने उर्दू को लेकर लता पर किया था कमेंट

एक बार दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर को देखकर टिप्पणी करते हुए कहा था कि मराठियों की उर्दू बिलकुल दाल-चावल की तरह होती है। यह बात लता जी को बहुत चुभी थी। उन्होंने उनसे बोलचाल बंद कर दी। यहां तक की ट्रेजडी किंग को जवाब देने के लिए उन्होंने एक ऊर्दू टीचर रख लिया। जिससे वो अच्छी उर्दू सीखीं। हालांकि बाद में दोनों के बीच दूरिया कम हो गई।1970 में जब इनके बीच मनमुटाव खत्म हुआ तो लता मंगेशकर ने एक बार फिर से दिलीप कुमार को राखी बांधी।

अच्छी शिष्या रही लता मंगेशकर

लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मेरे पहले गुरु मेरे पिता थे। उनसे कभी-कभी डांट पड़ती थी। लेकिन उनके बाद मेरे गुरू उस्ताद अमानत अली खान और फिर अमानत खान हुए। मैं एक अच्छी शिष्या रही। मुझे इनसे कभी डांट सुनने को नहीं मिला।

अलविदा लता दीदी

लता दीदी आज हमारे बीच नहीं हैं। मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर होने की वजह से उनका निधन हो गया। 92 साल की उम्र में सुर सम्राज्ञी ने मुंबई के अस्पताल में 6 फरवरी को अंतिम सांस लीं। उनका जाने से संगीत में क्षेत्र में एक ऐसा खालीपन आ गया है जिसे कभी भरा नहीं जा सकता है।

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