सार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को  आम बजट 2022-23 पेश करेंगी, इससे पहले NRI ने कुछ मांगे सरकारके समक्ष रखी हैं। दरअसल पिछले साल के बजट में एनआरआई की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ कदम उठाए गए थे, लेकिन उनकी कई पुरानी मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
 

बिजनेस डेस्क।  Budget 2022 : साल 2020-21 के बजट में नॉन रेजिडेंट इंडियंस (Non Resident Indians) की दिक्कतों को समझते हुए मोदी सरकर ने कुछ अहम कदम उठाए थे। इसके तहत NRI को वन परसन कंपनीज (One Person Companies) यानि ओपीसी शुरू करने की स्वीकृति दी गई थी, इससे उनके लिए भारत में व्यापार करना अब आसान हो गया है। Affordable Housing में मिलने वाले  टैक्स बेनिफिट्स और इस सेगमेंट में tax holidays का लाभ एनआरआई को भी दिया गया है। 

residency rules में दी ढील
केंद्र सरकार ने कई देशों द्वारा लॉकडाउन और हवाई यात्रा पर प्रतिबंध को देखते हुए residency rules में भी ढील दी है। वहीं अभी भी हालातों में बहुत बदलाव नहीं आया है। यही वजह है कि एनआईआई की कुछ मांगे अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआरआई 1 फरवरी को  पेश होने वाले बजट में नीचे बताए गए कुछ बदलावों की उम्मीद कर रहे हैं।

Lenient tax witholding rules
उदार कर विदहोल्डिंग रूल के तहत जब एनआरआई के समक्ष टीडीएस का इश्यू सामने आता है, तो उनते पास बहुत कम संभवानाएं बचती हैं। 50 लाख रुपये तक की संपत्ति बेचने पर उन्हें दो साल से अधिक समय तक प्रॉपर्टी होल्ड करने पर पूंजीगत लाभ (capital gains) पर 20 फीसदी टीडीएस का भुगतान करना होता है। वहीं दो साल से कम समय पर कैपिटल गेंस की स्थिति में इनकम टैक्स स्लैब के तहत टीडीएस कटता है। एनआईआई को 50 लाख रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी होने पर एलटीसीजी टैक्स (LTCG tax) पर अधिभार देना होता है, जिससे टीडीएस रेट बढ़ जाता है। विदेश में रहने वाले भारतीयों की मांग है कि संपत्ति बेचने के दौरान टीडीएस में कटौती की जानी चाहिए।

इसी प्रकार, देश में निवेशकों को स्टॉक और म्यूचुअल फंड्स में कोई टीडीएस देय नहीं होता है, वहीं एनआरआई को इसमें सबसे अधिक टैक्स रेट्स पर टीडीएस देना होता है। अब एनआरआई की मांग है कि इस बजट में उनके और रेजिडेंट टैक्सपेयर्स के साथ टीडीएस नियमों (TDS rules) में भेदभाव ना किया जाए।  

Equal tax deductions
विदेश में रहने वाले भारतीय कुछ अन्य लाभों की उम्मीद भी सरकार से करते हैं, दरअसल एनआरआई विदेश में अपनी नौकरी या कारोबार करते हैं, लेकिन उनके रिलेटिव इंडिया में रहते हैं। एनआरआई उनके ऊपर दिव्यांग आश्रितों के मेडिकल ट्रीटमेंट (सेक्शन 80डीडी), विशेष बीमारियों से पीड़ित परिजनों के ट्रीटमेंट (सेक्शन 80 डीडीबी) और खुद या आश्रित की अपंगता (सेक्शन 80यू) सहित कुछ छूट के लिए योग्य नहीं हैं। एनआरआई इस तरह के लाभ उन्हें भी दिए जाने की उम्मीद सरकार से कर रहे हैं। 

आयकर में निवासियों की तरह छूट 
आयकर में बेसिक छूट की लिमिट एनआरआई की दूसरी बड़ी समस्या है, वे 2.5 लाख रुपये की इस छूट सीमा के एवज में अपने कैपिटल गेंस (पूंजीगत लाभ) को व्यवस्थित नहीं कर सकते हैं। यदि एक रेसिडेंट का कैपिटल गेंस बेसिक छूट सीमा से कम हैं तो कोई टैक्स की देनदारी नहीं होती। हालांकि, एनआरआई को 2.5 लाख रुपये से कम इनकम होने के बावजूद कैपिटल गेंस पर पूरा टैक्स अदा करना होता है।

Investing restrictions
निवेश की सीमा दूसरे टैक्सपेयर की तरह, एनआरआई सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये और सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में 50,000 रुपये के निवेश पर डिडक्शन के लिए योग्य हैं। हालांकि, उनके लिए लिमिटड ऑप्शन ही मौजूद हैं। एनआईआई, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, पीपीएफ अकाउंट या एनएससी या पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट (Senior Citizen Saving Scheme, PPF Account or NSC or Post Office Deposit) में इंवेस्टमेंट नहीं कर सकते हैं। अब एनआईआई चाहते हैं कि यदि वे सरकार की इन योजनाओं में निवेश करते हैं तो उन्हें भी भारत में रहने वाले लोगों की तरह लाभ मिलना चाहिए।
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