सार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को केंद्रीय बजट 2024 पेश किया। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट पर एक्सपर्ट्स ने इसकी कमियां और खूबियां गिनाई हैं। 

Budget 2024 Highlights and review: पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार को पेश हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सातवीं बार देश का बजट पेश किया। बजट 2024 में नए टैक्स रिजीम में बदलाव किए गए हैं जिसमें 7.75 लाख रुपये तक इनकम टैक्स से राहत दे दी गई है। हालांकि, पुराने रिजीम में कोई बदलाव नहीं किए गए हैं। कैंसर की तीन प्रमुख दवाएं सस्ती कर दी गई हैं। मोबाइल, सोना-चांदी, प्लेटिनम सस्ता कर दिया गया है। आम बजट का प्रभाव समाज के विभिन्न वर्गों पर कैसा होगा, इस पर एशियानेट न्यूज ने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है। आईए जानते हैं उनकी नजर में बजट का हाल...

विकसित भारत के लिए प्रायरिटी एरिया पर फोकस वाला बजट

(Photo_Prof.Ajey Gupta)

अर्थशास्त्री प्रो.अजेय गुप्ता ने कहा कि निर्मला सीतारमण ने आज एक प्रगतिशील बजट पेश किया। यह बजट देश में हुए इकोनॉमिक्स सर्वे के आधार पर ही बनाया गया है। सर्वे में हमने जो प्रॉयारिटी एरिया तय किए थे उसी पर फोकस किया गया है। अगर हम देश को आगे ले जाना चाहते हैं, आर्थिक विकास करना चाहते हैं, जीडीपी ग्रोथ रेट को सस्टेन करना चाहते हैं तो इन प्रायरिटी एरिया में हमें अपनी डेवलपमेंट पॉलिसीज फोकस करना चाहिए। लांग टर्म डेवलपमेंट के लिए यह बेहद आवश्यक है। प्रो.अजेय गुप्ता ने कहा कि बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस है। बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे रीजन बहुत समय से इग्नोर रहे हैं। बिहार में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना और इससे जोड़कर पर्यटन को विकसित करना विकास का नया पैमाना तय करेगा। देश की 500 बड़ी कंपनियों को केंद्र सरकार इंटर्नशिप के लिए प्रति कैंडिडेट के दर से 5 हजार रुपये देगी। देश के करीब 1.5 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप मिलेगा। स्टूडेंट का इंटर्नशिप से स्किल डेवलप होगा, इससे उसको रोजगार पाना आसान होगा। अगर वह एंटरप्रेन्योरशिप की ओर फोकस करेगा तो उसके लिए भी बजट का प्रावधान किया गया है और फिर वह रोजगार दे सकेगा। स्टार्टअप को प्रमोट करने के लिए एंजेल इन्वेस्टर्स को फंडिंग में आसानी के लिए टैक्स समाप्त कर दिया गया है। प्रो.अजेय गुप्ता ने कहा कि यह बजट अर्बन फोकस बजट है। शहरी क्षेत्र के विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक बात की गई है। हर बजट में बहुत सारे लोगों को शिकायतें रह जाती हैं। लेकिन यह बजट बहुत ही संतुलित और दूरगामी प्रभाव वाला है।

 

पुराने टैक्स रिजीम होगा खत्म, शेयर निवेशकों को देना होगा अधिक टैक्स

(Photo_Banking Expert DM Jha)

बैंकिंग और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट डीएम झा ने कहा कि पब्लिक के लिए यह अच्छा बजट है। मुद्रा लोन बढ़ाने का बेरोजगारों को फायदा होगा। न्यू टैक्स रिजीम में भी फायदा मिला है। इससे लोगों को लाभ होना तय है। टैक्सेशन स्लैब में बदलाव से पब्लिक में अच्छा संकेत जाएगा। लेकिन ओल्ड टैक्स रिजिम में कोई बदलाव न करना यह संकेत है कि आने वाले दिनों में सरकार इसे खत्म करने जा रही है। इसे सरकार इतना रेस्ट्रिक्ट कर देगी कि लोग इसे छोड़ देंगे। सोना-चांदी पर कस्टम ड्यूटी कम करना पब्लिक को खुश करने वाला निर्णय है। हायर एजुकेशन के लिए 10 लाख फाइनेंशियल सपोर्ट पर स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद होगा। डीएम झा ने बताया कि एनपीएस में एम्प्लायर का कंट्रीब्यूशन मैक्सिमम 10 से 14 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे रिटायरमेंट के बाद सोशल सिक्योरिटी बेहतर होगी।

