केंद्र सरकार GST के चार दरों को घटाकर दो करने जा रही है। आम लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अधिकतर सामानों पर 5%-18% GST लगेगा। इससे कीमतें कम होंगी। लोगों को महंगाई से राहत मिलेगी। उनके पैसे की बचत होगी।
GST Slabs: GST (Goods and Services Tax) में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। GST दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित मंत्रिसमूह (GoM) ने स्लैब की संख्या कम करने पर सहमति व्यक्त की है। गुरुवार को इस संबंध में अहम बैठक हुई। इसमें राज्य मंत्रियों के पैनल ने 4 दर प्रणाली को घटाकर 5% और 18% की दो मुख्य स्लैब में लाने की केंद्र की योजना को स्वीकार किया। यह कदम जीएसटी 2.0 की शुरुआत का प्रतीक है। इसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, अनुपालन में आसान तथा परिवारों और व्यवसायों पर बोझ कम करना है। नए बदलावों से आम लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे 90 फीसदी सामानों की कीमत कम होगी।
GST के चार की जगह होंगे दो स्लैब
इस समय GST के चार स्लैब 5%, 12%, 18%, और 28% हैं। केंद्र सरकार 12% और 28% की दरें खत्म करने जा रही है। ज्यादातर सामानों पर GST 5% या 18% की दर से लगेगी। तंबाकू और कुछ विलासिता की वस्तुओं जैसे "पाप-विरोधी वस्तुओं" की एक सीमित सूची पर 40% का हाई टैक्स लागू रहेगा। पैनल ने यह भी सिफारिश की है कि लक्जरी कारों को भी 40% कर दायरे में लाया जाए। योजना है कि 99% सामान जिनपर पहले 12% टैक्स लिया जा रहा था उनपर 5% टैक्स लगाया जाए। इसी तरह 90% सामान जिनपर 28% टैक्स लिया जाता था, उनपर 18% कर लिया जाए।
GST रेट घटने से आम लोगों को मिलेगी राहत
केंद्र सरकार ने कहा है कि नए ढांचे से रोजमर्रा की वस्तुओं पर GST की दर कम होने से परिवारों, किसानों और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी। दवाइयां, प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट, कपड़े, जूते-चप्पल और कई घरेलू उत्पाद 5% की दर वाले स्लैब में आने की उम्मीद है। इससे महंगाई कम होगी। आम लोगों के पैसे बचेंगे। बड़े घरेलू उपकरण, टेलीविजन और अन्य टिकाऊ सामान पहले की 28% की दर के बजाय 18% की दर के अंतर्गत आएंगे। इससे इनकी कीमतें कम होंगी।
बीमा पर जीएसटी छूट की हो रही समीक्षा
मंत्रिसमूह ने व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य और जीवन बीमा को जीएसटी से छूट देने की केंद्र सरकार की योजना पर भी चर्चा की। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो पॉलिसी धारकों को अपने प्रीमियम पर जीएसटी नहीं देना होगा। अधिकारियों का अनुमान है कि इस तरह की छूट से सरकारी राजस्व में हर साल लगभग 9,700 करोड़ रुपए की कमी आ सकती है। हालांकि ज्यादातर राज्यों ने इस विचार का समर्थन किया। उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था की भी मांग की जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बीमा कंपनियां ग्राहकों को लाभ पहुंचाएं।
मंत्री समूह की सिफारिशें अब जीएसटी परिषद को भेजी जाएंगी। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करती हैं। इसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। परिषद द्वारा अपनी आगामी बैठक में प्रस्तावों की समीक्षा करने और अंतिम निर्णय लेने की उम्मीद है।
