सार

अगले छह महीनों में 86% कर्मचारी जॉब से इस्तीफा दे देंगे। इसके लिए जॉब और रिक्रूटमेंट एजेंसी माइकल पेज ने सर्वे किया है। सर्वे में रिजाइन देने का प्लान बना रहे एम्पलॉई का कहना है कि वे बेहतर करियर के लिए रिजाइन देनेवाले हैं। 

नई दिल्लीः जॉब और रिक्रूटमेंट एजेंसी माइकल पेज के अनुसार अगले छह महीनों में 86 प्रतिशत कर्मचारी इस्तीफा दे देंगे। 2022 में यह सिलसिला जारी रहेगा। आंकड़ों के अनुसार भारत में 61% लोग कम वेतन स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए हैं। ये लोग ऐसे हैं, जो अपने बेहतर जीवन के लिए प्रोमोशन पर निर्भर हैं। माइकल पेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "हमारे आंकड़ों के अनुसार, इस्तीफा देने का सिलसिला कोरोना काल (पिछले दो वर्षों) से हो रहा है। लेकिन 2022 में यह काफी तेज हो जाएगा।"  

बेहतर करियर है प्रायोरिटी
रिपोर्ट से पता चलता है कि कंपनियों के काम की व्यवस्था (हाइब्रिड, घर से काम करना आदि) और कोविड से जुड़ी हुई पॉलिसी से कर्मचारियों में नाखुशी पैदा हो रही है। 11% लोग जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है या इस्तीफा देने की सोच रहे हैं, वे इसे ही पहला कारण बता रहे हैं। कर्मचारियों के इस्तीफा देने के शीर्ष कारणों में करियर प्रोग्रेस, हाई सैलरी, रोल और पोस्ट चेंज और जॉब सटिसफेक्शन शामिल हैं।

एम्पलॉई को सही जॉब की तलाश
रिपोर्ट में आया है कि सैलरी, बोनस, रिवार्ड्स एक कर्मचारी को कंपनी के प्रति इमानदार बनाती है। एम्पलॉयर इस पर 29 फीसदी से ज्यादा जोर नहीं दे रहे हैं। कर्मचारियों के लिेए कंपनी का ब्रांड मायने नहीं रखता है। जबकि एम्पलॉयर सोचते हैं कि कंपनी का ब्रांड कंडीडेट्स के लिए 110% महत्वपूर्ण है। 43% कंडीडेट्स को कंपनी के ब्रांड से कोई लगाव नहीं है, बस उन्हें जॉब की तलाश है। इनका कहना है कि 6 महीने से वे इस तरह की सोच रखने लगे हैं। रिपोर्ट में आया है कि रिजाइन की बढ़ती संख्या सही जॉब और सही कंपनियों की तलाश की वजह से है। 

कंपनी की पॉलिसी से नाखुश
निष्कर्ष बताते हैं कि 61% कर्मचारियों ने कम सैलरी को एक्सेप्ट किया। नौकरी जाने का डर, जीवन में बैलेंस के लिए उन्होंने ऐसा किया। लेकिन अब बेहतर प्रोमोशन, अच्छी कंपनी, पर्सनल ग्रोथ के लिए कर्मचारी इस्तीफा देने की तैयारी में हैं। कोरोना पॉलिसी ने कर्मचारियों को काफी नाखुश किया। 11% वैसे कर्मचारी जिन्होंने रिजाइन दे दिया या रिजाइन देने का प्लान कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि कंपनी की पॉलिसी से वे नाखुश हैं। 

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