सार
संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) को एक्टिंग का स्कूल कहा जाता था। संजीव कुमार ने एक फिल्म में 9 किरदार निभाकर इतिहास रच दिया। उनकी पुण्यतिथी पर आइए बताते हैं फिल्म से जुड़ी एक दिलचस्प किस्सा.
मुंबई. अपनी एक्टिंग से लोगों को मोहित कर देने वाले संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) की 6 नवंबर को पुण्यतिथि है। संजीव कुमार हरफनमौला कलाकार थे जिन्हें एक्टिंग का स्कूल भी कहा जाता था। वो कोई भी रोल हंसते-खेलते निभा लेते थे। इसी की बानगी ‘नया दिन नई रात' फिल्म है जिसमें उन्होंने एक-दो नहीं बल्कि 9 किरदार निभाए थे। यह फिल्म साल 1974 में 7 मई को रिलीज हुई थी। इस फिल्म के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि ‘नया दिन नई रात' की कहानी लेकर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर एनपी अली और ए भीम सिंह सबसे पहले एक्टिंग के सबसे बड़े बादशाह ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार (Dilip Kumar) के पास पहुंचे। यूं तो दिलीप कुमार ने एक साथ कई रोल निभाए हैं। लेकिन जैसे ही 9 किरदारों वाली कहानी पढ़ीं उन्होंने फिल्म करने से मना कर दिया। दिलीप कुमार ने कहा कि ये मुझसे नहीं हो पाएगा।
दिलीप कुमार ने सुझाया था संजीव कुमार का नाम
जिसके बाद डायरेक्ट-प्रोड्यूसर पसोपेश में पड़ गए कि अब क्या करें। दिलीप कुमार ने उनकी परेशानी का हल निकालते हुए कहा कि आप संजीव कुमार के पास जाइए। वहीं एक है जो आपकी फिल्म के साथ न्याय कर पाएगा। वहीं एक है जो 9 तरह के किरदार को एक साथ निभा सकता है। जिसके बाद एनपी अली और ए भीम सिंह संजीव कुमार के पास पहुंचे। फिल्म की कहानी देखते ही 'शोले के ठाकुर' ने हां कर दी।
संजीव के अभिनय का कोई जवाब नहीं था
संजीव कुमार ने पूरे 9 रोल निभाकर इतिहास बना दिया था। इस फिल्म में उन्होंने लूले-लंगड़े, अंधे, बूढ़े, बीमार, कोढ़ी, किन्नर, डाकू, जवान और प्रोफेसर का किरदार निभाया था। संजीव में खास बात थी कि वे अपनी उम्र से भी ज्यादा उम्र के किरदार बड़ी ही सहजता से कर लेते थे। इस फिल्म में संजीव कुमार के अलावा जया भादुड़ी, वी गोपाल, दिलीप दत्त भी थे।
संजीव कुमार जीवन भर तन्हा ही रहे
एक्टिंग के बादशाह संजीव कुमार को 2 राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया. फिल्म दस्तक और कोशिश के लिए अवॉर्ड दिया गया था. अगर इनके निजी जिंदगी के बारे में बात की जाए तो संजीव के मन में हेमा मालिनी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर था। कहा जाता है कि उन्होंने ड्रीम गर्ल को प्रपोज भी किया था। लेकिन वो मना कर दी थी। जिसके वो सारी जिंदगी अकेले ही गुजारी।
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