सार
कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट ने ओपेक (OPEC) देशों की चिंता बढ़ा दी है। इसी बीच सऊदी अरब ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए कहा है कि वो जुलाई से हर दिन 10 लाख बैरल तेल की कटौती करेगा। इस कटौती का असर भारत समेत पूरी दुनिया में पड़ सकता है।
Oil Cut by Saudi Arab: कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट ने ओपेक (OPEC) समूह देशों की चिंता बढ़ा दी है। इसी बीच सऊदी अरब ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया है। सऊदी अरब ने कहा है कि वो जुलाई से हर दिन 10 लाख बैरल तेल की कटौती करेगा। क्योंकि ओपेक ग्रुप तेल की गिरती कीमतों के चलते प्रोडक्शन में कटौती करना चाहते हैं। बता दें कि इससे पहले भी ओपेक देश दो बार ऑयल प्रोडक्शन में कटौती कर चुके हैं।
ऑयल प्रोडक्शन में कटौती को राजी हुए OPEC देश
ओपेक देशों के बीच हुई इस डील में बाकी ऑयल प्रोड्यूसर देश भी 2024 के आखिर तक पहले के उत्पादन की तुलना में कटौती करने को राजी हो गए हैं। सऊदी अरब द्वारा तेल उत्पादन में कटौती के फैसले पर वहां के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुला अजीज बिन सलमान का कहना है कि ये बाकी तेल उत्पादक देशों के साथ समझौते पर आम सहमति बनी है, इसलिए आज का दिन हमारे लिए काफी अहम है।
आगे और बढ़ सकती है Crude oil में कटौती
सऊदी के ऊर्जा मंत्री सलमान ने आगे कहा- नए प्रोडक्शन टारगेट पहले से ज्यादा ट्रांसपेरेंट और न्यूट्रल होंगे। उन्होंने कहा कि तेल उत्पादन में कटौती आगे और बढ़ सकती है। वहीं, सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि देश का ऑयल प्रोडक्शन जुलाई में घटकर 90 लाख बैरल रोजाना हो जाएगा, जो मई में करीब 1 करोड़ बैरल प्रतिदिन था। पिछले कुछ सालों से तुलना करें तो ये अब तक की सबसे बड़ी कटौती है।
तेल में कटौती से क्या होगा असर?
ओपेक देशों द्वारा ऑयल प्रोडक्शन में कटौती का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है। ये समूह दुनियाभर के कुल कच्चे तेल में से 40% प्रोड्यूस करता है। ऐसे में अगर उत्पादन में कटौती की जाती है तो इसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा। भारत समेत उन देशों में इसका असर देखने को मिल सकता है, जो बाहर से तेल आयात करते हैं।
क्या है ओपेक (OPEC)
ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries) की स्थापना 1960 में हुई थी। यह पेट्रोलियम उत्पादक देशों का समूह है। इसके सदस्य देशों में सऊदीअरब, अल्जीरिया, ईरान, ईराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया, लीबिया, वेनेजुएला, अंगोला, गबोन, गिनी, इक्वाडोर और कांगो हैं। बता दें कि पहले इसमें कतर भी शामिल था, लेकिन 2018 में वो इससे बाहर हो गया।
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