सार

केन्‍द्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, 'जलवायु परिवर्तन के जोखिम सबसे बड़ी बाहरी नकारात्‍मकताएं हैं जो भारत तथा अन्‍य देशों को प्रभावित करती हैं। वित्त मंत्री ने इस दृष्टिकोण पर जोर दिया और देश को आगे ले जाने के लिए इसे प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक बताया।

नई दिल्ली. केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने संसद में केन्‍द्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए कहा कि सरकार का उद्देश्‍य अमृत काल के दौरान ऊर्जा संक्रमण और जलवायु परख कार्य को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण पर आधारित है। वित्त मंत्री ने इस दृष्टिकोण पर जोर दिया और देश को आगे ले जाने के लिए इसे प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक बताया। आइए जानते हैं जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने कौन-कौन सी घोषणाएं कीं। 

ऊर्जा संक्रमण और जलवायुपरक कार्य
केन्‍द्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, 'जलवायु परिवर्तन के जोखिम सबसे बड़ी बाहरी नकारात्‍मकताएं हैं जो भारत तथा अन्‍य देशों को प्रभावित करती हैं। उन्‍होंने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित निम्‍न कार्बन विकास रणनीति का फिर से उल्‍लेख करते हुए कहा कि यह सतत विकास के प्रति हमारी सरकार की दृढ़ कटिबद्धता का एक महत्‍वपूर्ण उदाहरण है। यह रणनीति रोजगार के बड़े अवसर खोलती है और इस संबंध में बजट में अनेक अल्‍पकालिक और दीर्घकालिक कार्यों का प्रस्‍ताव किया गया।

सौर ऊर्जा
वित्त  मंत्री ने कहा कि बजट में उच्‍च प्रभावी मॉड्यूलों के विनिर्माण के लिए उत्‍पादन से जुड़े प्रोत्‍साहन हेतु 19,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्‍त आवंटन का प्रस्‍ताव किया गया है। यह  2030 तक संस्‍थापित सौर क्षमता के 280 गीगावाट के महत्‍वकांक्षी लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए आवश्‍यक घरेलू विनिर्माण को सुनिश्चित करेगा।


कार्बन तटस्‍थ अर्थव्‍यवस्‍था की दिशा में संक्रमण
वित्त  मंत्री ने कहा कि 5 से 7 प्रतिशत बायोमास पेलेट को थर्मल पावर प्‍लांटों में जलाया जाएगा जिससे प्रतिवर्ष 38 एमएमटी कार्बन डाईऑक्‍साइड की बचत होगी। उन्‍होंने कहा, इससे किसानों को अतिरिक्‍त आय होगी और स्‍थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्‍ध होंगे और हम खेतों में पराली को जलाने से भी बच जाएंगे।

बड़े वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा सेवा कंपनी (ईएससीओ) कार्य मॉडल की स्‍थापना करके ऊर्जा दक्षता तथा बचत उपायों को बढ़ावा दिया जाएगा, जो क्षमता निर्माण ऊर्जा ऑडिट के लिए जागरूकता कार्यनिष्‍पादन संविदा तथा सामान्‍य माप एवं सत्‍यापन प्रोटोकाल के लिए सुविधा उपलब्‍ध कराएगा। उद्योग के लिए जरूरी कोयला गैसीकरण एवं कोयले को रसायनों में परिवर्तित करने के लिए चार पायलट परियोजनाओं का भी प्रस्‍ताव किया गया, जिससे तकनीकी और वित्तीय व्‍यवहार्यता आएगी।

सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड
सरकार पर्यावरण अनुकूल अधोसंरचना के लिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी। ग्रीन बॉन्ड भारतीय अर्थव्यवस्था को पर्यावरण के लिए अनुकूल बनाने की दिशा में एक नींव विकिसत करने वाला कदम है। वित्त मंत्री का कहना था कि इससे देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिलेगी। वित्तमंत्री के द्वारा जिक्र किए गए ग्रीन बॉन्ड का क्या मतलब है और भारत के लिए वो कितने उपयोगी साबित हो पाएंगे।

क्या होते हैं बॉन्ड
ग्रीन बॉन्ड एक खास तरह के बॉन्ड होते हैं। बॉन्ड एक निश्चित आय का उपकरण है जो एक निवेशक के द्वारा लेने वाले व्यक्ति के लिए एक कर्ज को प्रदर्शित करते हैं। बॉन्ड्स का उपयोग  कंपनी, नगरपिलकाएं, राज्य सरकार, सरकारें आदि करते हैं। बॉन्ड के मालिक को डेटहोल्डर्स या लेनदार कहा जाता है। 

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