सार
दुनियाभर में चीनी की मांग बढ़ी है। देश में पर्याप्त चीनी स्टॉक बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी का निर्यात सीमित कर दिया है। 100 लाख मीट्रिक टन से अधिक चीनी का निर्यात नहीं होगा।
नई दिल्ली। दुनियाभर में चीनी का स्टॉक कम हो गया है। इसके चलते चीनी की मांग बढ़ी है। भारत में चीनी की कीमत कम रखने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात सीमित कर दिया है। केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि 100 लाख मीट्रिक टन (LMT) से अधिक चीनी का निर्यात नहीं किया जाएगा। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने यह जानकारी दी है।
सुधांशु पांडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार भारत में पर्याप्त चीनी स्टॉक उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहती है। अक्टूबर और नवंबर में भारत में चीनी की कमी हो जाती है। इस दौरान कई त्योहार भी मनाए जाते हैं, जिसके चलते चीनी की मांग बढ़ जाती है। वैश्विक स्थिति चीनी की कमी को दर्शाती है। इससे वैश्विक स्तर पर चीनी की मांग बढ़ सकती है। भारत में पर्याप्त मात्रा में चीनी उपलब्ध रहे इसके चलते सरकार ने यह कदम उठाया है।
चीनी निर्यात रेगुलेट करेगी सरकार
भारत सरकार ने मंगलवार देर रात चीनी सीजन 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी की घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने का आदेश जारी किया। केंद्र सरकार अगले आदेश तक 1 जून, 2022 से चीनी निर्यात को रेगुलेट करेगी। सरकार 100 एलएमटी तक चीनी निर्यात की अनुमति देगी।
दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक है भारत
सुधांशु पांडे ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता खपत के लिए उचित दर पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना है। समापन स्टॉक लगभग 60 एलएमटी होना चाहिए यदि कोई निर्यात किया जाना है। इस साल भारत ने 355 एलएमटी चीनी का उत्पादन किया है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत दूसरा सबसे बड़ा चीनी का निर्यातक है। चालू चीनी सीजन 2021-22 में कुल निर्यात लगभग 100 एलएमटी होना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि वर्तमान में 90 एलएमटी चीनी के निर्यात का अनुबंध किया गया है, जिसमें से 82 एलएमटी चीनी का निर्यात हो गया है। शेष 10 एलएमटी का निर्यात किया जा सकता है। भारत में औसत मासिक खपत लगभग 23 एलएमटी है और उपलब्ध घरेलू स्टॉक लगभग 62 एलएमटी है। चीनी का औसत खुदरा मूल्य भारत में लगभग 37-44 रुपए प्रति किलोग्राम है। निर्यात पर एक सीमा के बावजूद चीनी का निर्यात अब तक के उच्चतम स्तर पर होना है। निर्यात पिछले पांच वर्षों में 0.47 एलएमटी से बढ़कर 100 एलएमटी हो गया है जो 200 गुना से अधिक है।
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