क्या पर्सनल या होम लोन नहीं चुकाने पर हो सकती है गिरफ्तारी? जानें Rules
Loan Payment Rules : होम, ऑटो, गोल्ड या पर्सनल लोन जहां कई तरह की सुविधाएं देते हैं। वहीं, समय पर EMI या लोन न चुकाने पर कई तरह की समस्याएं भी खड़ी कर सकते हैं। आइए जानते हैं लोन न चुकाने पर क्या-क्या हो सकता है, इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं...

लोन न चुकाएं तो क्या होगा?
लगातार 3 EMI या 90 दिन तक भुगतान न करने पर आप डिफॉल्टर माने जाते हैं। लोन डिफॉल्ट का मतलब है कि आपने बैंक या NBFC को तय समय पर कर्ज नहीं चुकाया। डिफॉल्ट दो प्रकार का होता है। पहला जानबूझकर डिफॉल्ट यानी पैसा होने के बावजूद लोन न चुकाना। ऐसे लोग Willful Defaulter कहलाते हैं। दूसरा अनजाने में या मजबूरी से यानी नौकरी छूटना, मेडिकल इमरजेंसी या अनएक्सपेक्टेड खर्च आने पर लोन न चुका पाना। डिफॉल्ट होने पर आपका क्रेडिट स्कोर तुरंत प्रभावित होता है।
लोन न चुकाने पर क्या होता है?
अगर लोन चुकाया नहीं गया, तो बैंक या NBFC आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इसमें रिकवरी नोटिस भेजना, कोर्ट केस दर्ज करना, संपत्ति कुर्क करने जैसे एक्शन लिए जा सकते हैं। अगर लोन सिक्योर्ड है, जैसे होम, ऑटो या गोल्ड लोन, तो बैंक गिरवी रखी संपत्ति बेचकर कर्ज वसूल सकता है। इसका क्रेडिट स्कोर पर भी असर होता है। लोन डिफॉल्ट से आपका क्रेडिट स्कोर गिरता है। इसका मतलब है कि भविष्य में महंगे लोन, इंश्योरेंस लेने या नौकरी पाने में मुश्किल हो सकती है।
RBI की गाइडलाइंस क्या कहती है?
RBI ने साफ किया है कि बैंक को उधारकर्ता यानी लोन लेने वाले की इज्जत का पूरा ख्याल रखना होगा। डराना-धमकाना या सार्वजनिक रूप से बदनाम करना मना है। पहले नोटिस देना जरूरी है ताकि आप अपना पक्ष रख सकें। शर्तों में बदलाव या पेमेंट हॉलीडे जैसी सहूलियत दी जा सकती है।
क्या लोन न चुकाने पर गिरफ्तारी हो सकती है?
सामान्य स्थिति में ऐसा नहीं होता है। भारत में जेल या गिरफ्तारी सिर्फ आपराधिक मामलों में होती है। पर्सनल, होम, गोल्ड या ऑटो लोन न चुकाना दीवानी (civil) मामला है। बैंक या NBFC कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इसमें रिकवरी नोटिस, कोर्ट केस, संपत्ति कुर्की होता है लेकिन सिर्फ लोन न चुकाने के आधार पर कोई जेल नहीं जाएगा।
लोन न चुकाने पर कब जेल जाना पड़ सकता है?
- जानबूझकर फर्जी दस्तावेजों से लोन लेना।
- कोर्ट के आदेश का पालन न करना।
- चेक बाउंस हो जाना और केस दर्ज हो जाना।
- अगर कोई फाइनेंशियल फ्रॉड या धोखाधड़ी नहीं हुई है, तो पुलिस दखल नहीं देती।
लोन डिफॉल्ट से बचने के लिए क्या करें?
- EMI के लिए मंथली रिमाइंडर सेट करें।
- बैंक से रिशेड्यूलिंग या शर्तों में बदलाव पर बातचीत करें।
- कम ब्याज दर वाला लोन चुनें।
- ऑटो स्वीप अकाउंट लें ताकि बैलेंस कम होने पर फिक्स्ड डिपॉजिट से कवर हो सके।