सार
मई, 2023 में सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से 1,57,090 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें CGST 28,411 करोड़ रुपये, SGST 35,828 करोड़ रुपये और IGST 81,363 करोड़ रुपये है। बता दें कि ये सालभर पहले यानी मई, 2022 की तुलना में 12% अधिक है।
GST Collection in may 2023: मई, 2023 में सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से 1,57,090 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें CGST 28,411 करोड़ रुपये, SGST 35,828 करोड़ रुपये और IGST 81,363 करोड़ रुपये है। बता दें कि ये सालभर पहले यानी मई, 2022 की तुलना में 12% अधिक है। तब सरकार ने GST से 1.40 लाख करोड़ रुपये कमाए थे।
अप्रैल की तुलना में कम रहा कलेक्शन
हालांकि, पिछले महीने के साथ GST की तुलना करें तो इसके कलेक्शन में कमी आई है। अप्रैल, 2023 में सरकार का जीएसटी कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ रुपये था। बता दें कि मई, 2023 में सरकार ने IGST से CGST में 29769 करोड़ रुपये और CGST में 35,369 करोड़ रुपये का निपटान किया है। नियमित निपटान के बाद मई 2023 में केंद्र और राज्यों का कुल रेवेन्यू CGST के लिए 63,780 करोड़ रुपये और SGST के लिए 65,597 करोड़ रुपए है।
मई 2023 में राज्यवार कैसा रहा GST रेवेन्यू
राज्य | मई, 2022 | मई, 2023 | ग्रोथ (% में) |
जम्मू-कश्मीर | 372 | 422 | 14 |
हिमाचल प्रदेश | 741 | 828 | 12 |
पंजाब | 1833 | 1744 | -5 |
उत्तराखंड | 1309 | 1431 | 9 |
हरियाणा | 6663 | 7250 | 9 |
दिल्ली | 4113 | 5147 | 25 |
राजस्थान | 3789 | 3924 | 4 |
उत्तर प्रदेश | 6670 | 7468 | 12 |
बिहार | 1178 | 1366 | 16 |
पश्चिम बंगाल | 4896 | 5162 | 5 |
झारखंड | 2468 | 2584 | 5 |
ओडिशा | 3956 | 4398 | 11 |
मध्य प्रदेश | 2746 | 3381 | 23 |
गुजरात | 9321 | 9800 | 5 |
महाराष्ट्र | 20313 | 23536 | 16 |
कर्नाटक | 9232 | 10317 | 12 |
वित्त वर्ष 2022-23 में ऐसा रहा GST कलेक्शन
वित्त वर्ष 2022-23 में कुल GST कलेक्शन कुल 18.10 लाख करोड़ रुपए रहा। अगर हर महीने GST कलेक्शन के औसत की बात करें तो यह 1.51 लाख करोड़ रुपए रहा है। वहीं 2022-23 में GST का ग्रॉस रेवेन्यू, पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 की तुलना में करीब 22% ज्यादा रहा है।
क्या है GST?
जब भी हम कोई सामान खरीदते हैं या सर्विस लेते हैं तो उसके बदले टैक्स देना होता है। इसी को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स या GST कहते हैं। पहले यह टैक्स व्यवस्था अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग थी, लेकिन अब देश के किसी भी कोने में एक सामान के लिए उतना ही टैक्स देना पड़ता है, जितना दूसरे राज्यों में देना होता है।
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