सार
'इतनी शक्ति हमें देना दाता... (itni shakti hame dena data ) गीत को लिखने वाले गीतकार अभिलाष (abhilash) ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। खबरों के मुताबिक, अभिलाष ने सोमवार को आखिरी सांस ली। वे लंबे समय से कैंसर (cancer) से जूझ रहे थे। उनके पास इलाज करवाने के पैसे भी नहीं थे। उन्हें लिवर कैंसर था और वे पिछले 10 महीनों से बिस्तर पर थे। वे 74 साल के थे। अभिलाष 40 सालों से फिल्म जगत में सक्रिय हैं। गीत के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी किया है।
मुंबई (By Shri Ram Shaw). 2020 फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बुरे सपने की तरह साबित हो रहा है। इस साल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ने कई नामी स्टार्स को खोया है। इनमें ऋषि कपूर, इरफान खान, सुशांत सिंह राजपूत जैसे बड़े नाम शामिल हैं। हाल ही में जाने माने सिंगर एसपी बालासुब्रमण्यम भी कोरोना से जंग हार गए। अब एक और हस्ती ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। 'इतनी शक्ति हमें देना दाता... (itni shakti hame dena data ) गीत को लिखने वाले गीतकार अभिलाष (abhilash) ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। खबरों के मुताबिक, अभिलाष ने सोमवार को आखिरी सांस ली। वे लंबे समय से कैंसर (cancer) से जूझ रहे थे। उनके पास इलाज करवाने के पैसे भी नहीं थे। उन्हें लिवर कैंसर था और वे पिछले 10 महीनों से बिस्तर पर थे। वे 74 साल के थे।
हुआ था ट्यूमर का ऑपरेशन
उनकी पत्नी नीरा ने इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसायटी (IPRS) से मदद मांगी थी। बात दें कि अभिलाष ने रफ्तार, जहरीली, सावन को आने दो, लाल चूड़ा, अंकुश, मोक्ष और हलचल जैसी फिल्मों के लिए गाने लिखे थे। मार्च में उन्होंने पेट के एक ट्यूमर का ऑपरेशन कराया था। तभी से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा कलाश्री अवार्ड से सम्मानित अभिलाष का विश्व प्रसिद्ध गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता..' हिंदुस्तान के 600 स्कूलों में प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। विश्व की आठ भाषाओं में इस गीत का अनुवाद हो चुका है और इसे वहां भी प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है।
40 सालों से सक्रिय थे
संगीतकार कुलदीप सिंह ने इस गीत को एन चंद्रा की फिल्म अंकुश (1985) के लिए संगीतबद्ध किया था। 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' गीत के अलावा अभिलाष के लिखे सांझ भई घर आजा, आज की रात न जा, वो जो खत मुहब्बत में, तुम्हारी याद के सागर में, संसार है इक नदिया, तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर आदि गीत भी बेहद लोकप्रिय हुए। अभिलाष 40 सालों से फिल्म जगत में सक्रिय हैं। गीत के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी किया है। कई टीवी शोज की स्क्रिप्ट लिखी है। संवाद और गीत लेखने के लिए उनको सुर आराधना अवार्ड, मातो श्री अवार्ड, सिने गोवर्स अवार्ड, फिल्म गोवर्स अवार्ड, अभिनव शब्द शिल्पी अवार्ड, विक्रम उत्सव सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान और दादा साहेब फाल्के अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
बचपन से कविताएं लिखने का शौक
गीतकार अभिलाष स्क्रीन राइटर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और आईपीआरएस के डायरेक्टर का पद भी संभाल चुके हैं। साथ ही वे अपने प्रोडक्शन हाउस मंगलाया क्रिएशन के तहत टीवी के लिए कई धारवाहिकों का निर्माण भी कर चुके हैं। अभिलाष का जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था। वे चाहते थे कि अभिलाष व्यवसाय में उनका हाथ बटाएं। लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। बारह साल की उम्र में अभिलाष ने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। मैट्रिक की पढ़ाई के बाद वे मंच पर भी सक्रिय हो गए। उनका वास्तविक नाम ओम प्रकाश है।