सार

दुनिया भर में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे है। अब जालसाज नकली क्यूआर कोड के माध्यम से यूजर्स को ठग रहे है। इस तरह के अपराध में न सिर्फ पैसे संबंधित धोखाधड़ी होती है बल्कि यूजर्स के फोन से उनकी जानकारी भी निकाल रहे है।

नई दिल्ली. दुनिया भर में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे है। आपने फिशिंग, विशिंग और स्मिशिंग की खबरें तो सुनी ही होगी। लेकिन अब दुनिया में क्लिशंग के मामले भी तेजी से बढ़ रहे है। अब जालसाज नकली क्यूआर कोड के माध्यम से यूजर्स को ठग रहे है। इस तरह के अपराध में न सिर्फ पैसे से जुड़ी धोखाधड़ी होती है बल्कि यूजर्स के फोन की हैकिंग भी की जा रही है।

साल 2023 में बढ़ी यूपीआई स्कैम की वारदात

बीते साल यूपीआई से जुड़े मामले कई ज्यादा बढ़ गए हैं। 2023 में यूपीआई फ्रॉड की शिकायत 30 हजार से ज्यादा हो गई हैं। साल 2022 में इस तरह के मामलों की संख्या 15 हजार थी। यूपीआई संबंधित मामले में ज्यादातर क्यू आर कोड से जुड़े हुए हैं। 

इंस्टाग्राम और वाट्सएप फ्रॉड के बड़े माध्यम

साइबर सेल के अधिकारी बताते है कि ये स्कैमर वाट्सएप या इंस्टाग्राम पर टारगेट को क्यूआर कोड भेजते है। फिर पीड़ित कैशबैक के लालच में इस स्कैनर को अपने फोन से सीधे स्कैन करता है। साथ ही उसमें राशि डालकर पिन दर्ज करता है। इसके बाद स्कैमर टारगेट के बैंक अकाउंट तक पहुंच जाता है। आखिर में स्कैमर टारगेट के खाते से बड़ी रकम खाली कर देता है।

पैसे ही नहीं डेटा भी चुराते है स्कैमर

साइबर सुरक्षा अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस स्कैमर द्वारा भेजे क्यूआर कोड को स्कैन करना आपके फोन का पिछला दरवाजा खोलने जैसा है। यूजर अनजाने में मालवेयर को भी डाउनलोड कर सकता है। इससे यूजर का फोन पूरी तरह हैक हो सकता है। स्कैमर द्वारा फोन पर पूरी तरह से मॉनिटरिंग की जाती है। यूजर को इस बात पर जोर देना चाहिए की पेमेंट रिसीव करने के लिए यूपीआई पिन दर्ज नहीं किया जाता है।

दुनिया भर में बढ़ रहे मामले

भारत में पिछले कुछ महीनो में 40 व्यापारियों को सायबर ठगों ने ठगा और उन्हें लाखों का चूना लगाया है। ये स्कैमर साउंड बॉक्स इंस्टॉलर बन कर आते है और इन साउंड बॉक्स में खास तरह की सेटिंग कर व्यापारियों को चूना लगाते हैं। नए तरह के क्यूआर कोड स्कैम में ड्राइवरों को निशाना बनाया जा रहा है। इसमें पार्किंग के लिए ड्राइवरों को क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए किया जा रहा है। दरअसल, ये स्कैमर पार्किंग में लगे क्यूआर कोड के स्टीकर बदल देते है। ड्राइवरों के स्कैन करते ही ये स्कैमर इनके यूपीआई समेत बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड तक पहुँच जाते है।

ऑनलाइन चोरी हुई रकम को वापस लाना बेहद कठिन

साइबर सेल के एक अधिकारी का कहना है कि इस तरह के मामले में ऑनलाइन चोरी हुए पैसों को वापस लाना बेहद कठिन है। इस तरह के मामले में चोरी हुए पैसों को ब्लॉक करने की कोशिश करते है। लेकिन शातिर स्कैमर एफआईआर होने से पहले ही दूसरे वॉलेट में पैसे ट्रांसफर कर लेते है।

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