सार

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। बजट से ठीक पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने अगले दो वित्त वर्ष के दौरान भारतीय इकोनॉमी के 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है। पहले ये 6.3% था। 

India GDP Growth Forecast: भारत के लिए आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबर है। 1 फरवरी को बजट पेश होने से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त-वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 0.20% बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। पहले ये अनुमान 6.3 प्रतिशत बताया था। इसके साथ ही वहीं वित्त वर्ष 2023-24 के लिए GDP अनुमान 6.7% बताया है।

IMF ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के जनवरी अपडेट में कहा है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की तेजी से बढ़ेगी। बता दें कि इससे पहले वित्त मंत्रालय ने बजट से पहले अपनी रिपोर्ट 'द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू' में कहा था कि भारत की GDP अगले साल 7% की दर से बढ़ सकती है।

भारत में घरेलू मांग में तेजी से हो रहा इजाफा

IMF ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में विकास दर 2024 और 2025 दोनों में मजबूत रहने का अनुमान है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह तेजी से बढ़ती डोमेस्टिक डिमांड है। पिछले 10 सालों में सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों के चलते निजी खपत और इन्वेस्टमेंट में मजबूती आई है। मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट देने के लिए उठाए गए कदम और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश भी बढ़ा है।

ग्लोबल इकोनॉमी के लिए हालात अच्छे नहीं

वहीं, IMF ने ग्‍लोबल इकोनॉमी के लिए 2024 के विकास अनुमान को पहले के अनुमानित 2.9 प्रतिशत से बढ़ाकर कर 3.1 प्रतिशत कर दिया है। 2025 में यह मामूली बढ़कर 3.2 तक रहने की उम्मीद है। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गोरिनचास के मुताबिक, विकास की रफ्तार धीमी है और आगे उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। नई जियोपॉलिटिक्स टेंशन, फाइनेंशियल कंसर्न और महंगाई का रिस्क ग्लोबल इकोनॉमी के लिए खतरे के तौर पर देखा जा रहा है। IMF ने दुनियाभर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में ढील देने की जल्दबाजी से भी बचने को कहा है।

दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

IMF के ताजा ग्रोथ अनुमान के मुताबिक, अगले दो साल में भारत की ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत रहेगी, जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है। वहीं, 2024-25 में अमेरिका की ग्रोथ 1.7 प्रतिशत, चीन की 4.1 प्रतिशत, ब्राजील की 1.9 प्रतिशत, ब्रिटेन की 1.6 प्रतिशत, साउथ अफ्रीका की 1.3 प्रतिशत और जापान की 0.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

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