सार
ईद पर रिलीज हुई सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म 'राधे : योर मोस्टवांटेड भाई' को क्रिटिक्स की आलोचना झेलनी पड़ रही है। यहां तक कि केआरके से लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों ने राधे को लेकर कई जोक्स और मीम्स बनाए हैं। फिल्म की चौतरफा नेगेटिव पब्लिसिटी के चलते सलमान खान ने केआरके के खिलाफ मानहानि का केस भी दर्ज कराया है। इन सबके बीच सलमान के पिता और स्क्रीन राइटर सलीम खान ने अपनी चुप्पी तोड़ी है।
मुंबई। ईद पर रिलीज हुई सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म 'राधे : योर मोस्टवांटेड भाई' को क्रिटिक्स की आलोचना झेलनी पड़ रही है। यहां तक कि केआरके से लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों ने राधे को लेकर कई जोक्स और मीम्स बनाए हैं। फिल्म की चौतरफा नेगेटिव पब्लिसिटी के चलते सलमान खान ने केआरके के खिलाफ मानहानि का केस भी दर्ज कराया है। इन सबके बीच सलमान के पिता और स्क्रीन राइटर सलीम खान ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। एक इंटरव्यू में सलीम खान ने माना है कि राधे अच्छी फिल्म नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले जो फिल्म थी, 'दबंग 3' वह डिफरेंट थी। 'बजरंगी भाईजान' अच्छी थी। 'राधे' को तो बिल्कुल भी ग्रेट फिल्म नहीं कहा जा सकता, लेकिन कमर्शियल फिल्मों की एक जिम्मेदारी होती है कि हर इंसान को पैसे मिलें।
फिल्म से जुड़े हर एक शख्स को मिलें पैसे :
सलीम खान ने आगे कहा, कमर्शियल फिल्मों में काम करने वाले आर्टिस्ट से लेकर प्रोड्यूसर, डिस्ट्रीब्यूटर, एग्जीबिटर और हर स्टेकहोल्डर को पैसे मिलने चाहिए। जो फिल्में खरीदता है, उसे तो हर हाल में पैसे मिलने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो फिल्म निर्माण और बिजनेस का साइकल ही खत्म हो जाएगा। अगर इस हिसाब से देखें तो राधे के स्टेकहोल्डर फायदे में हैं और उसने बिजनेस किया है। बाकी राधे कोई महान फिल्म नहीं है।
एक हिट हुई नहीं कि हर तरफ सलमान ही सलमान :
जब सलीम खान से पूछा गया कि कुछ ट्रेड एनालिस्ट का मानना है कि सलमान का करियर अब खत्म हो चुका है, इस पर आप क्या कहेंगे। सलीम खान ने कहा- हर बार जब सलमान की फिल्म उम्मीद से थोड़ा कम परफॉर्म करती है तो इस तरह की बातें सामने आती हैं। सच्चाई ये है कि जैसे ही सलमान की कोई हिट फिल्म आएगी तो बस चारों तरफ सलमान ही सलमान का शोर मचने लगेगा।
बॉलीवुड में अच्छे राइटर्स की कमी :
सलीम खान ने फिल्म इंडस्ट्री में अच्छे राइटर्स की कमी पर बात करते हुए कहा- राइटर्स अब हिंदी या उर्दू जुबान के साहित्य पढ़ते ही नहीं हैं। कुछ भी बाहर का देखा और उसे इंडियनाइज करने में जुट जाते हैं। फिल्म 'जंजीर' इंडियन सिनेमा का गेम चेंजर थी। लेकिन उसके बाद से इंडस्ट्री को सलीम-जावेद का रिप्लेसमेंट ही अब तक नहीं मिल पाया है।