सार

त्योहारों के समय कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए कई मार्केटिंग तरकीबें अपनाती हैं। इस लेख में, हम ऐसी 10 आम तरकीबों का खुलासा करेंगे और बताएंगे कि आप इनसे कैसे बच सकते हैं।

त्योहारों के मौसम में, कंपनियां 'स्पेशल डिस्काउंट', 'फेस्टिव ऑफर' जैसे नामों से बड़ी बिक्री चलाती हैं। ऑफर के चक्कर में, कई लोग जरूरत से ज्यादा सामान खरीद लेते हैं। ई-कॉमर्स ऐप सहित, कंपनियां ग्राहकों की कमजोरियों का फायदा उठाकर बिक्री करती हैं। आइए जानें इन बिक्री तरकीबों से कैसे बचा जा सकता है।

1. गोल्डीलॉक्स तरकीब

अगर कोई कंपनी चाहती है कि किसी उत्पाद का एक खास मॉडल बिके, तो वह उसके अलग-अलग वैरिएंट अलग-अलग कीमतों पर बेचती है। मान लीजिए, कंपनी चाहती है कि 'स्टैंडर्ड' मॉडल ज्यादा बिके। तो, वह 'प्रीमियम' और 'बेसिक' मॉडल भी साथ में रखेगी। 'प्रीमियम' मॉडल महंगा होगा, जबकि 'बेसिक' मॉडल सस्ता होगा लेकिन उसमें कम फीचर्स होंगे। स्वाभाविक है कि लोग 'स्टैंडर्ड' मॉडल ज्यादा खरीदेंगे।

इससे कैसे बचें?

ग्राहक को अपनी जरूरत के हिसाब से उत्पाद चुनना चाहिए, न कि कंपनी की मार्केटिंग के हिसाब से।

2. उत्सुकता जगाने वाली तरकीब

इसमें, उत्पाद के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी देकर ग्राहक की उत्सुकता बढ़ाई जाती है। जैसे मछली पकड़ने के लिए कांटे पर चारा लगाया जाता है, वैसे ही ग्राहक की उत्सुकता का फायदा उठाया जाता है।

इससे कैसे बचें?

उत्पाद के बारे में और जानने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन उसे खरीदने से पहले अच्छी तरह सोचें। अगर वही उत्पाद दूसरी कंपनियां भी बेच रही हैं, तो उनकी तुलना करें।

3. फ्रेमिंग इफेक्ट

मान लीजिए, किसी उत्पाद की असली कीमत ₹500 है। अगर वही उत्पाद 50% छूट के साथ ₹1000 में बेचा जाए, तो लोग उसे खरीदने के लिए ज्यादा आकर्षित होंगे।

इससे कैसे बचें?

उत्पाद की असली कीमत पता करें। ऑफर के झांसे में न आएं।

4. एहसान का जाल

जब कोई ग्राहक किसी दुकान से खरीदारी करता है, तो उसे खास ऑफर या छूट देकर दुकानदार उस पर एहसान जताता है। इससे ग्राहक उस दुकान से दोबारा खरीदारी करने और दूसरों को भी उसके बारे में बताने के लिए प्रेरित होता है। इस तरह, दुकानदार को एक स्थायी ग्राहक मिल जाता है और नए ग्राहक भी आते हैं।

इससे कैसे बचें?

ऑफर लेने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन यह देखें कि क्या उत्पाद अच्छी क्वालिटी का है, आपके बजट में है और क्या आपको उसकी वास्तव में जरूरत है।

5. सामाजिक दबाव

समाज में दूसरों के खरीददारी के फैसले हमें भी प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी उत्पाद को खरीदने के बारे में सोच रहे हैं और आपको उसके बारे में सकारात्मक रिव्यू मिलते हैं, तो आप उसे खरीद सकते हैं, भले ही आपको उसकी ज्यादा जरूरत न हो। या फिर, अगर कोई मशहूर हस्ती किसी उत्पाद का प्रचार करती है, तो आप उसे खरीदने पर विचार कर सकते हैं। यहां, दूसरों की राय आपके फैसले को प्रभावित कर रही है।

इससे कैसे बचें?
उत्पाद की क्वालिटी जाने बिना, सिर्फ दूसरों की बातों में आकर उसे न खरीदें।

6. बार-बार दिखाई देने का असर

जो उत्पाद हमें बार-बार विज्ञापन में दिखाई देता है, वह हमें ज्यादा जाना-पहचाना लगता है। इस वजह से, हम दूसरे विकल्पों पर विचार किए बिना ही उस उत्पाद को खरीद लेते हैं।

इससे कैसे बचें?

खरीदारी करने से पहले, जरूरत की चीजों की लिस्ट बनाएं। सिर्फ उन्हीं चीजों को खरीदें। दुकान में सिर्फ इसलिए कोई उत्पाद न खरीदें क्योंकि आपने उसे विज्ञापन में देखा है।

7. महंगा उत्पाद बेचने की तरकीब

इसमें, आपको एक महंगा उत्पाद कम कीमत पर या बेहतर क्वालिटी में देने का ऑफर दिया जाता है। आपको लग सकता है कि यह आपके लिए एक खास ऑफर है और आप उसे खरीद सकते हैं।

इससे कैसे बचें?
याद रखें, कोई भी ऑफर सिर्फ आपके लिए नहीं होता है। यह समझें कि यह सिर्फ आपको वह महंगा उत्पाद बेचने की एक तरकीब है।

8. आपका दोस्त बनने वाला विक्रेता

कुछ विक्रेता ग्राहक से उसकी भाषा और अंदाज में बात करके उससे दोस्ती करने की कोशिश करते हैं। इससे ग्राहक को लगता है कि विक्रेता उसका अपना है और वह उस पर भरोसा कर सकता है। इस तरह, विक्रेता ग्राहक को आसानी से कोई भी उत्पाद बेच देता है।

इससे कैसे बचें?
सिर्फ उत्पाद पर ध्यान दें। उसकी क्वालिटी और कीमत पर गौर करें, न कि विक्रेता पर।

9. सीमित स्टॉक की आड़ में बिक्री

कई कंपनियां, खासकर ऑनलाइन कंपनियां, यह दिखाती हैं कि उनके पास किसी उत्पाद का स्टॉक बहुत कम बचा है। इससे ग्राहक को लगता है कि अगर उसने जल्दी नहीं खरीदा, तो वह उत्पाद उसके हाथ से निकल जाएगा। इस वजह से, कई लोग जरूरत न होने पर भी वह उत्पाद खरीद लेते हैं।

इससे कैसे बचें?

हो सकता है कि कुछ समय बाद वही उत्पाद उसी कंपनी द्वारा या किसी दूसरी कंपनी द्वारा फिर से बेचा जाए। इसलिए, घबराहट में आकर खरीदारी न करें।

10. कहानी सुनाकर बिक्री

विक्रेता को अपने उत्पाद के बारे में अच्छी जानकारी होती है। इसलिए, वह उत्पाद के बारे में एक कहानी की तरह रोचक तरीके से बताता है। इससे ग्राहक को उत्पाद पर भरोसा हो जाता है और वह उसे खरीद लेता है।

इससे कैसे बचें?

हो सकता है कि वही उत्पाद आपको कहीं और कम कीमत पर या किसी दूसरे ब्रांड में मिल जाए। इसलिए, कहानी में न आकर सिर्फ उत्पाद पर ध्यान दें।