सार
भारत सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दो नई किस्त जारी करने वाली है। अगर आप भी सोने (Gold) में निवेश करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए सुनहरा मौका है। जानें कब से कब तक कर सकेंगे सोने में निवेश।
Sovereign Gold Bond: अगर आप भी सोने (Gold) में निवेश करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए सुनहरा मौका है। दरअसल, भारत सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दो नई किस्त जारी करने वाली है। इनमें पहली किस्त दिसंबर, 2023 और दूसरी किस्त फरवरी, 2024 में जारी की जाएगी। पहली किस्त 18-22 दिसंबर के बीच ओपन रहेगी। वहीं, दूसरी किस्त 12-16 फरवरी के बीच खुलेगी।
जानें क्या होगा गोल्ड बॉन्ड का रेट?
सरकार के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond scheme)की तारीख तो तय हो गई है, लेकिन अभी तक ये साफ नहीं है कि ये किस रेट पर जारी किए जाएंगे। बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक सरकारी बॉन्ड है, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) जारी करता है। ये बॉन्ड 1 ग्राम सोने की कीमत के बराबर होता है। यानी 1 ग्राम सोने की जितनी कीमत होगी, उतनी ही बॉन्ड की वैल्यू होगी।
ऑनलाइन अप्लाई करने पर प्रति ग्राम 50 रुपए का डिस्काउंट
बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond scheme) में ऑनलाइन अप्लाई करने पर प्रति ग्राम 50 रुपए का डिस्काउंट मिलता है। बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में हम 24 कैरेट शुद्ध सोने में निवेश करते हैं।
Sovereign Gold Bond पर 2.5% ब्याज
Sovereign Gold Bond में पैसा लगाने पर 2.5% सालाना ब्याज मिलता है। ये ब्याज इन्वेस्टर के खाते में छमाही आधार पर जमा किया जाता है। बता दें कि ये ब्याज Income Tax Act, 1961 के तहत कर योग्य (Taxable) है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को डीमैट के रूप में बदला जा सकता है। साथ ही पैसों की जरूरत पड़ने पर बॉन्ड के बदले लोन भी मिल सकता है।
Sovereign Gold Bond में कितना सोना खरीद सकते हैं?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सीरिज में डिजिटली सोना खरीदने का मौका रहता है। इस स्कीम में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से इन्वेस्ट किया जा सकता है।
RBI की गाइडलाइन के मुताबिक, ट्रस्ट और यूनिवर्सिटीज के लिए अधिकतम लिमिट 20 किलो है। इसके अलावा इंडिविजुअल और HUF के लिए यह लिमिट 4 किलो है। भारत का कोई भी नागरिक, हिंदू अविभाजित परिवार, ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में इन्वेस्ट कर सकता है।
कितने साल में मैच्योर होगा बॉन्ड?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी 8 साल में होती है। हालांकि, इसमें 5 साल के बाद अगली ब्याज भुगतान तारीखों पर एक्जिट होने का ऑप्शन भी मिलता है। मैच्योरिटी पीरियड कम्प्लीट होने के बाद इससे मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।
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