सार
इसरो का चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च हो गया है। 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 को लेकर लोगों के मन में कई सवाल है, आइए जानते हैं ऐसे ही सवालों के जवाब।
Chandrayaan-3: इसरो (ISRO) का चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3) लॉन्च हो चुका है। 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 'बाहुबली रॉकेट' लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) से लॉन्च किया गया। हर किसी की निगाहें बस मिशन चंद्रयान-3 की तरफ लगी हैं। ऐसे में चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े कई सवाल हैं, जो आम आदमी के मन में हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही 10 सवालों के जवाब।
सवाल नंबर 1- चंद्रयान-3 मिशन की लागत कितनी है? इस पर कितना खर्च हो रहा है?
जवाब - चंद्रयान-3 मिशन की लागत करीब 75 मिलियन डॉलर है। भारतीय रुपए में देखें तो यह लगभग 615 करोड़ रुपए के आसपास आती है।
सवाल नंबर 2- चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने में कितने दिन लगेंगे?
जवाब - धरती से चंद्रमा की दूरी करीब 3,84,400 किलोमीटर है। इस दूरी को चंद्रयान करीब 42 दिनों में पूरी करेगा। माना जा रहा है कि 23-24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी।
सवाल नंबर 3 - चंद्रयान-3 मिशन के साथ क्या-क्या जाएगा?
जवाब- चंद्रयान-3 मिशन के तहत प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर जा रहे हैं। एक बार जब चंद्रयान-3 का प्रपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के आसपास पहुंच जाएगा, तो यह लैंडर से अलग होने के पहले 100 किमी गोलाकार ध्रुवीय चंद्र कक्षा में प्रवेश करेगा। एडवांस्ड सेंसर और लैंडिंग सिस्टम से लैस लैंडर दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। प्लानिंग के मुताबिक, टचडाउन वेग का लक्ष्य वर्टिकली (लंबवत) 2 मीटर/सेकेंड से कम और हॉरिजोंटली (क्षैतिज) 0.5 मीटर/सेकेंड है, जिससे पूरी तरह से नियंत्रित लैंडिंग की उम्मीद है।
सवाल नंबर 4 - चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर पहुंचकर क्या काम करेगा?
जवाब - चंद्रयान-3 के साथ जा रहा रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद वैज्ञानिकों को चांद से जुड़ी जानकारियां भेजेगा। रोवर चंद्रमा की सरफेस से लेकर वहां के वातावरण और पानी की मौजूदगी के बारे में भी जानकारी देगा। लैंडर-रोवर भूकंपमापी, स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल मेजरमेंट डिवाइसेस के साथ कई तरह के वैज्ञानिक उपकरण ले जाने में सक्षम है।
सवाल नंबर 5 - चंद्रयान-3 मिशन के लिए 14 जुलाई को 2.35 का समय ही क्यों चुना गया?
जवाब - स्पेस किड्ज की फाउंडर और CEO डॉक्टर श्रीमैथी केसन के मुताबिक, प्रक्षेपण के दौरान आकाशीय पिंडों का समन्वयन मिशन की दक्षता और सटीकता को और अधिक बढ़ाता है। यही वजह है कि इसरो ने रणनीतिक रूप से चंद्रमा और दूसरे ग्रहों के अलाइनमेंट को ध्यान में रखते हुए इस समय को चुना है, ताकि मिशन पूरी तरह सफल रहे।
सवाल नंबर 6- चंद्रयान-3 किस रॉकेट से जाएगा? इसके बारे में और क्या जानकारी है?
जवाब- चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाले रॉकेट का नाम GSLV लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) है। यह रॉकेट 43.5 मीटर लंबा है। 'फैट ब्वॉय' के नाम से पहचाने जाने वाले LVM3-M4 के जरिए ही चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में जाएगा।
सवाल नंबर 7- चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर कहां उतारा जाएगा?
जवाब - चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा। चांद का दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव की तुलना में ज्यादा बड़ा है। साथ ही यहां पानी के होने की संभावना भी है। एक बार जब चंद्रयान-3 का प्रपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के आसपास पहुंच जाएगा, तो यह लैंडर से अलग होने के पहले 100 किमी गोलाकार ध्रुवीय चंद्र कक्षा में प्रवेश करेगा। एडवांस्ड सेंसर और लैंडिंग सिस्टम से लैस लैंडर दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।
सवाल नंबर 8 - चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद क्या होगा?
जवाब - वैज्ञानिकों के मुताबिक, लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद रॉकेट चंद्रयान-3 को धरती से करीब 180 KM ऊपर इजेक्ट कर देगा। इसके बाद अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में 5-6 बार घूमेगा। फिर धीरे-धीरे इसे चांद की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद प्रपल्शन मॉड्यूल लैंडर के साथ चांद की कक्षा में जाने की यात्रा शुरू करेगा
सवाल नंबर 9 - अब तक कितने तरह के चंद्र मिशन चांद पर भेजे जा चुके हैं?
जवाब - चंद्रमा पर अब तक 6 तरह के चंद्र मिशन भेजे जा चुके हैं। इनमें फ्लाईबायस, इम्पैक्ट मिशन, ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर और मानव मिशन शामिल हैं।
सवाल नंबर 10 - चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग देखने के लिए क्या कोई टिकट है? अगर है तो कीमत कितनी होगी?
जवाब - चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग देखने के लिए लॉन्च व्यू गैलरी बनाई गई है, जिसमें 10 हजार लोग बैठ सकेंगे। लॉन्चिंग के लिए रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुका है। हालांकि, इस लॉन्चिंग को देखने के लिए इसरो ने किसी तरह के टिकट का जिक्र नहीं किया है। लेकिन इसके लिए रजिस्ट्रेशन जरूर कराया गया है। सभी सीटें साढ़े 3 घंटे में ही बुक हो गई थीं।
ये भी देखें :
चंद्रयान-3: जानें क्यों ISRO ने चंद्रयान मिशन के लिए 2.35 बजे का वक्त ही चुना, इसके पीछे एक खास मकसद