सार

कोरोना महामारी और लॉकडाउन में प्रवासियों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा था। उनकी मदद के लिए सोनू सूद ने हाथ आगे बढ़ाया था। उन्होंने हजारों मजदूरों को उनके घर फ्री में बस से भेजा था। साथ ही उनके लिए खाने पीने की भी व्यवस्था की थी।

मुंबई. कोरोना महामारी और लॉकडाउन में प्रवासियों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा था। उनकी मदद के लिए सोनू सूद ने हाथ आगे बढ़ाया था। उन्होंने हजारों मजदूरों को उनके घर फ्री में बस से भेजा था। साथ ही उनके लिए खाने पीने की भी व्यवस्था की थी। लॉकडाउन के बीच वो गरीबों के लिए मसीहा बन गए थे। सोनू अब भी लोगों की मदद कर रहे हैं, लेकिन घर वापस चले जाने के बाद बेरोजगार मजदूरों की संख्या 1 लाख तक पहुंच गई है। अब ऐसे लोगों के लिए वो एक ऐप लेकर आए हैं, जिसका नाम है 'प्रवासी रोजगार।' इससे वर्कर्स को रोजगार ढूंढने में मदद मिलेगी।  

बेरोजगारों की मदद करेंगे सोनू सूद

सोनू सूद इस कोरोना महामारी के बीच लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आए हैं। लोगों को घर पहुंचाने और छत देने के बाद अब वो जरूरतमंदों के लिए रोजगार की व्यवस्था भी कर रहे हैं।

घर लौटने के बाद काम की तलाश कर रहे मजदूर 

सोनू बताते हैं कि गांव लौटने के बाद वो मजदूर रोजगार ढूंढ रहे हैं। इस वक्त यह काफी मुश्किल है। हालांकि, उन्हें काम दिलाने की केंद्र सरकार की योजना है लेकिन उनको लगता है कि उन्हें लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन की जरूरत है। इन वर्कर्स को शहरों, कस्बों में काम से जोड़ना जरूरी है। वहीं, उनके गांव में भी काम के मौके उपलब्ध करवाने की वो कोशिश करेंगे।

ऐप के लिए ली है दोस्तों की मदद

इस काम के लिए सोनू ने अपने इंजीनियर दोस्तों की मदद ली है। कई कंपनियां और एनजीओ उन्हें काफी सपोर्ट कर रहे हैं। यह ऐप फिलहाल इंग्लिश में है। जल्द ही 5 भाषाओं में होगा। इससे कामगारों को एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने में भी मदद मिलेगी।

प्रवासियों को काम सिखाने में करेंगे मदद

सोनू बताते हैं कि उनकी वेबसाइट और एक ऐप है। ग्राउंड पर लोग हैं, जो वर्कर्स को रजिस्ट्रेशन में मदद करेंगे। उनका हेल्पलाइन नंबर है। लोग इस पर फोन करके खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। बस लोगों को उनकी योग्यता बताना होगा और जो सीखना हो वो भी बताना होगा। सोनू की टीम उनकी प्रोफाइल बनाएगी, ट्रेनिंग देंगे और उन्हें अच्छा काम देने वाले तक भी पहुंचाएंगे।

नहीं लगेगा कोई भी चार्ज

सोनू ने बताया कि इस वक्त लोगों को नहीं पता कि काम कहां मिलेगा। जो लोग काम करने वालों की तलाश में हैं उन्हें नहीं पता कि काम करने वाले कहां मिलेंगे। लोगों को काम दिलाने की इस कोशिश में उनसे एक रुपया भी चार्ज नहीं किया जाएगा।