Car Insurance में डिप्रिशिएशन आपके क्लेम अमाउंट को सीधे प्रभावित करता है। जानिए इसकी दरें, क्लेम पर असर और जीरो डिप्रिशिएशन कवर से कैसे पाएं पूरा मुआवजा। सही पॉलिसी चुनकर हजारों रुपए बचा सकते हैं।

सोचिए, आपने बड़ी मेहनत से अपनी पसंदीदा कार खरीदी और उसके लिए इंश्योरेंस भी लिया। लेकिन जब कभी एक्सीडेंट या रिपेयर का समय आता है तो क्लेम अमाउंट आपकी उम्मीद से कम क्यों मिलती है? इसका सबसे बड़ा कारण है डिप्रिसिएशन।

कार इंश्योरेंस में डिप्रिसिएशन एक ऐसा फैक्टर है, जो सीधे-सीधे आपके क्लेम को प्रभावित करता है। यही वजह है कि आजकल लोग कार इंश्योरेंस चुनते समय इस पहलू को अच्छी तरह समझना चाहते हैं।

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि डिप्रिसिएशन क्या है और यह आपके इंश्योरेंस क्लेम को कैसे प्रभावित करता है, तो यह ब्लॉग आपके लिए है।

साथ ही, हम देखेंगे कि कैसे आधुनिक इंश्योरेंस विकल्प, जैसे ACKO policy, इस मामले में कार ओनर्स को बेहतर सुविधा देने की कोशिश करते हैं।

कार इंश्योरेंस में डिप्रिशिएशन क्या है?

कार इंश्योरेंस में डिप्रिशिएशन का मतलब है, समय के साथ आपकी कार और उसके पार्ट्स की वैल्यू कम होना। जैसे-जैसे कार पुरानी होती है, उसकी कीमत घटती जाती है। जब आप किसी क्लेम के लिए अप्लाई करते हैं, तो इंश्योरेंस कंपनी कार के पार्ट्स की घटती कीमत के हिसाब से ही पेमेंट करती है, पूरी कीमत नहीं देती। इसी को डिप्रिशिएशन कहते हैं।

अगर आपकी कार 5 साल से कम पुरानी है तो इससे बचने का एक बेहतर तरीका है ACKO car insurance का 'जीरो डिप्रिशिएशन कवर' एड-ऑन लेना। जिसमें थोड़ा प्रीमियम ज्यादा लगता है, लेकिन दावे के समय कार के पार्ट्स का डिप्रिशिएशन आपको नहीं उठाना पड़ता और आपको पूरी राशि मिलती है।

यह भी पढ़ें

कार इंश्योरेंस लेने से पहले इन 5 बातों की बांध लें गांठ, क्लेम प्रोसेसिंग के समय नहीं होगी परेशानी

कार इंश्योरेंस में डिप्रिशिएशन की दरें

कार इंश्योरेंस में डिप्रिशिएशन की दरें समझना बहुत जरूरी है ताकि दावे के समय आपको सही राशि मिल सके। यह दरें कार की उम्र और बीमित घोषित मूल्य (IDV) के हिसाब से तय होती हैं और इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) द्वारा निर्धारित की गई हैं।

कार इंश्योरेंस में डिप्रिशिएशन की दरें कुछ इस प्रकार हैं:

कार की उम्रडिप्रिशिएशन दर
6 महीने तक5%
6 महीने से 1 साल15%
1 साल से 2 साल20%
2 साल से 3 साल30%
3 साल से 4 साल40%
4 साल से 5 साल50%
5 साल से ज्यादा

इंश्योरर और ग्राहक 

की सहमति से तय होती है

ध्यान रखें, कार के अलग-अलग पार्ट्स जैसे रबर, प्लास्टिक, टायर या बैटरी पर 50% तक का डिप्रिशिएशन लग सकता है, जबकि फाइबरग्लास पर 30% तक और ग्लास पार्ट्स जैसे शीशे पर कोई डिप्रिशिएशन नहीं लगता। इसका मतलब है कि दावे में आपको इन पार्ट्स की लागत का पूरा मुआवजा नहीं मिल पाता।

डिप्रिशिएशन का कार इंश्योरेंस क्लेम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कार इंश्योरेंस में डिप्रिशिएशन का सीधा असर आपके क्लेम के पैसों पर पड़ता है। आइए एक आसान उदाहरण से समझते हैं:

