8th Pay Commission Latest Update: 8वें वेतन आयोग के ToR में लागू होने की तारीख नहीं लिखी गई है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनर्स में चिंता बढ़ गई है कि क्या 10 साल वाली पारंपरिक सैलरी-पेंशन साइकिल बदल सकती है। जानिए किस बात की चिंता है..
8th Pay Commission: 8वें पे कमीशन को लेकर देशभर के कर्मचारियों और पेंशनर्स में नई चिंता बढ़ गई है। केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को टर्म्स ऑफ रिफरेंस (ToR) जारी किया, लेकिन इसमें यह नहीं बताया गया कि कमीशन की सिफारिशें किस तारीख से लागू होंगी। अब तक चौथे से लेकर 7वें वेतन आयोग तक हर कमीशन की शुरुआत 1 जनवरी से होती रही है। इसी वजह से कर्मचारियों को यह डर है कि क्या इस बार 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाली परंपरा टूट सकती है?
कर्मचारी और पेंशनर्स क्यों परेशान हैं?
7वें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रही है। सभी को उम्मीद थी कि 8वां वेतान आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। लेकिन ToR में इस तारीख का जिक्र ही नहीं है। यूनियंस का दावा है कि 'तारीख का नहीं होना मतलब या तो देरी होगी या फिर 10 साल वाले साइकिल में बदलाव हो सकता है।' ToR जारी होते ही कई संगठनों ने आपत्ति जताई। इनमें अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF), केंद्रीय सरकारी कर्मचारी एवं श्रमिक परिसंघ (CCGEW), भारत पेंशनर्स समाज (BPS) शामिल हैं। इन सभी ने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखकर ToR में तुरंत बदलाव की मांग की है।
BPS की 7 बड़ी आपत्तियां और डिमांड
- 1 जनवरी 2026 की तारीख साफ-साफ लिखी जाए। अब तक सभी Pay Commissions इसी तारीख से लागू होते रहे हैं।
- 'Unfunded Cost' शब्द हटाया जाए। BPS का कहना है कि इससे पेंशन को बोझ बताया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट इसे कॉनस्टिट्यूशनल राइट मान चुका है।
- पेंशन संशोधन के साफ नियम बने और पुराने और नए पेंशनर्स के बीच अंतर खत्म किया जाए।
- 2004 के बाद भर्ती 26 लाख कर्मचारियों की NPS खत्म कर OPS मांग पर भी कमीशन को सुझाव देना चाहिए।
- GDS को पोस्टल सर्विस की रीढ़ बताते हुए उन्हें 8वें वेतन आयोग में जोड़ने की मांग।
- महंगाई बढ़ने के कारण तुरंत 20% अंतरिम राहत (IR) की मांग।
- CGHS में बड़े बदलाव जैसे, ऑटोनॉमस कर्मचारियों तक CGHS पहुंचाना, जिला स्तर पर नए CGHS सेंटर, कैशलेस और आसान इलाज और लंबित सिफारिशों को लागू करना।
AIDEF और CCGEW की कड़ी प्रतिक्रिया
AIDEF ने कहा, '69 लाख पेंशनर्स को कमीशन के दायरे से बाहर रखना बेहद गलत है।' वहीं, CCGEW ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि,'ToR के कई हिस्से तुरंत बदले जाने चाहिए, नहीं तो कर्मचारियों का नुकसान होगा।'
क्या सरकार 10 ईयर सैलरी-पेंशन साइकिल बदलने की तैयारी में है?
यही सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। इसके तीन कारण है पहला ToR में 1 जनवरी 2026 का जिक्र नहीं, दूसरा 'Unfunded Cost' जैसे शब्द और तीसरा पेंशनर्स की प्राथमिकता कम दिखना। इनसे अंदेशा है कि शायद सरकार 10 साल वाला सैलरी-पेंशन रिवीजन साइकिल बदलना चाहती है। अभी तक सरकार ने कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है, लेकिन कर्मचारियों और पेंशनर्स के संगठनों का विरोध लगातार बढ़ रहा है।
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