Anil Ambani Fraud Case: CBI ने अनिल अंबानी के घर पर बैंक फ्रॉड मामले में छापेमारी की। ED ने भी उनके सीनियर अधिकारियों को PMLA के तहत समन जारी किया। जांच में अंबानी से जुड़ी कंपनियों के वित्तीय दस्तावेज और लेनदेन की जांच की जा रही है। 

Anil Ambani CBI Raid: सीबीआई ने अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने 2,000 करोड़ रुपए से अधिक के कथित बैंक फ्रॉड की जांच शुरू करते हुए अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों और कंपनी के ऑफिस पर छापेमारी की। यह मामला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से जुड़े लोन से जुड़ा है। मुंबई में शनिवार सुबह सीबीआई ने अनिल अंबानी के सीविंड, काफी पैराडे आवास पर सुबह करीब 7 बजे सीबीआई की टीम पहुंची। इस दौरान अनिल अंबानी और उनका परिवार भी घर में मौजूद हैं। सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी में 7-8 अधिकारी शामिल हैं, जो अंबानी से जुड़े कंपनियों और वित्तीय दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं।

अनिल अंबानी का मामला क्या है?

जानकारी के मुताबिक, यह लोन 2017 से 2019 के बीच रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिया गया था। शुरुआती जांच में सामने आया कि इन पैसों का इस्तेमाल कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और ग्रुप की अन्य यूनिट्स में डायवर्ट किया गया। SBI ने पहले ही अनिल अंबानी और उनकी कंपनी को 'फ्रॉड' घोषित कर दिया था। बैंक का कहना है कि RCom ने 31,580 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया, जिसमें 13,667 करोड़ रुपए अन्य लोन चुकाने में और 12,692 करोड़ रुपए रिलायंस ग्रुप की दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर किए गए।

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अनिल अंबानी के केस में CBI की एंट्री कैसे हुई?

CBI पहले दो FIR दर्ज कर चुकी है, जो यस बैंक द्वारा रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस को दिए गए लोन से संबंधित हैं। जांच में यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर का नाम भी सामने आया था। इसके अलावा नेशनल हाउसिंग बैंक, SEBI, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी एजेंसियों ने भी जांच में सहयोग किया।

अनिल अंबानी के केस की जांच में क्या सामने आया?

एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि यह पहले से ही पूरी तरह प्लान किया गया था, जिसमें बैंकों, निवेशकों और शेयरहोल्डर्स को गलत जानकारी दी गई। जांच में कई गड़बड़ियां सामने आईं। जैसे-बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन देना, कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर और एड्रेस का इस्तेमाल, लोन से जुड़े जरूरी दस्तावेजों का न होना, फर्जी कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करना, पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन देना (लोन एवरग्रीनिंग)।

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अनिल अंबानी पर ED और NCLT की भी कार्रवाई

इससे पहले 23 जुलाई, 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी। वहीं, अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालियापन की कार्रवाई भी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), मुंबई में पेंडिंग है। यह कार्रवाई न सिर्फ रिलायंस कम्युनिकेशंस बल्कि पूरे रिलायंस ग्रुप की वित्तीय गतिविधियों की जांच का हिस्सा है। 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के कथित फ्रॉड ने बैंकिंग और निवेश समुदाय में हलचल मचा दी है। CBI और ED लगातार इस मामले की जांच कर रहे हैं और जल्द ही और अपडेट सामने आने की संभावना है।