सार
कभी रिक्शा चलाने वाल व्यक्ति भी करोड़पति बन सकता है, ऐसा बहुत कम देखा जाता है लेकिन धरमवीर कंबोज नाम के व्यक्ति ने यह कारनामा कर दिखाया है और छोटे बिजनेस से बड़ा मुकाम हासिल किया है।
Dharmveer Kamboj Success Story. धरमवीर कंबोज ने हाईस्कूल तक पढ़ाई की है लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि उन्हें दिल्ली में रिक्शा चलाने पर मजबूर होना पड़ा। हालांकि धरमवीर का खेती किसानी में ज्यादा मन लगता था और उन्होंने कुछ पैसे जमा करके मल्टी प्रोसेसिंग मशीन बनाई। इस मशीन से किसानों का काम आसान हो गईं। फिर वे कई तरह की मशीनें बनाने लगे और अब उनकी मशीनें विदेशों में भी एक्सपोर्ट हो रही हैं। सफलता की यह कहानी संघर्षों से जुड़ी है।
कौन हैं करोड़पति बने धरमवीर कंबोज
धरमवीर कंबोज का जन्म हरियाणा के यमुनानगर में 1963 में हुआ। वे 5 भाई बहनों में सबसे छोटे थे और पढ़ाई सिर्फ हाईस्कूल तक ही हो पाई। धरमवीर की मां जड़ी बूटियों का काम करती थीं। घर की माली हालत बिगड़ी तो सिर्फ 70 रुपए जेब में रखकर वे दिल्ली पहुंच गए। यहां 1987 से 1993 तक उन्होंने रिक्शा चलाया। इस दौरान की जिंदगी काफी मुश्किलों में कटी। कभी फुटपाथ पर तो कभी रैन बसेरों में जिंदगी की रातें कटने लगीं। इसी बीच उनका एक्सीडेंट हो गया और वे फिर गांव वापस लौट गए।
गांव पहुंचकर किए नए आविष्कार
गांव पहुंच धरमवीर के दिमाग में कुछ चल रहा था। उन्होंने खेती किसानी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां इकट्ठा की और ग्राम विकास सोसाइटी के माध्यम से एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हुए। फिर वे राजस्थान गए और वहां पर औषधीय फसलों की खेती के बारे में पूरी जानकारी हासिल की। गांव वापस आकर औषधीय खेती करने लगे। फिर उन्हें प्रोसेसिंग बिजनेस के बारे में जानकारी मिली लेकिन मशीनें काफी महंगी थी। तब धरमवीर ने खुद ही एक मशीन बनाने की सोची और एक लोकल मैकेनिक से मिलकर मल्टी प्रोसेसिंग मशीन तैयार कर ली।
चल निकला धरमवीर के मशीनों का बिजनेस
जब यह सब हुआ और किसानों को मशीन से फायदा होने लगा तो धरमवीर का उत्साह बढ़ा और उन्होंने मशीनें बनानी शुरू कर दीं। पहले लहसुन छीलने वाली मशीन बनाई फिर मक्के से दूध निकालने वाली मशीन बनाई। इसके अलावा तुलसी का तेल, हल्दी का अर्क, सोयाबीन का दूध, गुलाब जब और जीरा जल तैयार करने वाली मशीनों का इजाद कर दिया। इसके बाद एलोवेरा जूस की मशीन, सब्जियों का छिलका उतारने वाली मशीनें भी तैयार कीं। अब उनका बिजनेस इतना बढ़ गया है कि दुनिया के 20 देशों में उनकी मशीनों की सप्लाई की जाती है।
राष्ट्रपति से मिला धरमवीर को सम्मान
2009 में तत्कालीन प्रेसीडेंट प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने धरमवीर कंबोज को सम्मानित किया। 2012 में तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने उन्हें सम्मानित किया। 2013 में उन्हें फूड प्रोसेसिंग का नेशनल अवार्ड दिया गया। मल्टी परपज मशीन बनाने के लिए उन्हें जिम्बाबवे के राष्ट्रपति ने सम्मानित किया। रिक्शा चलाने से लेकर प्रेसीडेंट से सम्मानित होने तक धरमवीर का यह सफर कई लोगों को प्रेरित करने वाला है।
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