  • मान लीजिए, आपकी 3 साल पुरानी कार के एक पुर्जे (जैसे स्टीरिंग या लाइट) को बदलने में ₹10,000 का खर्च आता है।
  • इंश्योरेंस नियमों के अनुसार, 3 साल पुरानी कार पर 30% का डिप्रिशिएशन लगेगा।
  • इसका मतलब है, इंश्योरेंस कंपनी मानेगी कि उस पुर्जे की वर्तमान कीमत सिर्फ ₹7,000 है (क्योंकि ₹10,000 का 30% यानी ₹3,000 घटा दिए गए)।
  • इसके बाद, अगर आपके पॉलिसी में 'कंप्यूशनरी डिडक्टिबल' (जैसे ₹1000) भी है, तो उसे भी इस ₹7,000 में से घटाया जाएगा।
  • तो, अंत में आपको क्लेम में मिलेंगे: ₹7,000 - ₹1000 = ₹6,000

यानी, आपने ₹10,000 का खर्च किया, लेकिन डिप्रिशिएशन की वजह से आपको सिर्फ ₹6,000 ही वापस मिले।

यह भी पढ़ें

Car की 'हेल्थ' को रखें मेंटेन ! जानें वो 5 ट्रिक्स जो बढ़ाएंगी उम्र

कार इंश्योरेंस डिप्रिशिएशन को प्रभावित करने वाले कारक

कार इंश्योरेंस में डिप्रिसिएशन को कई चीजें प्रभावित करती हैं जैसे:

  • कार की उम्र: जितनी पुरानी कार होगी, उसका डिप्रिसिएशन उतना ही ज्यादा होगा। जैसे 5 साल पुरानी कार नए के मुकाबले बहुत कम कवर मिलेगी।
  • कार का रखरखाव: अगर आपकी कार की सर्विसिंग समय पर नहीं होती या उसकी हालत खराब है, तो उसका डिप्रिसिएशन ज्यादा माना जाएगा।
  • माइलेज: ज्यादा चलने वाली कार की वैल्यू जल्दी घटती है, क्योंकि उसके पार्ट्स जल्दी घिस जाते हैं।
  • पार्ट्स की क्वालिटी: रबर, बैटरी, फाइबर के पार्ट्स का डिप्रिसिएशन ज्यादा होता है (उदाहरण: रबर पार्ट्स में 50% तक डिप्रिसिएशन)।
  • लग्जरी या नॉर्मल कार: महंगी या लग्जरी कारों की डिप्रिसिएशन रेट अधिक होती है, क्योंकि उनके पार्ट्स महंगे होते हैं।
  • फ्यूल टाइप: CNG/इलेक्ट्रिक कारों की डेप्रिसिएशन अलग रेट से होती है।
  • मार्केट डिमांड: अगर किसी मॉडल की मांग ज्यादा है तो उस कार का डेप्रिसिएशन कम होता है।

कार इंश्योरेंस डिप्रिशिएशन को कैसे कम करें?

कार इंश्योरेंस में डिप्रिशिएशन के असर को कम करना बहुत आसान है। बस इन बातों का ध्यान रखें:

  • जीरो डिप्रिशिएशन कवर लें: यह कार इंश्योरेंस डिप्रिशिएशन को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह आपको क्लेम के समय पूरा पैसा दिलाता है, बिना डेप्रिसिएशन काटे। 5 साल तक की गाड़ियों के लिए बेस्ट है।
  • रखरखाव पर ध्यान दें: अपने कार की सर्विसिंग समय पर करवाएं साथ ही रखरखाव पर ध्यान दें।
  • ऐड-ऑन कवर्स को समझें: अपनी पॉलिसी में राइडर जैसे कि इंजन प्रोटेक्शन, रिटर्न टू इनवॉयस आदि को भी जोड़ें।
  • सही मॉडल चुनें: मार्केट में जिस कार की डिमांड ज्यादा होती है उनका डिप्रिशिएशन थोड़ा कम होता है। इसलिए, कार लेते समय सही मॉडल चुनें।

निष्कर्ष

मेहनत से खरीदी अपनी कार के लिए सही इंश्योरेंस लेना और डिप्रिसिएशन के असर को समझना आपकी जेब बचाने में मदद करता है। डिप्रिशिएशन आपकी कार इंश्योरेंस क्लेम राशि को सीधे प्रभावित करता है। जितनी पुरानी कार होगी, उतना ही ज्यादा असर आपके क्लेम पर पड़ेगा। लेकिन अगर आप पहले से समझदारी से कदम उठाएं, जैसे कि जीरो डिप्रिशिएशन कवर लेना या कार की सही तरह से देखभाल करना, तो इस असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।