सार

स्क्रीनराइटर और डायरेक्ट सईद अख्तर मिर्जा ने द कश्मीर फाइल्स को 'कचरा' बताया है। उन्होंने कहा कि बात फेवर लेने की नहीं है, इंसान बनो और समझने की कोशिश करो।

एंटरटेनमेंट डेस्क, The Kashmir Files is garbage screenwriter Saeed Mirza  । स्क्रीनराइटर और डायरेक्टर सईद अख्तर मिर्जा ( Saeed Akhtar Mirza ) ने द कश्मीर फाइल्स  ( The Kashmir Files ) को 'कचरा' ( garbage ) बताया है। उन्होंने  कहा है कि 'फेवर लेने की बात नहीं है'। एक नए इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा कि मुद्दों को 'समझने की कोशिश' करना जरूरी है। पटकथा लेखक ने कहा है कि कश्मीरी पंडित द्वारा सामना किया गया मुद्दा रियल है।

सईद मिर्जा  ने कहा - इंसान बनो

सईद मिर्जा ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यु में बताया कि, “मेरे लिए द कश्मीर फाइल्स कचरा है। वहीं उनसे पूछा गया कि,  क्या कश्मीरी पंडित मुद्दा कचरा है ? इस पर मिर्जा ने कहा कि यह रियल है। क्या यह सिर्फ कश्मीरी हिंदू हैं? नहीं, मुसलमान भी हैं, जो तरह -तरह से बिछाए गए जालों में फंस गए हैं। बात पक्ष लेने की नहीं है, इंसान बनो और समझने की कोशिश करो।

कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बेस्ड है मूवी

विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित द कश्मीर फाइल्स में  कश्मीरी पंडितों के पलायन को दिखाया गया है, जो 1980 के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत में हुआ था। यह फिल्म इस साल की शुरुआत में 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। यह साल 2022 की सुपरहिट हिंदी फिल्मों में से एक है। द कश्मीर फाइल्स में मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, दर्शन कुमार और पल्लवी जोशी ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं।

हाल ही में, इजरायली फिल्म मेकर नादव लैपिड द्वारा फिल्म को भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में द कश्मीर फाइल्स को "वल्गर और प्रोपेगेंडा" फिल्म करार देने के बाद इस पर विवाद खड़ा हो गया था । उनके इस कॉमेन्ट  पर  अनुपम खेर ने नादव लैपिड को वल्गर और मौकापरस्त बताया था । वहीं इस फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने कहा था कि अगर नादव लैपिड यह साबित कर दें कि उनकी फिल्म में दिखाई गई घटनाएं झूठी हैं तो वह फिल्म  बनाना छोड़ देंगे।

सईद अख्तर मिर्जा ने  क्लासिक फिल्मों का किया डायरेक्शन  

सईद अख्तर मिर्जा को मोहन जोशी हाजिर हो (1984), अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है (1980), सलीम लंगड़े पे मत रो (1989) और नसीम (1995) जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। वह नुक्कड़ (1986) और इंतजार (1988) जैसे लोकप्रिय टीवी धारावाहिकों के डायरेक्टर हैं। उन्होंने आखिरी बार शॉर्ट फिल्म कर्मा कैफे लिखी थी, जो 2018 में रिलीज हुई थी।

 

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