सार

भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान बुलाई गई डिजिटल इकोनॉमी मिनिस्टर्स की बैठक में कहा गया कि DPI साझा डिजिटल सिस्टम का एक सेट है, जो सुरक्षित और इंटरऑपरेबल होना चाहिए। साथ ही इसकी मदद से आम लोगों तक सरकारी सुविधाओं को बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकता है।

Digital Public Infrastructure: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) एक परिवर्तनकारी, डिजिटल और संपूर्ण समाज का वादा करता है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के लिए बेहतर है। भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान बुलाई गई डिजिटल इकोनॉमी मिनिस्टर्स की बैठक में कहा गया कि DPI साझा डिजिटल सिस्टम का एक सेट है, जो सुरक्षित और इंटरऑपरेबल होना चाहिए। साथ ही इसकी मदद से आम लोगों तक सरकारी सुविधाओं को बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकता है।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को अपनाने के इच्छुक ज्यादातर देश डिजिटल पहचान, पेमेंट्स और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के लिए इसका उपयोग करना चाहते हैं। हालांकि, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल सरकारों और व्यवसायों को मॉड्यूलर बनाने में भी किया जा सकता है।

क्या है ओपन नेटवर्क?
ओपन नेटवर्क एक तरह से डि-सेंट्रलाइज्ड डिजिटल बुनियादी ढांचा है, जो इंटरनेट के सभी पार्टिसिपेंट्स, खरीदारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्लेटफ़ॉर्म और एप्लिकेशन को बाजार तक पहुंच की परमिशन देता है। ओपन नेटवर्क बंद, स्व-निहित प्लेटफॉर्म का विकल्प देता है, जो बड़े स्तर पर कंज्यूमर डेटा को कंट्रोल करता है और ये डिजिटल इकोनॉमी के गेटकीपर्स बन गए हैं। वे किसी प्लेटफॉर्म इंटरमीडियरी की जरूरत के बिना भी कमर्शियल ईकोसिस्टम में मार्केट पार्टिसिपेंट्स को सीधे बातचीत करने में सक्षम बनाकर ऐसा करते हैं।

प्लेटफ़ॉर्म और ओपन नेटवर्क के बीच अंतर ये है कि ओपन नेटवर्क बाद में होने वाले ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए अनिवार्य रूप से डिज़ाइन विकल्प है, जो प्लेटफ़ॉर्म मध्यस्थों पर निर्भरता को खत्म करता है। कोई भी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) एक खुले प्रोटोकॉल पर बनाया जाता है, जो कि डिजिटल प्रणालियों के लिए एक दूसरे के साथ स्वतंत्र रूप से संचार को संभव बनाता है।

क्या है बेकन प्रोटोकॉल?
बेकन प्रोटोकॉल ओपन नेटवर्क के निर्माण के लिए उपयोग किए जा रहे प्रोटोकॉल में से एक है। यह एक ओपन प्रोटोकॉल है, जो कि पूरे उद्योग में लोकेशन अवेयर लोकल कॉमर्स को सक्षम बनाता है। इसे एक उद्योग, एक क्षेत्र या एक बाज़ार में अपने प्रतिभागियों के बीच खुले, इंटरऑपरेबल इंटरेक्शन को सक्षम करने के लिए अपनाया जा सकता है। स्टैंडर्ड एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस के एक सेट को लागू करने के लिए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के इन स्टेप्स को पूरा करना होता है।

1- डिस्कवरी: उपभोक्ता किसी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदने का अपना इरादा बताते हैं और बेकन विक्रेताओं की लिस्ट उपलब्ध कराता है।

2- ऑर्डर: खरीदार और विक्रेता लेनदेन के नियमों और शर्तों पर सहमत होते हैं। इस स्टेज में हर एक एप्लिकेबल सेक्टर के लिए एक्सपेक्टेशंस अलग-अलग होती हैं।

3- फुलफिलमेंट : सेवा प्रदाता या विक्रेता उपभोक्ताओं तक डिलीवरी के लिए एजेंटों को नियुक्त करते हैं। इसलिए एक ओपन नेटवर्क समुदाय-संचालित गवर्नेंस मॉडल बनाने का प्रयास करता है, जो किसी को भी बाज़ार के नेटवर्क में शामिल होने की परमिशन देता है।

भारत में कई सेक्टर में ओपन नेटवर्क लागू 
भारत ने पहले ही कई क्षेत्रों में ओपन नेटवर्क लागू किया है। इसमें भी सबसे ज्यादा चर्चा जिस ओपन नेटवर्क की हो रही है, वो ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) है, जो कि भारत सरकार के नेतृत्व वाली एक पहल है। इसका उद्देश्य डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं के सभी पहलुओं के लिए ओपन नेटवर्क को बढ़ावा देना है। इसके अलावा एक और ओपन नेटवर्क DPI है, जो शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। इसका मकसद इंटरऑपरेबल नेटवर्क के माध्यम से स्किल डेवलप करना है, जो विविध शैक्षिक सामग्री, छात्रवृत्ति, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और सभी के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है।

कोच्चि मोबिलिटी और नम्मा यात्री के पीछे भी बेकन प्रोटोकॉल
कोच्चि में दुनिया के पहले डि-सेंट्रलाइज्ड ओपन मोबिलिटी नेटवर्क के पीछे भी बेकन प्रोटोकॉल ही था, जिसे कोच्चि ओपन मोबिलिटी नेटवर्क के नाम से जाना जाता है। मोबिलिटी सेक्टर में ओपन नेटवर्क के सफल प्रयोग के बाद इसे बेंगलुरू के नम्मा यात्री के लिए बनाया गया, जो कि अब ऑटो रिक्शा के बाद मेट्रो रेल नेटवर्क तक विस्तार कर रहा है।

