सार

90 के दशक में शेयर बाजार का बेताज बादशाह कहलाने वाला केतन पारेख कैसे बना लोगों को कंगाल करने वाला सटोरिया? जानिए, कैसे उसने बैंकों को लगाया हजारों करोड़ का चूना।

बिजनेस डेस्क। शेयर बाजार की दुनिया में एक से बढ़कर एक ऐसे सटोरिये हुए हैं, जिन्होंने लोगों को ज्यादा पैसे कमाने के सब्जबाग दिखाकर उनकी जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई फूंक दी। इतना ही नहीं, स्टॉक मार्केट की दुनिया का बेताज बादशाह बनने की कोशिश में इन ब्रोकर्स ने कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी हजारों करोड़ का चूना लगाया है। इन्हीं में से एक नाम है केतन पारेख का। ये वो शख्स है, जिसकी वजह से कई बैंक दिवालिया हो गए। जानते हैं, पूरी कहानी।

कौन है केतन पारेख?

90 के दशक में केतन पारेख का नाम दलाल-स्ट्रीट में गूंजता था। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट केतन को तब शेयर मार्केट की दुनिया का वन मैन आर्मी भी कहा जाता था। केतन जिस स्टॉक पर हाथ रख दे उसे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता था। वहीं, जिसे वो बेच दे वो शेयर अर्श से फर्श पर आ जाता था। केतन का जलवा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर किसी शेयर के बारे में अफवाह भी उड़ जाए कि फलां स्टॉक को वो खरीद रहा है तो उसे रॉकेट बनने से कोई नहीं रोक पाता था।

हर्षद मेहता से सीखे शेयर मार्केट के गुर

केतन पारेख ने शेयर बाजार की दुनिया के सबसे बदनाम शख्स हर्षद मेहता से स्टॉक मार्केट के गुर सीखे। दोनों ने काफी समय तक साथ में काम किया। हालांकि, 1999-2000 में जब टेक्नोलॉजी बूम आया तो केतन समझ गया कि अब IT शेयरों में जबर्दस्त तेजी आने वाली है। ऐसे में उसने तमाम आईटी स्टॉक्स में निवेश करना शुरू कर दिया। इसके लिए उसने छोटे और कम मार्केट कैप वाले शेयरों को चुना।

केतन ने कैसे किया फर्जीवाड़ा ?

केतन अपना काम कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से करता था, जहां मुंबई के मुकाबले उतने कड़े रूल्स नहीं थे। केतन ने विप्रो, इन्फोसिस जैसी बड़ी आईटी कंपनियों में पैसा न लगाकर जानबूझकर छोटे IT शेयरों को खरीदा। शुरुआत में उसने चेन्नई की पेंटाफोर सॉफ्टवेयर के शेयर खरीदे। कर्ज में डूबी इस कंपनी के शेयर काफी सस्ते मिल रहे थे। केतन ने कंपनी के प्रमोटर्स के साथ मिलकर सांठगांठ की और शेयरों को ज्यादा से ज्यादा खरीदकर उसके भाव बढ़ाने लगा। इसके चलते शेयर में अचानक उछाल आया। बाद में उसने यही तरकीब दूसरी कंपनियों के शेयर खरीदकर भी आजमाई।

जब ‘पेंटाफोर बुल’ के नाम से मशहूर हो गया केतन

कुछ ही वक्त में केतन पारेख की वजह से पेंटाफोर सॉफ्टवेयर के शेयरों की कीमत इतनी बढ़ गई कि उसे 'पेंटाफोर बुल' नाम दे दिया गया। इसके बाद केतन ने पेंटाफोर की तरह ही जालसाजी कर जीटीएल, सिल्वरलाइन टेक्नोलॉजीज, रैनबैक्सी, पेंटामीडिया ग्राफिक्स, एचएफसीएल, जी टेलीफिल्म्स, DSQ सॉफ्टवेयर, एफटेक इन्फोसिस, ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और SSI जैसी कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़वाए।

175 रुपए के शेयर को पहुंचा दिया 2700

केतन पारेख ने साल 2000 में कंपनी के प्रमोटर्स के साथ मिलीभगत करके पेंटाफोर सॉफ्टवेयर के शेयर का भाव 175 रुपये से बढ़कर 2700 रुपये तक पहुंचा दिया। इसी तरह, ग्लोबल टेलीसिस्टम्स का रेट 185 से बढ़ाकर 3100 रुपये हो गया। सोनाटा सॉफ्टवेयर का स्टॉक 90 रुपये से बढ़कर 2150 रुपये तक पहुंच गया।

2001 में बजट के बाद खुल गई केतन की पोल

केंद्र सरकार ने 2001 में बजट के दौरान कुछ ऐसे प्रावधान किए, जिनका नेगेटिव असर शेयर बाजार और आईटी शेयरों में दिखा। देखते ही देखते सेंसेक्स 175 प्वाइंट नीचे आ गया, जो तब के हिसाब से बहुत बड़ा डाउनफॉल था। बाजार में गिरावट के चलते SEBI और RBI ने मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि केतन पारेख ने पंप एंड डंप तकनीक के जरिये न सिर्फ निवेशकों बल्कि कई बैंकों से कर्ज लेकर उन्हें भी बड़ा चूना लगाया था।

क्या होता है पंप एंड डंप?

पंप एंड डंप शेयर बाजार का फर्जीवाड़ा है। इसमें कोई बड़ा निवेशक हेरफेर करके छोटे-मोटे शेयरों को जबर्दस्ती पंप करके उनकी कीमतें बढ़ा देता है। जब ऐसे शेयरों के भाव काफी ऊपर पहुंच जाते हैं तो चुपचाप अपने स्टॉक बेचकर निकल जाता है। इससे आम निवेशकों का पैसा शेयर बाजार में फंस जाता है।

बैंक अफसरों को घूस खिलाकर लिया बड़ा कर्ज

रिपोर्ट्स के मुताबिक, केतन पारेख ने कई बैंक के अफसरों को घूस खिलाकर करीब 800 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आनेवाले सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (Serious Fraud Investigation Office) की रिपोर्ट के मुताबिक, केतन पारिख ने करीब 40,000 करोड़ रुपए का घोटाला किया। केतन को तीन साल की जेल भी हुई, लेकिन बाद में वो जमानत पर रिहा हो गया।

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