बैंक के सीनियर अधिकारी रह चुके डीएम झा ने कहा कि रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट वालों को अधिक टैक्स देना पड़ेगा। लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को सवा लाख इनकम पर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर साढ़े बारह प्रतिशत कर दिया गया है। इससे सरकार की रेवेन्यू बढ़ेगी लेकिन मार्केट से कमाने वालों को नुकसान होगा। इसी तरह शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15 प्रतिशत की बजाय अब 20 प्रतिशत टैक्स लगना है। सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स भी बढ़ा दिया गया है। यानी जो F&O (फ्यूचर एंड ऑप्शन्स) पर ट्रेडिंग करते थे उन पर एसटीटी दोगुनी कर दी गई है।

 

विकसित भारत शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना कैसे बनेगा?

(Prof Rajesh Chandra Mishra)

गुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष प्रो.राजेश चंद्र मिश्र का मानना है कि पीएम मोदी के विकसित भारत का लक्ष्य बिना स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान दिए पूरा ही नहीं हो सकता। लेकिन आम बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट नाकाफी है। हायर एजुकेशन पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। विकसित भारत का मतलब होता है नॉलेज इकोनॉमी जोकि शिक्षा पर ध्यान दिए बगैर संभव नहीं। एम्स खुल रहे हैं लेकिन अभी भी पुराने एम्स पर ही भीड़ हैं। यह इसलिए क्योंकि नए एम्स या अस्पतालों में डॉक्टर्स ही नहीं हैं। हायर एजुकेशन पर फोकस किए बगैर आप हालात नहीं सुधार सकते हैं। आम जनता को क्या चाहिए, रोटी, कपड़ा और मकान। शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा। पांच किलो अनाज तो मिल रहा लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर देना भूल जा रही सरकार। बजट में सरकारी रोजगार पर कोई खास फोकस नहीं दिखा। शिक्षा और हुनर को लेकर बात होनी चाहिए।

 

टैक्सपेयर्स को इस बजट में कुछ नहीं मिला

(Prof SN Sharma)

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कृषि संकाय के डीन प्रो.एसएन शर्मा ने कहा कि टैक्सपेयर्स के लिए यह बजट निराशाजनक है। अगर हम हायर एजुकेशन के प्रोफेसर्स या अपने ग्रेड वाले नौकरीपेशा वालों की बात करें तो सालाना 8 से 10 लाख रुपये टैक्स दे रहे हैं। वेतनभोगी करीब 30-30 प्रतिशत टैक्स दे रहा है। लेकिन उसे कोई सुविधा नहीं मिल रही है। हम लोग जो टैक्स देते हैं उसके अलावा रोजमर्रा की आवश्यकताओं पर भी टैक्स भर रहे हैं। ऐसे में हम अपनी कमाई का 50 से 60 प्रतिशत हिस्सा तो सरकार को टैक्स के रूप में दे दे रहे हैं। सुविधा के नाम पर हमको कुछ भी रिबेट नहीं मिल रहा। प्रत्यक्ष करदाता को बजट में राहत देनी चाहिए थी। आम आदमी को भी बहुत राहत इस बजट में नहीं मिलता दिख रहा है। ओल्ड स्कीम वालों को भी नुकसान ही इस बजट में हैं। किसानों को कुछ नहीं मिला। आम आदमी के लिए भी कुछ खास नहीं दिख रहा। कृषि में टिकाऊ खेती की बात कहीं नहीं दिखी। किसानों को सबसे अधिक राहत दी जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार को हर वर्ग के लिए कुछ ठोस प्राविधान करना चाहिए।

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