प्लेटफ़ॉर्म केंद्रित मॉडल से नेटवर्क केंद्रित मॉडल में बदलाव की जरूरत

ओपन नेटवर्क ने ग्लोबल लेवल पर भी अपनी क्षमता को दिखाया है। उदाहरण के लिए, दुनिया भर के कई देश वर्तमान में ई-कॉमर्स में अविश्वास से जूझ रहे हैं, जहां बाजार सिर्फ कुछ प्लेटफॉर्म का दबदबा है। इन्हें सेंट्रलाइज्ड और क्लोज्ड ईकोसिस्टम के आधार पर डिजाइन किया गया है। ऐसे में ओपन नेटवर्क प्लेटफ़ॉर्म केंद्रित मॉडल से नेटवर्क केंद्रित मॉडल में बदलाव कर इस तरह की समस्याओं का आसानी से समाधान कर सकता है। भारत में ONDC एक डि-सेंट्रलाइज्ड मॉडल है, जो कि ई-कॉमर्स को और अधिक बेहतर बनाता है। यह MSME समेत सभी तरह के विक्रेताओं और खरीदारों के लिए समावेशी और सुलभ है। 

ब्राजील में भी ओपन नेटवर्क की पहल शुरू
हाल ही में, ब्राज़ील ने बेलेम में एक ओपन नेटवर्क पहल शुरू की है, जिसे रेडे बेलेम के नाम से जाना जाता है। ये ब्राज़ील के अलबर्टा में अमेज़ॅन फॉरेस्ट रीजन में स्थित है। इस पहल का उद्देश्य ओपन नेटवर्क के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और मोबिलिटी में बड़ा बदलाव लाना है। इसके साथ ही ये स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने और डिजिटल इकोनॉमी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए लोकल बिजनेस का भी सपोर्ट करता है। इस पहल के माध्यम से बेलेम का लक्ष्य उत्पादकों को लोकल और ग्लोबल लेवल पर बाजारों से जोड़ना है।

सिंगापुर में भी पायलट प्रोजेक्ट के तहत हो चुकी शुरुआत 
सिंगापुर ने व्यापार के क्षेत्र में अपने पायलट प्रोजेक्ट गार्जियन के तहत इसी तरह की एक पहल शुरू की है। हम ओपन गाम्बिया नेटवर्क के तहत अफ्रीका में भी इसे लागू करने के बारे में ऑब्जर्व कर रहे हैं। ओपन गाम्बिया नेटवर्क का मकसद इस क्षेत्र की असंगठित प्रकृति को ध्यान में रखते हुए अर्बन मोबिलिटी की चुनौती का समाधान करना है। इसे फाउंडेशन फॉर डिजिटल इकोनॉमी द्वारा बनाया जा रहा है, जिसकी परिकल्पना एक डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करने की है, जो विभिन्न क्षेत्रों में लोकल चीजों को अनलॉक कर डिजिटल कॉमर्स को ओपन करेगा।

फ्रांस और जर्मनी में भी ओपन नेटवर्क सिस्टम
ओपन नेटवर्क को फ़्रांस मोबिलिटी सेक्टर में लागू कर रहा है। पदम मोबिलिटी इले-डी-फ़्रांस मोबिलेट्स को यूनिफाइड ऑन-डिमांड सिस्टम विकसित करने में मदद कर रही है। इसमें करीब 40 नेटवर्क शामिल हैं, जो इंटरऑपरेबल हैं। इसी तरह ज्यूरिख और एम्स्टर्डम भी इंटरऑपरेबल के लिए बेकन प्रोटोकॉल लागू करने पर विचार कर रहे हैं। जर्मनी पहले ही मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ओपन नेटवर्क कांसेप्ट को लागू कर चुका है। कुल मिलाकर ओपन नेटवर्क का उद्देश्य एक अंतरराष्ट्रीय इंटरऑपरेबल डेटा इकोसिस्टम स्थापित करना है, जो अधिक लचीलेपन, स्थिरता और प्रतिस्पर्धी ताकत के लिए डिजिटल नवाचारों को सक्षम बनाए।

ओपन नेटवर्क कोई नई अवधारणा नहीं
ओपन नेटवर्क कोई नई अवधारणा नहीं है। इंटरनेट को भी खुले प्रोटोकॉल पर बनाया और डिज़ाइन किया गया था ताकि ये इंटरऑपरेबल हो और उसके जरिये निजी उद्यम बेहतर तरीके से इनोवेट कर सकें। हालांकि, बाज़ार की ताकतें अलग-अलग कारणों से इंटरनेट को एक सेंट्रलाइज्ड मॉडल की ओर ले गईं, जिनमें से कुछ का श्रेय डेटा मुद्रीकरण के साथ-साथ ऑनलाइन उपभोक्ताओं के लिए विश्वास का निर्माण करने को भी दिया जा सकता है। ओपन नेटवर्क ऑनलाइन के वर्तमान स्वरूप को रिइमेजिन करता है, ताकि एक विश्वास-आधारित ढांचा सुनिश्चित हो सके, जो प्राइवेट सेक्टर को अलाऊ करे कि वो इसके चारों ओर एक व्यवसाय मॉडल बनाएं और सभी के लिए सुलन और समावेशी बाज़ार का निर्माण करें।